माया
कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने आग में घी डालने का काम किया। माया
कोडनानी उस वक्त मोदी सरकार की मंत्री नहीं थीं, उस वक्त वो बीजेपी की
विधायक थीं लेकिन दंगों के बाद वो न केवल मंत्री बनीं बल्कि मोदी की काफी
करीबी हो गईं।
वारदात के सात साल बाद एसआईटी ने उनकी फाइल
खोली, सबूत मिलते गए और इस नरसंहार में गले तक फंसती गईं माया कोडनानी।
पहले कानून से भागीं, गायब हो गईं, और बाद में हाईकोर्ट की फटकार के बाद
पुलिस के सामने सरेंडर किया।
गुजरात
दंगों की जांच कर रही एसआईटी को कम से कम एक दर्जन दंगा पीड़ितों ने बयान
दिया था और ज्यादातर बयान यही थे कि 28 फरवरी 2002 को माया कोडनानी ने न
सिर्फ दंगाइयों का नेतृत्व किया बल्कि उनके हाथ में काले रंग के दो गैलन भी
थे। कोडनानी पर दंगों के दौरान भीड़ को उकसाने और दंगाइयों को हथियार
बांटने के भी आरोप लगे।
एसआईटी
के एक दस्तावेजी सबूत ने कोडनानी के उस झूठ का पर्दाफाश कर दिया जिसमें वो
बार-बार कह रही थीं कि- मैं 28 फरवरी को नरोडा पाटिया में नहीं थी। और वो
सबूत था माया कोडनानी का मोबाइल रिकॉर्ड।
माया
कोडनानी के मोबाइल ने दंगों के दौरान उनकी लोकेशन का सारा राज सबसे सामने
रख दिया। मोबाइल के सिग्नल के सहारे ये पता चल गया कि वो किस-किस इलाके में
कितनी देर तक थीं।
मोबाइल
नंबर 9825006729, ये नंबर माया कोंडनानी का था। 28 फरवरी की सुबह 7 बजे तक
माया कोडनानी की मोबाइल लोकेशन उनके घर शाहीबाग में थी। यानि वो अपने घर
पर ही थीं। 7.15 पर वो अपने घर से निकली और 8 बजे कोबा पहुंची। वहां से वो
वापस मुड़ीं और सोला सिविल अस्पताल करीब 11.15 पर पहुंची।
ये
वो अस्पताल है जहां सबारमति कांड में मारे गए लोगों के शव रखे गए थे। वहां
से माया कोडनानी सीधे नरोडा पाटिया की ओर सुबह करीब 11.30 पर रवाना हुईं।
दिन के 12.15 से लेकर 4.15 तक उनकी लोकेशन नरोडा पाटिया ही रही। यही वो समय
है जबकि नरोडा को दंगाइयों ने निशाना बना लिया था और लोगों को मारा जा रहा
था।
यानी
सवा चार घंटे तक माया कोडनानी के मोबाइल की लोकेशन नरोडा में ही थी। यही
वो वक्त था जब दंगों के दौरान सबसे भयानक तांडव मचा। खाकी वर्दी वाले किसी
बेगुनाह को बचाने तक नहीं आए। गुजरात की जांच एजेंसियां इस अहम सबूत को
छिपा कर बैठी रहीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बनी एसआईटी ने फाइलों
में दफ्न हो चुका ये सबूत खोज निकाला। इसी सबूत को देखने के बाद माय़ा
कोडनानी के खिलाफ शिकंजा कसा।
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