Thursday, August 30, 2012

देखें: यूपी पुलिस का बेरहम चेहरा, घूस न देने की सजा


उत्तर प्रदेश की पुलिस की एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो आपकी रूह कंपा दे। इलाहाबाद में पुलिस वालों ने फुटपॉथ पर दुकान लगाने वाले एक गरीब दुकानदार को मारा पीटा और फिर उसके सीने पर मोटरसाइकिल चढ़ा कर अपनी ताकत दिखाई।
दरअसल इलाहाबाद के सिटी रेलवे स्टेशन रामबाग के गेट के बाहर फुटपॉथ पर ठेला लगाने वाले दुकानदार का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने पुलिसवालों को 50 रुपए घूस नहीं दी।

Wednesday, August 29, 2012

परिणीति चोपड़ा का वार्डरोब मालफंक्शन!

परिणीति चोपड़ा का वार्डरोब मालफंक्शन!


 
हाल ही में मुंबई में फिल्म शीरीं फरहद की तो निकल पड़ी की स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान परिणिती चोपड़ा को शर्मसार होना पड़ा। परिणिती चोपड़ा एक टाइट ड्रेस में यहां पहुंची जिसकी वजह से उन्हें शर्मिन्दा होना पड़ा। इस टाइट फिटिंग ड्रेस में परिणीती बेहद खूबसूरत लग रही थीं मगर इसकी वजह से वह वार्डरोब मालफंक्शन की शिकार हो गई। दरअसल, परिणीती की यह ड्रेस इतनी टाइट थी कि पीछे से ड्रेस की सिलाई खुल गई।

नरेंद्र मोदी की करीबी मंत्री माया गुजरात दंगों की दोषी करार


गुजरात के नरोडा पाटिया दंगा केस में एक ट्रायल कोर्ट ने 32 आरोपियों को दोषी करार दिया है जबकि 29 लोगों को केस से बरी कर दिया गया है। इस फैसले से मोदी सरकार को बड़ा झटका मिला है। नरोडा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की विधायक माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को भी केस में दोषी करार दिए गए हैं। सजा पर फैसला 31 अगस्त को आएगा।
बता दें कि साल 2002 के नरोदा पाटिया दंगे में 97 लोगों का कत्ल कर दिया गया था। इस मामले में 62 लोगों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों में से एक की मौत ट्रायल के दौरान ही हो गई थी। नरोडा पाटिया दंगा केस की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को सौंपी गई थी। 
स्पेशल कोर्ट के फैसले में विश्व हिंदू परिषद के नेता बाबू बजरंगी को भी दोषी करार दिया गया है। बाबू बजरंगी इस केस में आरोपी नंबर 18 हैं। सबसे बड़ी बात यह रही कि तत्कालीन बीजेपी सरकार की विधायक माया कोडनानी को भी दोषी करार दिया गया है। माया कोडनानी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की करीबी थीं और दंगों के बाद उन्हें सरकार में मंत्री भी बनाया गया था।
नरोदा पाटिया कत्लेआम पहला मामला है जहां मोदी सरकार में मंत्री रहीं बीजेपी विधायक माया कोडनानी की सीधी भूमिका का आरोप लगा और जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। आरोपी नंबर 37 माया कोडनानी पर लोगों को उकसाने का आरोप है। एसआईटी ने भी कोडनानी के खिलाफ काफी सबूत पेश किए हैं।
माया कोडनानी और बाबू बजरंगी पर 302 जैसी संगीन धाराएं लगाई हैं। 120 बी, आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दोनों को दोषी पाया है। 149 की धारा का भी कोर्ट ने उल्लेख किया है। इससे दोनों को उम्र कैद से लेकर फांसी तक की सजा दी जा सकती है। 300 से ज्यादा लोगों ने इस केस में गवाही दी है।
नरोडा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी भी दोषी करार देने पर बीजेपी नेता यतिन ओझा ने कहा कि लोकशाही में जो भी फैसला है उसका सम्मान करना पड़ता है। किसी एक नेता पर आरोप लगना पूरी पार्टी पर आरोप नहीं लगाता।





पाकिस्तान से न चीन से, खतरा है गद्दारों से

पूर्व सेनायक्ष जरनल वी के सिंह ने कहा कि हमें खतरा न पाकिस्तान से है और न चीन से खतरा है, खतरा केवल देश के गद्दारों से।
उन्होंने कहा कि जब तक देश के गद्दार खत्म नहीं होंगे तब तक देश का भला होने वाला नहीं है। पूर्व सेनाध्यक्ष वी के सिंह ने कहा कि 90 फीसदी फौजी गांवों से, किसानों के घरों से फौज में आ रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि भारत को किस देश से खतरा है। चीन से या पाकिस्तान से तो उन्होंने कहा कि मेरे देश को सब देशद्रोहियों से खतरा है। उन्होंने कहा कि फौजियों के सामने बहुत समस्याएं है। साम्प्रदायिकता पर जनरल ने कहा कि साम्प्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ सख्ती होनी चाहिए। 
मुजफ्फरनगर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि पिछले बीस सालों से किसान अपने हकों के लिए संघर्ष कर रहा था। वह अब जाग गया है और किसान ने अब अपने हकों को समझा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश व केन्द्र में चाहे जो सरकार आये वह किसानों के चूल्हों की ओर कभी नहीं देखती है। आज किसानों की लड़ाई जवान व किसान दोनों को मिलकर लड़नी होगी। जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं वह लड़ाई हम सबको मिलकर लड़नी होगी।
उन्होंने कहा कि यदि किसान खड़े होकर सड़कों पर आ जाये तो राजनेताओं को भागना पड़ जायेगा। उन्होंने कहा कि जनरल साहब के आने से जय जवान जय किसान का नारा मजबूत हो जाएगा। हमारा उद्देश्य है कि जय जवान जय किसान का नारा मजबूत करना।



माया कोडनानी के मोबाइल रिकॉर्ड ने उठाया झूठ से पर्दा!

