देश की राजधानी में दिल्ली में रह रहे सांसद और पूर्व सांसदों ने बिजली और पानी तो इस्तेमाल किया है लेकिन बिल का भुगतान नहीं किया। इनके पास बकाया करीब 5 करोड़ रुपए हैं। बकायेदारों की सूची में 28 मौजूदा सांसद जबकि 700 से ज्यादा पूर्व सांसद हैं। इस सूची में गृहमंत्री सुशील कुमार शिन्दे, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी सहित कई पार्टियों के बड़े नेता हैं।
एनडीएमसी
ने बकाएदारों की सूची दिल्ली हाईकोर्ट में सौंपी है। ये हाल तब का है जब
ऐसी ही एक सूची एमटीएनएल ने अदालत को सौंपी है। जिसमें माननीयों का बकाया 7
करोड़ से भी ज्यादा है।
एनडीएमसी का इन माननीयों पर तकरीबन पौने पांच करोड़ रुपया बकाया है। ये
खुलासा तब हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट ने एनडीएमसी यानि नई दिल्ली नगरपालिका
परिषद से उसके बकाएदारों की लिस्ट मांगी। इस लिस्ट में कई बड़े नाम हैं।
इन्हें एनडीएमसी का टैक्स चुकाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। हालात ये है कि
इनकी देनदारी बढ़ती जा रही है। लेकिन सख्त कार्रवाई का दावा करने वाली
एनडीएमसी इनके सामने मजबूर नजर आ रही है।
याचिकाकर्ता ए.के.सिंह के मुताबिक करोड़ों
का बकाया इन लोगों पर है। खुद एनडीएमसी ने हलफनामा हाईकोर्ट में सौंपा है।
एनडीएमसी की तरफ से बकाएदारों की सौंपी इस लिस्ट में गृहमंत्री सुशील कुमार
शिंदे पर 1996 से 3,319 रुपए बकाया है। स्वास्थ्य मंत्री गुलामनबी आजाद पर
2005 से 4,047 रुपए बकाया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण
पर 2004 से 8,762 रुपए बकाया है।
इस
लिस्ट में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का भी नाम है जिनपर सितंबर 2003
से 29,524 रुपए बकाया है। कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी पर दिसंबर 1998
से 33,980 रुपए बकाया है। इसके अलावा पूर्व सांसद पप्पू यादव पर दिसंबर
2008 से 3,44,275 रुपए। बीजेपी सांसद हरिलाल पटेल पर 1996 से 64,942 रुपए
और बीजेपी सांसद गिरधारी लाल भार्गव पर 2004 से 46,825 रुपए बकाया है।
एनडीएमसी
इस सूची में मौजूदा और पूर्व सांसदों को मिलाकर 811 लोगों का नाम है। और
इनपर बकाया राशि चार करोड़ 88 लाख आठ हजार 531 रुपए हैं।
ऐसे
में सवाल ये कि क्या अब ये सांसद या पूर्व सांसद बकाए की रकम वापस करेंगे?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए आईबीएन7 की टीम पहुंची केंद्रीय शहरी विकास
मंत्री कमलनाथ के पास। एनडीएमसी इन्हीं मंत्रालय में आता है। तो शहरी विकास
मंत्री का कहना था कि आप खुद सांसदों से पूछ लीजिए।
अगर
आम आदमी का एक रुपया भी बकाया हो तो कुर्की तक हो जाती है। लेकिन माननीय
सांसदों पर बकाए पैसे का हिसाब लेने वाला कोई नहीं है। उल्टे मंत्री ऐसी
नसीहत दे रहे हैं। एनडीएमसी ने भी इन माननीयों से अपना बकाया वसूलने की कोई
कोशिश नहीं की। रकम भले ही छोटी या बड़ी हो। लेकिन सवाल नियमों का है। जो
नियम आम जनता के लिए है भला वो नियम इन माननीयों के लिए क्यों नहीं है?
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