कोल ब्लॉक आवंटन में सीबीआई को पता चला है कि आवंटन पाने के लिए निजी कंपनियों ने नियमों की धज्जियां उड़ा दी। झारखंड में जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के करीबी ने कोल ब्लॉक खरीदा 6 महीने के भीतर उसे कोल ब्लॉक दे दिया गया। सोमवार से सीबीआई इस मामले की जांच तेज करने जा रही है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और उनके सहयोगियों पर सीबीआई एक और केस दर्ज कर सकती है। कोल ब्लॉक आवंटन में 5 कंपनियों के खिलाफ सीबीआई ने पहले ही केस दर्ज कर लिए हैं।
सीबीआई सूत्रों की मानें तो फर्जीवाड़े में सबसे आगे रही झारखंड की विन्नी आयरन एंड स्टील नाम की कंपनी। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर इस कंपनी को संरक्षण देने का आरोप है। कोल आवंटन मामले की जांच कर रही सीबीआई सूत्रों की मानें तो मधु कोड़ा की कंपनी मानी जाने वाली विन्नी आयरन एंड स्टील ने तो कोल ब्लॉक के लिए कागजातों की चोरी तक की और आपतियों के बाद भी कोल ब्लॉक लेने में सफल हो गई।
सीबीआई
अब इस बात की जांच कर रही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो राज्य सरकार के
अफसरों ने एक ही कंपनी के लिए दोहरा रवैया अपनाया। सिर्फ मालिक बदलने पर
कंपनी कोल ब्लॉक पाने के काबिल कैसे हो गई। जांच में सीबीआई को एक और अहम
जानकारी हासिल हुई है। सीबीआई ने जब उन 15 कंपनियों से संपर्क साधा जिसे
विन्नी ने अपना हिस्सेदार बताया था तो 9 कंपनियों ने विन्नी कंपनी से किसी
भी तरह के रिश्ते होने से साफ इनकार कर दिया। यही नहीं इन 9 कंपनियों ने
विन्नी आयरन एंड स्टील पर कागजात की चोरी का भी आरोप लगाया। बाकी 6
कंपनियों ने भी विन्नी आयरन एंड स्टील से किसी तरह के संबंध होने से इनकार
किया है।
यही वजह है कि सीबीआई ने विन्नी के पूर्व मालिक वैभव तुलसियान से भी पूछताछ की है।
कोल
ब्लॉक लेने के लिए चूंकि सालाना टर्न ओवर का अहम रोल था।इसलिए मधु कोड़ा
की कथित कंपनी ने कागजात चोरी की। लेकिन दूसरी कंपनियों ने तो जिन बैंकों
से लोन लिए थे, उनके टर्नओवर को भी अपना बताकर कोल ब्लॉक हासिल किए। आपको
बता दें कि कोल ब्लॉक पाने के लिए अहम शर्त कोल ब्लॉक लेने के लिए स्टील,
पावर और सीमेंट मंत्रालय से एनओसी लेनी जरूरी थी। उर्जा मंत्रालय ने एनओसी
के लिए शर्त रख दी थी कि जो कंपनी 1 मेगावाट का पावर प्लांट लगाना चाहती है
उसका सालाना टर्न ओवर 50 लाख होना चाहिए। यानि कोल ब्लॉक लेकर 500 मेगावाट
बिजली बनाने का दावा करने वाली कंपनी का सालाना कारोबार 500 करोड़ का होना
जरूरी था।
जेएलडी यवतमाल और जेएएस
इंफ्रास्ट्रक्चर ने विदेशी बैंकों से लोन लिया। इन कंपनियों ने बैंक के कुल
टर्नओवर को भी अपने सालाना टर्नओवर में जोड़ लिया। अब सीबीआई ये जांच कर
रही है कि आखिर इतना बड़ा झूठ बोलने के बाद भी जेएलडी यवतमाल और जेएएस
इंफ्रास्ट्रक्चर को कोल ब्लॉक का आवंटन कैसे हुआ।
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