गुजरात के नरोदा पाटिया में हुए दंगों के वक्त बीजेपी की विधायक थीं माया कोडनानी। नरोदा पाटिया को दंगाइयों ने खून से लाल कर दिया। महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, दुधमुंहे बच्चों तक को नहीं बख्शा गया। नफरत का ऐसा भारत गढ़ दिया गया जो किसी भी आम इंसान को मंजूर नहीं।
माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने आग में घी डालने का काम किया। माया कोडनानी उस वक्त मोदी सरकार की मंत्री नहीं थीं, उस वक्त वो बीजेपी की विधायक थीं लेकिन दंगों के बाद वो न केवल मंत्री बनीं बल्कि मोदी की काफी करीबी हो गईं। 

वारदात के सात साल बाद एसआईटी ने उनकी फाइल खोली, सबूत मिलते गए और इस नरसंहार में गले तक फंसती गईं माया कोडनानी। पहले कानून से भागीं, गायब हो गईं, और बाद में हाईकोर्ट की फटकार के बाद पुलिस के सामने सरेंडर किया।
गुजरात दंगों की जांच कर रही एसआईटी को कम से कम एक दर्जन दंगा पीड़ितों ने बयान दिया था और ज्यादातर बयान यही थे कि 28 फरवरी 2002 को माया कोडनानी ने न सिर्फ दंगाइयों का नेतृत्व किया बल्कि उनके हाथ में काले रंग के दो गैलन भी थे। कोडनानी पर दंगों के दौरान भीड़ को उकसाने और दंगाइयों को हथियार बांटने के भी आरोप लगे।
एसआईटी के एक दस्तावेजी सबूत ने कोडनानी के उस झूठ का पर्दाफाश कर दिया जिसमें वो बार-बार कह रही थीं कि- मैं 28 फरवरी को नरोडा पाटिया में नहीं थी। और वो सबूत था माया कोडनानी का मोबाइल रिकॉर्ड।
माया कोडनानी के मोबाइल ने दंगों के दौरान उनकी लोकेशन का सारा राज सबसे सामने रख दिया। मोबाइल के सिग्नल के सहारे ये पता चल गया कि वो किस-किस इलाके में कितनी देर तक थीं।
मोबाइल नंबर 9825006729, ये नंबर माया कोंडनानी का था। 28 फरवरी की सुबह 7 बजे तक माया कोडनानी की मोबाइल लोकेशन उनके घर शाहीबाग में थी। यानि वो अपने घर पर ही थीं। 7.15 पर वो अपने घर से निकली और 8 बजे कोबा पहुंची। वहां से वो वापस मुड़ीं और सोला सिविल अस्पताल करीब 11.15 पर पहुंची।
ये वो अस्पताल है जहां सबारमति कांड में मारे गए लोगों के शव रखे गए थे। वहां से माया कोडनानी सीधे नरोडा पाटिया की ओर सुबह करीब 11.30 पर रवाना हुईं। दिन के 12.15 से लेकर 4.15 तक उनकी लोकेशन नरोडा पाटिया ही रही। यही वो समय है जबकि नरोडा को दंगाइयों ने निशाना बना लिया था और लोगों को मारा जा रहा था।
यानी सवा चार घंटे तक माया कोडनानी के मोबाइल की लोकेशन नरोडा में ही थी। यही वो वक्त था जब दंगों के दौरान सबसे भयानक तांडव मचा। खाकी वर्दी वाले किसी बेगुनाह को बचाने तक नहीं आए। गुजरात की जांच एजेंसियां इस अहम सबूत को छिपा कर बैठी रहीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद बनी एसआईटी ने फाइलों में दफ्न हो चुका ये सबूत खोज निकाला। इसी सबूत को देखने के बाद माय़ा कोडनानी के खिलाफ शिकंजा कसा।

सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी कसाब की मौत की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की मौत की सजा को बरकरार रखा। मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हमला करने वाले 10 आतंकवादियों में से कसाब एकमात्र ऐसा आतंकवादी है, जिसे जिंदा पकड़ा गया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद की पीठ ने कहा कि हम इस रुख को बरकरार रखने के लिए बाध्य हैं कि फांसी ही एकमात्र ऐसी सजा है, जिसे इस मामले की स्थितियों में दी जा सकती है। 
निचली अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई थी और बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखा था। उसके बाद उसने सजा-ए-मौत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।  
न्यायालय ने कसाब के इस तर्क को खारिज कर दिया कि मुंबई पर हुआ आतंकवादी हमला भारत सरकार के खिलाफ युद्ध था, न कि भारत या यहां के लोगों के खिलाफ। 
न्यायालय ने कहा कि भारत सरकार, देश का एकमात्र निर्वाचित अंग और सम्प्रभु सत्ता का केंद्र है। इसके बाद न्यायालय ने कहा कि आरोपी का प्राथमिक और मुख्य अपराध भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना ही था।
उच्च न्यायालय ने 21 फरवरी, 2011 को कसाब की मौत की सजा बरकरार रखी थी। इसके पहले मुंबई की एक अदालत ने छह मई, 2010 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। अन्य आरोपों के अलावा उसे राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने का दोषी पाया गया था।  
सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने तक चली बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मामले की सुनवाई 31 जनवरी से शुरू हुई थी।
कसाब और उसके नौ साथी कराची से समुद्र मार्ग से मुंबई पहुंचे थे। उसके बाद उन्होंने एक प्राइवेट बोट एम.बी. कुबेर को अगवा कर लिया था और उसके नाविक अमर चंद सोलंकी को मार डाला था।

Tuesday, August 28, 2012

स्मर्च रॉकेट को लेकर भारत और रूस में समझौता


पतंजलि योगपीठ का चैरिटेबल ट्रस्ट का दर्जा खत्म होगा!


योग गुरु बाबा रामदेव को इनकम टैक्स विभाग का तगड़ा झटका लग सकता है। बाबा रामदेव के ट्रस्ट से चैरिटेबल ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जा सकता है।
एक अखबार के मूताबिक इनकम टैक्स विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद रामदेव के ट्रस्ट को मिली सारी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक बाबा रामदेव का ट्रस्ट पतंजलि योगपीठ कॉमर्शियल गतिविधियों में लगा है। साथ ही कमाई करने में जुटा है। 
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक इनकम टैक्स विभाग ने पतंजलि योग पीठ का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले सौ सवालों की लिस्ट भेजी है। साथ ही ट्रस्ट के खिलाफ भारी जुर्माने के अलावा रजिस्ट्रेशन रद्द करने की भी तैयारी पूरी कर ली है।
 

अन्ना पूछेंगे किरण से सवाल, प्रदर्शन में क्यों नहीं हुई शामिल?

