नई दिल्ली। कोयला खदानों के आवंटन पर सीएजी की
रिपोर्ट आने के बाद से पीएम का इस्तीफा मांग रही बीजेपी ने साफ कर दिया है
कि वो अपने रुख में नरमी कतई नहीं लाएगी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष
अरुण जेटली ने प्रेसवार्ता में कल वित्तमंत्री पी चिंदबरम के जीरो लॉस के
तर्क की हवा निकाल दी।
गौरतलब है कि कल वित्त
मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि निजी कंपनियों को आवंटित 57 कोल ब्लॉकों में
से 56 में खनन शुरू भी नहीं हुआ। जब कोयला निकला ही नहीं तो नुकसान कैसा।
सरकार का ये , भी तर्क है कि बिजली की बढ़ती मांग और सस्ती बिजली बनाने के
लिए ये जरूरी था कि कोल ब्लॉक का आवंटन तुरंत हो, अगर इसकी नीलामी होती तो
उसमें समय लगता।
बीजेपी की ओर से चिदंबरम के तर्कों का जवाब
देने आए पार्टी नेता अरुण जेटली ने कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम
कुर्तकों के जरिए गलत को सही ठहरा रहे हैं और जनता को गुमराह करने की असफल
कोशिश कर रहे हैं। जेटली ने चिदंबरम के तर्कों की तुलना 2जी घोटाले में
कपिल सिब्बल की जीरो लॉस थ्योरी से की।
जेटली
ने कहा कि चिदंबरम साहब कहते हैं कि अभी खनन हुआ ही नहीं है तो नुकसान
कैसा। मतलब अगर कोयला निकला ही नहीं है तो नुकसान की बात ही कहां आती है।
कोई उन्हें बताए कि खनन भले ही न हुआ हो लेकिन खनन होगा और कोयला निकलेगा
तो वो सरकार का नहीं बल्कि उस कंपनी का होगा जिसे ब्लॉक आवंटित हुए हैं।
सरकार का खनन पर से नियंत्रण तो ब्लॉक आवंटन के साथ ही खत्म हो चुका है। ये
ठीक ऐसा ही है जैसे चिदंबरम साहब के बैंक अकाउंट से कोई गैरकानूनी रूप से
पैसे निकाल ले। लेकिन चिदंबरम साहब कहें कि उनका नुकसान तो तब होगा जब वो
व्यक्ति पैसे खर्च कर देगा।
कोल
ब्लॉक का आवंटन हो चुका है। ऐसे में वहां कोयला निकालने का अधिकार उस
कंपनी के पास है जिसे ब्लॉक आवंटन हुआ है। जिस कंपनी को कोल ब्लॉक का आवंटन
हो गया उसकी बैलेंस सीट में कोयले के दाम आसमान छू जाते हैं। जो कोयला आज
जमीन के अंदर है वो अब सरकार का नहीं बल्कि उस कंपनी का है जिसे ब्लॉक
आवंटन हुआ है।
जेटली
ने कहा कि सरकार कहती है कि बिजली का उत्पादन बढ़े इसलिए जल्दबाजी में कोल
ब्लॉक आवंटित किए गए। सरकार की सफाई में ही उसके इस तर्क का जवाब भी छुपा
हुआ है। सरकार ने ऐसे लोगों को कोल ब्लॉक आवंटित कर दिेए हैं जिन्होंने
पांच साल बीतने के बावजूद खनन शुरू नहीं किया है। ऐसे में कोयला निकलने और
उससे बिजली बनने की तो बात ही दूर है।
जेटली
ने कहा कि सरकार कह रही है कि सीएजी की रिपोर्ट पहले पीएसी देखेगी और उसकी
रिपोर्ट पर कार्रवाई होगी। 2जी घोटाले में पीएसी की रिपोर्ट अब तक नहीं आ
पाई है तो क्या तब तक हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा जाएगा।
जेटली
ने कहा कि 2जी घोटाले के वक्त कपिल सिब्बल जीरो लॉस की बात कह रहे थे।
सरकार का तर्क था कि उसने उचित कीमत(1658 करोड़) पर स्पेक्ट्रम बेचे हैं
लेकिन अब खुद उसने नीलामी के लिए 2जी स्पेक्ट्रम की रिजर्व कीमत 14 हजार
करोड़ रुपये रखी है। ऐसे में साफ है कि पहले औने-पौने दाम में स्पेक्ट्रम
बांट दिए गए।
बीजेपी
के ऊपर लग रहे संसद न चलने देने के आरोप पर अरुण जेटली ने कहा कि कभी-कभी
संसद न चलने देना देश के लिए फायदेमंद होता है। दिसंबर 2010 में जब संसद ठप
हुई थी तो उसका परिणाम राजा, जेपीसी और चार्जशीट के रूप में सामने आया था।
जेटली
ने कहा कि अगर बातचीत होती तो वो बातचीत में ही खत्म हो जाती। हम पीएम से
इस्तीफा मांग रहे हैं क्योंकि हम सरकार को कोई रास्ता देना नहीं चाहते कि
वो पहले संसद में बहस करे, फिर पीएसी में मामला जाए और खत्म हो जाए। 2जी
में यही हालत हुई है। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएसी में
क्या हुआ सब जानते हैं। पीएम छोड़िए उनके सेक्रेटरी को भी नहीं बुला पाए।
सोशल
मीडिया पर लग रहे सरकारी अंकुश पर जेटली ने कहा कि हमें नई तकनीक के साथ
जीना सीखना होगा। किसी को ब्लॉक करना या किसी तरह का अंकुश अच्छा आइडिया
नहीं है।
लोकपाल
के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि लोकपाल पर सबसे ज्यादा लड़ाई बीजेपी ने लड़ी
है। संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह। इसपर कोई कहे कि हम सीरियस नहीं है
तो ये उसका मत हो सकता है। टीम अन्ना ने राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला
किया है। वो आदर्शवाद से रोमांचवाद की तरफ जा रही है।
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