राजनीतिक पार्टी बनाने और कांग्रेस-बीजेपी को एक ही तराजू पर तौलने के सवाल पर अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के बीच मतभेद से अन्ना हजारे व्यथित हो उठे हैं। अन्ना ने कहा है कि वे किरण से दिल्ली में हुए प्रदर्शन में शामिल न होने की वजह पूछेंगे।
अन्ना की गैरमौजूदगी के बावजूद उनकी टीम ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में रविवार को दिल्ली में अपनी धमक दिखाई। कांग्रेस और बीजेपी को एक ही सिक्के के दो पहलू बताते हुए अरविंद ने जो मुहिम छेड़ी है, इसका असर कार्यकर्ताओं के जोश में देखा जा सकता था। लेकिन इस प्रदर्शन में टीम अन्ना का चेहरा बन चुकीं किरण बेदी कहीं नहीं थीं। क्या ये भंग हो चुकी टीम अन्ना की संभावनाओं में पड़ी किसी दरार का संकेत है। 
ये सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि खुद अन्ना हजारे ने सोमवार को इलाज के लिए बंगलौर जाने से पहले कहा कि वे गैरमौजूदगी को लेकर किरण से पूछताछ करेंगे। अन्ना हजारे ने कहा कि किरण बेदी क्यों नहीं गई इसके बारे में उनसे पूछा जाएगा।  
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या किरण बेदी सिर्फ कांग्रेस को निशाना बनाकर बीजेपी को मदद करना चाहती हैं। किरण इससे इंकार करती हैं। उनका कहना है कि एक साथ सभी मोर्चे नहीं खोले जा सकते। सत्ता पक्ष को ही निशाना बनाना चाहिए। जाहिर है, किरण की समझ न अरविंद केजरीवाल से मेल खाती है और न अन्ना से। अन्ना भी जो कथित कोयला घोटाले के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों को जिम्मेदार बता रहे हैं।
हालांकि अन्ना हजारे बुजुर्ग की तरह ये भी कह रहे हैं कि उनके कुनबे में कोई बड़ा मतभेद नहीं है। लेकिन उनकी सदिच्छा पर राजनीति की कड़वी सच्चाइयां भारी पड़ रही हैं। चुनाव करीब आने के साथ-साथ ये सिलसिला और बढ़ेगा ये तय है।

राजनीतिक पार्टियों के लिए चेतावनी है अरविंद की सफलता!

अरविंद केजरीवाल की अगुआई में रविवार के आंदोलन से तय हो गया है कि आने वाले दिनों में देश में एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत होने वाली है। धरना प्रदर्शन की सफलता को जहां तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है, तो वहीं अब ये भी साफ हो गया है अन्ना के आंदोलन में साथ चलने वाली किरण बेदी के रास्ते भी अलग हो चुके हैं।
दिल्ली के वीआईपी इलाके में अरविंद केजरीवाल के धरना आंदोलन में रविवार को अन्ना मौजूद नहीं थे लेकिन उनकी गैरहाजिरी में भी आंदोलन की धार कहीं से कमजोर नहीं दिखी। सरकार के खिलाफ पहले भी विपक्ष का धरना प्रदर्शन होता रहा है लेकिन उनका प्रदर्शन आमतौर पर कभी भी संसद मार्ग से आगे नहीं बढ़ पाया था। ये पहला मौका था कि जब ऐलानिया तौर पर सोनिया, मनमोहन और गडकरी के घरों को एक साथ धेरा गया और प्रदर्शकारियों को रोकने में पुलिस लाचार रही। अन्ना ने भी केजरीवाल के आंदोलन को सही ठहराया है।
रविवार का आंदोलन पूरी तरह से केजरीवाल का आंदोलन था और इसे एक मजबूत भावी पार्टी के आगाज के तौर पर भी देखा जा सकता है। अब ये तय माना जा रहा है कि आने वाले दिन में अरविंद केजरीवाल की भूमिका अपनी राजनीतिक पार्टी में अन्ना से अलग होगी। यानी राजनीतिक पार्टी के नेता होंगे केजरीवाल और समूचे आंदोलन के अभिभावक होंगे अन्ना।
जानकारों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल ने साबित कर दिया है कि अच्छा रणनीतिकार होने के साथ साथ उनमें नेतृत्व की क्षमता भी है। अरविंद अपनी पार्टी बना कर अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं और उनकी अगुआई में जिस तरह लोग अब गोलबंद हो रहे हैं वो निश्चिततौर पर सरकार के साथ-विपक्ष के लिए भी चिंता की बात हो सकती है क्योंकि भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है, जिसके काले दाग से शायद ही कोई पार्टी बची हो।
लेकिन कई ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब अब भी जनता जानना चाहती है। मसलन घेराव खत्म हो गया है, अब आने वाले दिनों में क्या करेंगे केजरीवाल? सोमवार को संसद फिर ठप हो सकती है, अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी हो सकती है, फिर अपने मुद्दे कैसे जिंदा रखेंगे केजरीवाल? सबसे महत्वपूर्ण कि केजरीवाल ऐसा क्या करेंगे कि जनता को लगे कि वो राजनीतिक परिभाषा को ही बदल दें।
एक सवाल अन्ना के सहयोगियों में मतभेद को लेकर भी है। किरण बेदी ने धरने में हिस्सा नहीं लिया। तो क्या ये बिखराव वाले दिनों में आंदोलन को कमजोर नहीं करेगा?


क्या BJP हंगामे से सहमत हैं? सोनिया ने मुलायम से पूछा

बीते कई दिनों से संसद और संसद के बाहर कांग्रेस को घुटनों पर ले आने वाली बीजेपी ने कोल ब्लॉक मुद्दे पर संसद न चलने देने का ब्रह्मास्त्र फेंक दिया है। बुरी तरह घिरी कांग्रेस ने इसके जवाब में झुकने या बचाव करने के बजाय आक्रामक रूख अख्तियार करने की कवायद शुरू कर दी है।
इस बार कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है। एक तरफ जहां उन्होंने बकायादा अपने सांसदों की बैठक कर उन्हें विपक्ष के हमले का जवाब जवाबी हमले से देने को कहा। वहीं उन्होंने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से भी बात की।
लोकसभा 11 बजे शुरू होने वाली थी। तभी सोनिया अपने सीट से उठकर आईं और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह की सीट पर जाकर उनसे बातचीत की। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने बीजेपी जो दोनों सदनों में हंगामा कर रही है उस पर मुलायम का मन जानना चाहा। मुलायम का यही जवाब था कि संसद इस तरह से ठप नहीं होनी चाहिए, ये गैरवाजिब है। इसके बाद सोनिया ने उनका शुक्रिया कहा और वापस अपनी सीट पर आ गईं।
जानकार मान रहे हैं कि ये सोनिया की बीजेपी के खिलाफ जवाबी लामबंदी की कोशिश है। गौरतलब है कि बीजेपी ने पहले कहा था कि हमने मुलायम से भी कोल मुद्दे पर समर्थन के लिए बात की है। हालांकि मुलायम इस बात से बाद में बैकआउट कर गए थे। इस मायने में ये मुलाकात अहम मानी जा रही है।


विवादास्पद है कैग की रिपोर्टः प्रधानमंत्री

‘हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी’ संसद के शोरगुल में बयान देकर बाहर आए पीएम के मुंह से अपने जज्ब़ात बयां करते हुए यही शब्द निकले। कोल ब्लॉक आवंटन पर लगातार पांचवे दिन बाधित हुई संसद की कार्यवाही में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बयान देने के लिए आगे आना पड़ा। संसद के भीतर जब पीएम बयान देने के लिए खड़े हुए तो शोर के बीच उनके शब्दों को सुना न जा सका। ‘बयान नहीं इस्तीफा दो’ बीजेपी और एनडीए के सांसद पूरे वक्त यही नारा लगाते रहे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कोल ब्लॉक आवंटन पर लोकसभा में बयान देने की कोशिश की, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्यों के हंगामे के कारण कुछ भी सुनाई नहीं दिया। बीजेपी सदस्य प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
पीएम ने कोयला मंत्रालय संभालते हुए मंत्रालय के फैसलों की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि मुझ पर लगे सभी आरोप तथ्यों से परे और गलत है। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कोल ब्लॉक आवंटन पर आई सीएजी की रिपोर्ट को भी पीएम ने विवादास्पद करार दिया। पीएम ने अपने 32 प्वाइंट के बयान में कहा कि उनपर जो भी आरोप लगाए गए हैं वो सब बेबुनियाद हैं। उन्होंने ये भी कहा कि सीएजी के आंकड़े विवादित हैं, क्योंकि उन आंकड़ों तक पहुंचने का जो आधार है वो विवादास्पद है।
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि ये पॉलिसी 1993 से चली आ रही है और सबसे पहले यूपीए वन ने ही जून 2004 में कोल ब्लॉक को नीलाम करने की बात सोची थी लेकिन जुलाई 2005 में पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान ने इस नीति को बदलने को लेकर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि अगर राज्यों के फैसलों को दरकिनार किया जाता तो इसे संघीय ढांचे पर प्रहार माना जाता।
पीएम ने कहा कि गड़बड़ियों की सीबीआई जांच जारी है और कोई भी दोषी बच नहीं पाएगा। बीजेपी के विरोध पर पीएम ने कहा कि वह ऐसा सोच समझकर कर रही है। पीएम ने पीएसी और सीएजी की रिपोर्ट को चुनौती देने की बात भी कही। गौरतलब है कि लोकसभा जब पीएम ने अपना बयान देना शुरु किया तो विपक्ष ने जमकर शोर-शराबा किया। इसके बाद पीएम बाहर आए और उन्होंने मीडिया के सामने अपनी सफाई दी।


नीतीश का सुशासन! बिहार के 70 लाख घरों में शौचालय नहीं

बिहार में गरीब परिवारों के लाखों लोग अभी भी शौचालय के बिना गुजारा कर रहे हैं, क्योंकि राज्य सरकार उनके घरों में यह सुविधा मुहैया कराने में विफल रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी सोमवार को दी।
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले 70.57 लाख से अधिक घरों में शौचालय नहीं हैं। पीएचईडी के एक अधिकारी ने कहा, "सरकार का लक्ष्य इस वर्ष राज्य में 10.1 लाख परिवारों को शौचालय की सुविधा मुहैया कराने का है। लेकिन पिछले महीने तक केवल 41,13,545 घरों में ही यह सुविधा मुहैया कराई जा सकी।"
बिहार के पीएचईडी मंत्री चंद्र मोहन राय ने बताया कि यह कठोर सत्य है कि बिहार में गरीब लोगों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाई है, जिस कारण उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार सभी परिवारों को शौचालय मुहैया कराने के लिए कार्य कर रही है।"

बिखर गई है हमारी टीम, अन्ना आएं और संभालें: बेदी

टीम अन्ना की अहम सदस्य रहीं किरण बेदी ने अरविंद केजरीवाल से अपने किसी तरह के मतभेदों से इनकार किया है लेकिन कहा है कि टीम अन्ना बिखर गई है और इसे संभालने के लिए खुद अन्ना हजारे को वापस आना चाहिए।
किरण बेदी ने कहा कि मेरा सिर्फ इतना कहना है कि हमें सिर्फ एक पार्टी पर फोकस करना चाहिए जो पावर में हो। बाद में बाकी पार्टियों के खिलाफ जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये महज मतभिन्नता है जो अरविंद केजरीवाल के अपनी पार्टी का ऐलान करने के बाद ठीक हो जाएंगे क्योंकि ये साफ हो जाएगा कि कौन किस तरफ जा रहा है।
कोयला आवंटन घोटाले पर किरण बेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और इस्तीफ़ा देना चाहिए। हमने अनशन के वक्त भी मांग की थी की SIT गठित हो लेकिन तब कोई पार्टी हमारे साथ नहीं थी।
गौरतलब है कि केजरीवाल ने रविवार को पीएम, सोनिया और गडकरी के घर का घेराव किया था। इससे किरण बेदी सहमत नहीं थीं। उन्होंने कहा था कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर के घेराव की जरूरत नहीं है। लेकिन अरविंद का कहना है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक जैसी हैं। इस मतभेद पर अन्ना ने भी साफ कर दिया था कि वो किरण से पूछेंगे कि आखिर वो घेराव में शामिल क्यों नहीं हुईं?

Monday, August 27, 2012

इमाम साहब उर्फ हंगल अब नहीं रहे

हंगल का सफर दर्जी से एक्टर तक

हंगल का सफर दर्जी से एक्टर तक

ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में इमाम साहब उर्फ रहीम चाचा का प्रसिद्ध किरदार निभानेवाले बॉलीवुड के वयोवृद्ध अभिनेता अवतार किशन हंगल यानी ए.के. हंगल अब नहीं रहे। उन्होंने रविवार सुबह आशा पारेख अस्पताल में अंतिम सांस ली। सियालकोट (पाकिस्तान) में पैदा हुए हंगल ने अपना अधिकांश बचपन पेशावर में बिताया था। वह एक दर्जी के रूप में बड़े हुए, लेकिन रंगमंच के जरिए उन्होंने अपनी प्यास बुझाई।

आखिर चिम्पांजी से अधिक समझदार क्यों है मनुष्य?

मनुष्य बेशक चिम्पांजी से अधिक समझदार है लेकिन इसके लिए उसका बड़े आकार का दिमाग जिम्मेदार नहीं है। एक नए अध्ययन में यह पता चला है कि दिमाग के अधिक विकसित होने के कारण ही मनुष्य का अपने इस पूर्वज के खिलाफ पलड़ा भारी रहता है। मनुष्य और चिम्पांजी के दिमाग की बनावट में कई तरह की समानताएं पाई जाती हैं क्योंकि दोनों एक ही पूर्वज के वंशज रहे हैं लेकिन कई मायनों में मनुष्य का दिमाग चिम्पांजी के दिमाग से बेहतर काम करता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजेलिस ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि मनुष्य के दिमाग में पाए जाने वाले जीन की संरचना इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि मनुष्य के दिमाग का विकास का क्रम चिम्पांजी से भिन्न क्यों रहा है? साथ ही मानव दिमाग के जीन के अध्ययन से ऑटिज्म और सिजोफ्रेनिया जैसी अन्य दिमागी बीमारियों के कारण को समझा जा सकेगा।
प्रोफेसर डेनियल के अनुसार रिसर्च में पता चला है कि मानव और चिम्पाजी के दिमागों में अन्तर की वजह सिर्फ उनका अलग आकार नहीं है जैसा कि वैज्ञानिक अब तक मानते आए हैं बल्कि मुख्य कारण मानव दिमाग का जटिल विकास क्रम है।
दिमाग में उपस्थित टिश्यू की मदद से वैज्ञानिक मनुष्य और चिम्पांजियों के दिमागों में अन्तर के जटिल रहस्यों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।


बीजेपी की ही संस्कृति है ‘मोटा और छोटा माल’: कांग्रेस

नई दिल्ली।कोल ब्लॉक आवंटन में मोटा माल खाने के बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस बिफर गई है। पार्टी ने कहा कि या तो बीजेपी अपने इस आरोप को साबित करे या आरोप लगाने वाली नेता प्रतिपक्ष अपना बयान वापस लें।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि बीजेपी का आरोप गैरजिम्मेदाराना है। हम चुनौती देते हैं कि अगर उनके पास कोई प्रमाण है तो उसे सामने लाए वर्ना अपने बयान को वापस लें। तिवारी ने कहा कि मोटा माल और छोटा माल बीजेपी की ही संस्कृति है, कांग्रेस की नहीं। इसी छोटे माल के चक्कर में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष (बंगारू लक्ष्मण) आज जेल के अंदर हैं।
तिवारी ने कहा कि सत्ता पक्ष बहस के लिए तैयार है जबकि विपक्ष भाग रहा है। दिल्ली में यूपीए को कैग की रिपोर्ट पर दंड और छत्तीसगढ़ में दोहरा मापदंड, ये नहीं चलेगा। कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी दो और दो को पांच साबित करने की कोशिश कर रही है। मोटा माल क्या होता है इसे सुषमा जी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं से उनकी खास निकटता है।


कोल आवंटन में कांग्रेस को ‘मोटा माल’ मिला है

नई दिल्ली। कोल ब्लॉक आवंटन में इस्तीफे की मांग के बीच आज संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान देकर अपनी ओर से सफाई देने की कोशिश की लेकिन बीजेपी को उनकी ये सफाई रास नहीं आई है। उसने पीएम का इस्तीफा मांगते हुए आरोप लगाया है कि कोल ब्लॉक आवंटन में देश को नुकसान हुआ है। कांग्रेस को ‘मोटा माल’ मिला है।
पीएम के बयान पर प्रतिक्रिया देने प्रेसवार्ता में खुद नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज और अरुण जेटली आए और उन्होंने पीएम के बयान को खारिज करते हुए सरकार और कांग्रेस पर हमला बोला। सुषमा स्वराज ने कहा कि संसद में पीएम के बयान के कोल ब्लॉक आवंटन को लेकर हमारे आरोप और पुख्ता हुए हैं। पीएम ने अपने बयान में बार-बार ये श्रेय लिया कि उन्होंने ही कोल ब्लॉक का आवंटन करने की बजाय उनकी नीलामी की नीति बनाई। सुषमा ने कहा कि पीएम ने नीति जरूर बनाई लेकिन उसपर इतनी धीमी गति से काम हुआ कि आठ साल बीतने के बावजूद वे उसे लागू नहीं करवा पाए। आज भी सरकार ये बिल लटकाए हुए है।
सुषमा ने कहा कि कोल ब्लॉक का आवंटन में सरकार को कितनी आपाधापी थी इसका पता इसी से चल जाता है कि 1993 से 2005 तक कुल 70 कोल ब्लॉक आवंटित हुए तो 2006 से 2010 तक इससे दुगुने यानी 142 कोल ब्लॉक आवंटित कर दिए गए। पीएम कहते हैं कि ऐसा तेज ग्रोथ और राजस्व के लिए किया गया। अगर ऐसा है तो कहां है ग्रोथ? कहां है राजस्व। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व तो आया लेकिन सरकार या देश के पास नहीं बल्कि कांग्रेस के खजाने में। कांग्रेस को इस आवंटन में मोटा माल मिला है।
सुषमा ने कहा कि पीएम महज जुबानी जमाखर्च न करें। हमारी मांग है कि कोल ब्लॉक का आवंटन कैंसिल हो और दोबारा नीलामी हो। सुषमा ने कहा कि पीएम कहते हैं कि हजार जवाबों से अच्छी मेरी खामोशी है क्योंकि इससे सवालों की आबरू बच गई लेकिन हम कहते हैं कि जो सवाल उठे हैं अगर उनके जवाब दिए जाते तो प्रधानमंत्री बेआबरू हो जाते।
सुषमा के साथ मौजूद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि पीएम का जवाब संविधान और सांविधानिक संस्था पर प्रहार है। यूपीए सरकार संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार कर उन्हें कमजोर करती रही है। पीएम ने अपने बयान में नैतिकता की जरूरत के साथ भी अन्याय किया है। उन्होंने बयान की शुरुआत में खुद सारी जिम्मेदारी ली लेकिन उसके बाद वे दूसरों पर ठीकरा फोड़ते रहे।
जेटली ने कहा कि पीएम ने अपने बचाव में पांच तर्क दिए हैं। पहला-संसदीय व्यवस्था में नीलामी का कानून बनने में बहुत वक्त लगता। दूसरा-संघीय व्यवस्था के चलते राज्यों के सीएम की सिफारिश के आगे वे मजबूर थे। तीसरा-कानून मंत्रालय बार-बार इसपर अपनी राय बदलता रहा। चौथा-कैग के आकलन में ही खामियां हैं और पांचवां जीडीपी ग्रोथ की चिंता के चलते जल्द हुआ आवंटन।
जेटली ने कहा कि पीएम का कोई भी तर्क मंजूर नहीं किया जा सकता। 28 जून 2004 को नीलामी की बात पहली बार उठी लेकिन पीएमओ ने ही इसका विरोध किया था। पीएमओ ने सितंबर 2004 में नीलामी से नुकसान की पूरी लिस्ट जारी कर दी। जेटली ने कहा कि आवंटन में आपाधापी जीडीपी ग्रोथ के लिए नहीं बल्कि कंपनियों को नीलामी से बचाने के लिए थी। पीएम को दूसरों के सिर ठीकरा फोड़ना शोभा नहीं देता।
जेटली ने कहा कि 2जी के वक्त भी कैग के आकलन को गलत बताया गया था लेकिन अब जब नीलामी हो रही है तो बेस प्राइस ही 14 हजार करोड़ रुपये रखा गया है। अगर इसी मूल्य पर स्पैक्ट्रम बिके तो भी सरकार को एक लाख चालीस हजार करोड़ का फायदा होगा। कोल ब्लॉक का आवंटन भी कैंसिल कर उनकी नीलामी की जाए अपने आप पता चल जाएगा कि नुकसान हुआ है अथवा नहीं। जेटली ने कहा कि अगर कोल ब्लॉक की नीलामी की जाए तो नुकसान का आंकड़ा एक लाख 80 हजार करोड़ को भी पार कर जाएगा।



बजाज पल्सर का नया स्पोर्टी अवतार 'पल्सर 200एनएस’

नई दिल्ली। यंगस्टर्स की सबसे पसंदीदा बाइक ‘बजाज पल्सर’ अब एक नए स्पोर्टी अवतार में बाजार में आई है। नए अवतार में आई ‘बजाज पल्सर 200एनएस’ भारतीय सड़कों पर उतर गई है। बजाज की ये नई बाइक अब देशभर के बाजार में मिलना शुरू भी हो गई है। पहले से कहीं ज्यादा शक्तिशाली इंजन के साथ आई बजाज पल्सर 200एनएस की कीमत 99,220 रुपए है।

IBN7 IBN7 ऑटो [+] 7 और खबरें टॉप ड्राइवः कैसा है टॉप-5 सुपरबाइक्स का दमखम

नई दिल्ली। टॉप ड्राइव पर हर हफ्ते हम आपको ऑटो बाजार की नई हलचल से रूबरू कराते हैं। हम एक ही सेगमेंट की कई कार और बाइक्स को आपस में आंकते भी हैं। उनकी खासियात, उनकी कीमत को ताकि आप चुन सकें अपनी सबसे पसदींदा कार और बाइक। आज हम आपके लिए लाकर आए हैं हुंडई की नई इलेंट्रा। इसी सेगमेंट में होंडा की सिविक पहले से मौजूद है और साथ ही टोयोटा की ऑल्टिस भी।


साबित हुआ ‘सैमसंग ने चुराई एप्पल की तकनीक’

वाशिंगटन। पेटेंट की लड़ाई में एप्पल ने सैमसंग के खिलाफ एक बड़ी जीत हासिल की है। कैलीफोर्निया के एक संघीय जूरी ने सैमसंग को एप्पल के कई पेटेंट्स के सायास उल्लंघन का दोषी पाया और क्षतिपूर्ति के रूप में एप्पल को एक अरब डॉलर से अधिक की धनराशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
सीएनएन के अनुसार, जूरी ने शुक्रवार को अपने फैसले में सैमसंग के दावे पर उसे कोई भी धनराशि प्रदान करने का आदेश नहीं दिया, जिसके तहत उसने एप्पल पर अपने कुछ पेटेंट्स के उल्लंघन के आरोप लगाए थे।
एप्पल ने जहां यह संदेश देने के लिए कि चोरी अच्छी बात नहीं है, न्यायालय की प्रशंसा की, वहीं सैमसंग ने कहा कि इस फैसले को अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए एक नुकसान के रूप में देखा जाना चाहिए। एप्पल ने एक बयान में कहा कि सुनवाई के दौरान पेश किए गए सबूत यह दर्शाते हैं कि हमें जितना पता था, सैमसंग की चोरी उससे कहीं अधिक गम्भीर थी।
सैमसंग ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि इससे चंद विकल्प, अल्प नवाचार, और सम्भावित ऊंची कीमतों की स्थिति बनेगी। एप्पल ने क्षतिपूर्ति के रूप में 2.7 अरब डॉलर का दावा किया था। उसने कहा था कि सैमसंग ने नेक्सस एस 4जी और एस-2 सहित अपने कई उपकरणों के लिए उसके आईपैड और आईफोन की डिजाइनों और सॉफ्टवेयर की चोरी की।
इसके जवाब में सैमसंग ने एप्पल पर अपने पांच पेटेंट्स का उल्लंघन करने का दावा किया था और क्षतिपूर्ति के रूप में 51.90 करोड़ डॉलर की मांग की थी।


IBN7 IBN7 देश [+] 309 और खबरें पतंजलि योगपीठ का चैरिटेबल ट्रस्ट का दर्जा खत्म होगा!

नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव को इनकम टैक्स विभाग का तगड़ा झटका लग सकता है। बाबा रामदेव के ट्रस्ट से चैरिटेबल ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन खत्म किया जा सकता है।
एक अखबार के मूताबिक इनकम टैक्स विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है। रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद रामदेव के ट्रस्ट को मिली सारी सुविधाएं खत्म हो जाएंगी। इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक बाबा रामदेव का ट्रस्ट पतंजलि योगपीठ कॉमर्शियल गतिविधियों में लगा है। साथ ही कमाई करने में जुटा है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक इनकम टैक्स विभाग ने पतंजलि योग पीठ का रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले सौ सवालों की लिस्ट भेजी है। साथ ही ट्रस्ट के खिलाफ भारी जुर्माने के अलावा रजिस्ट्रेशन रद्द करने की भी तैयारी पूरी कर ली है।

पीएम राजा परवेज अशरफ मामला 18 सितंबर तक स्थगित

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ् अली जरदारी के खिलाफ् स्विस रिश्वतखोरी मामले में जांच शुरु करने के लिये स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने से इंकार करने वाले नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ् को आज न्यायालय की अवमानना मामले में सर्वोच्च न्यायालय तलब किया गया जहां इस मामले को 18 सितंबर तक के लिये स्थगित कर दिया गया। गौरतलब है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ, कारण बताओ नोटिस का सामना करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए थे।
कोर्ट ने अशरफ को चेताते हुये कहा कि सिर्फ अदालत में पेश हो जाने से ही कोर्ट की अवमानना की सजा से नहीं बचा जा सकता बल्कि इसके लिये कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करना बेहद आवश्यक है। कोर्ट ने इस मामले पर दोबारा सुनवाई के लिये 18 सितंबर की तारीख मुकर्रर की है।

रूसी जू में बढ़ा भालूओं का हमला, लड़की को किया घायल

मास्को। मास्को के नजदीक एक चिड़ियाघर में भालू ने एक किशोर लड़की पर हमला कर दिया। इसकी जानकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती ने पुलिस के हवाले से दी।
भालू ने 14 वर्षीय इस लड़की पर उस वक्त हमला किया जब वह जानवरों को खिलाने की कोशिश कर रही थी। लड़की के हालत के बारे में अभी जानकारी नहीं है।
रूस के निजी चिड़ियाघरों में इस महीने भालू के हमले की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 10 अगस्त को सुदूर पूर्व आमर प्रांत के एक चिड़ियाघर में एक 12 साल की लड़की पर भालू ने हमला किया था। वह जानवरों को अपने बोतल से पानी पिलाने की कोशिश कर रही थी।

भारत पलायन नहीं कर रहे पाक हिंदू: पाकिस्तानी आयोग

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पलायन के मामले में गठित आयोग का कहना है कि यहां के हिंदू न तो भारत पलायन कर रहे हैं, न ही देश की नागरिकता का त्याग कर रहे हैं।
आयोग ने हिंदू लड़कियों के धर्मपरिवर्तन में शामिल लोगों से उनकी पार्टी की सदस्यता वापस लिए जाने की सिफारिश की है। समाचार पत्र डॉन ने रविवार को एक सूत्र के हवाले से लिखा, '' यह किसी भी रूप में पलायन नहीं है। भारतीय नागरिकता पाना आसान नहीं। लोग संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में बस रहे हैं लेकिन वे अपनी पाकिस्तानी नागरिकता नहीं छोड़ रहे। वह सभी वहां अच्छी नौकरी के लिए गए हैं।'' बड़ी संख्या में हिंदुओं के पाकिस्तान छोड़ भारत पलायन करने की घटना पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने एक आयोग का गठन किया था। सिंध प्रांत छोड़ चुके इन लोगों का आरोप है कि यहां कानून व्यवस्था की हालत खराब है और उन्हें डर है कि उनका बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन किया जा सकता है। आयोग ने हिंदू लड़कियों के धर्मपरिवर्तन में शामिल लोगों से उनकी पार्टी की सदस्यता वापस लिए जाने की सिफारिश की है। आयोग का कहना है कि इनका सम्बंध सत्ताधारी पाकिस्तानी पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) से हो सकता है  और उन्हें अगले चुनाव में टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। सूत्र के मुताबिक लड़की के अपहरण के मामले को अदालत में उसके आखिरी बयान दिए जाने तक सही माना जाना चाहिए। उसने कहा, '' उसे अपने माता-पिता से मिलने दिया जाएगा ताकि वे, उससे बात कर सके और उसी तरह उसका पति भी उससे मुलाकात करे ताकि अगर यह धर्मपरिवर्तन की सच्ची घटना है और उसने प्रेम विवाह किया है तो दुनिया को कोई भी ताकत उसे उसकी इच्छा जाहिर करने से नहीं रोक सकता।'' आयोग का कहना है कि उसके अदालत में पेश होने तक उसे उसके परिवार और पति से दूर रखा जाना चाहिए। आयोग के सदस्यों के बयान के हवाले से एक सूत्र ने कहा , ''हमें इस मुस्लिम देश के जिम्मेदार हिंदू नागरिकों के मन में अलग-थलग पड़ जाने की भावना को समाप्त करने की जरूरत है, इसलिए, उनसे कर देने और कानून के पालन जैसे अन्य मामले में किसी तरह का पक्षपात नहीं किया जाना चाहिए। उनके द्वारा ऐसे विषयों पर आवाज उठाए जाने के बावजूद वह खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं।''

Saturday, August 25, 2012

जेटली ने निकाली चिदंबरम के 'जीरो लॉस' के तर्क की हवा

नई दिल्ली। कोयला खदानों के आवंटन पर सीएजी की रिपोर्ट आने के बाद से पीएम का इस्तीफा मांग रही बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वो अपने रुख में नरमी कतई नहीं लाएगी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने प्रेसवार्ता में कल वित्तमंत्री पी चिंदबरम के जीरो लॉस के तर्क की हवा निकाल दी।
गौरतलब है कि कल वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि निजी कंपनियों को आवंटित 57 कोल ब्लॉकों में से 56 में खनन शुरू भी नहीं हुआ। जब कोयला निकला ही नहीं तो नुकसान कैसा। सरकार का ये , भी तर्क है कि बिजली की बढ़ती मांग और सस्ती बिजली बनाने के लिए ये जरूरी था कि कोल ब्लॉक का आवंटन तुरंत हो, अगर इसकी नीलामी होती तो उसमें समय लगता।

बीजेपी की ओर से चिदंबरम के तर्कों का जवाब देने आए पार्टी नेता अरुण जेटली ने कहा कि वित्त मंत्री पी चिदंबरम कुर्तकों के जरिए गलत को सही ठहरा रहे हैं और जनता को गुमराह करने की असफल कोशिश कर रहे हैं। जेटली ने चिदंबरम के तर्कों की तुलना 2जी घोटाले में कपिल सिब्बल की जीरो लॉस थ्योरी से की।
जेटली ने कहा कि चिदंबरम साहब कहते हैं कि अभी खनन हुआ ही नहीं है तो नुकसान कैसा। मतलब अगर कोयला निकला ही नहीं है तो नुकसान की बात ही कहां आती है। कोई उन्हें बताए कि खनन भले ही न हुआ हो लेकिन खनन होगा और कोयला निकलेगा तो वो सरकार का नहीं बल्कि उस कंपनी का होगा जिसे ब्लॉक आवंटित हुए हैं। सरकार का खनन पर से नियंत्रण तो ब्लॉक आवंटन के साथ ही खत्म हो चुका है। ये ठीक ऐसा ही है जैसे चिदंबरम साहब के बैंक अकाउंट से कोई गैरकानूनी रूप से पैसे निकाल ले। लेकिन चिदंबरम साहब कहें कि उनका नुकसान तो तब होगा जब वो व्यक्ति पैसे खर्च कर देगा।
कोल ब्लॉक का आवंटन हो चुका है। ऐसे में वहां कोयला निकालने का अधिकार उस कंपनी के पास है जिसे ब्लॉक आवंटन हुआ है। जिस कंपनी को कोल ब्लॉक का आवंटन हो गया उसकी बैलेंस सीट में कोयले के दाम आसमान छू जाते हैं। जो कोयला आज जमीन के अंदर है वो अब सरकार का नहीं बल्कि उस कंपनी का है जिसे ब्लॉक आवंटन हुआ है।
जेटली ने कहा कि सरकार कहती है कि बिजली का उत्पादन बढ़े इसलिए जल्दबाजी में कोल ब्लॉक आवंटित किए गए। सरकार की सफाई में ही उसके इस तर्क का जवाब भी छुपा हुआ है। सरकार ने ऐसे लोगों को कोल ब्लॉक आवंटित कर दिेए हैं जिन्होंने पांच साल बीतने के बावजूद खनन शुरू नहीं किया है। ऐसे में कोयला निकलने और उससे बिजली बनने की तो बात ही दूर है।
जेटली ने कहा कि सरकार कह रही है कि सीएजी की रिपोर्ट पहले पीएसी देखेगी और उसकी रिपोर्ट पर कार्रवाई होगी। 2जी घोटाले में पीएसी की रिपोर्ट अब तक नहीं आ पाई है तो क्या तब तक हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा जाएगा।
जेटली ने कहा कि 2जी घोटाले के वक्त कपिल सिब्बल जीरो लॉस की बात कह रहे थे। सरकार का तर्क था कि उसने उचित कीमत(1658 करोड़) पर स्पेक्ट्रम बेचे हैं लेकिन अब खुद उसने नीलामी के लिए 2जी स्पेक्ट्रम की रिजर्व कीमत 14 हजार करोड़ रुपये रखी है। ऐसे में साफ है कि पहले औने-पौने दाम में स्पेक्ट्रम बांट दिए गए।
बीजेपी के ऊपर लग रहे संसद न चलने देने के आरोप पर अरुण जेटली ने कहा कि कभी-कभी संसद न चलने देना देश के लिए फायदेमंद होता है। दिसंबर 2010 में जब संसद ठप हुई थी तो उसका परिणाम राजा, जेपीसी और चार्जशीट के रूप में सामने आया था।
जेटली ने कहा कि अगर बातचीत होती तो वो बातचीत में ही खत्म हो जाती। हम पीएम से इस्तीफा मांग रहे हैं क्योंकि हम सरकार को कोई रास्ता देना नहीं चाहते कि वो पहले संसद में बहस करे, फिर पीएसी में मामला जाए और खत्म हो जाए। 2जी में यही हालत हुई है। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएसी में क्या हुआ सब जानते हैं। पीएम छोड़िए उनके सेक्रेटरी को भी नहीं बुला पाए।
सोशल मीडिया पर लग रहे सरकारी अंकुश पर जेटली ने कहा कि हमें नई तकनीक के साथ जीना सीखना होगा। किसी को ब्लॉक करना या किसी तरह का अंकुश अच्छा आइडिया नहीं है।
लोकपाल के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि लोकपाल पर सबसे ज्यादा लड़ाई बीजेपी ने लड़ी है। संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह। इसपर कोई कहे कि हम सीरियस नहीं है तो ये उसका मत हो सकता है। टीम अन्ना ने राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया है। वो आदर्शवाद से रोमांचवाद की तरफ जा रही है।

2जी घोटाले में चिदंबरम पर नहीं बनता केसः सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को राहत देते हुए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ सहआरोपी बनाने की मांग खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी और न्यायमूर्ति एस.के. राधाकृष्णन की पीठ ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री आरोप साबित नहीं करती। देश की राजनीति काफी हद तक इस फैसले से जुड़ी हुई थी। संसद में जारी गतिरोध के बीच सरकार और चिदंबरम दोनों के लिए बड़ी राहत है। विपक्ष जिस तरीके से कोल ब्लॉक आवंटन और उस पर सीएजी की रिपोर्ट को लेकर सरकार पर हमलावर था वह इस फैसले के बाद कुछ हद तक कुंद हो सकती है।
स्वामी ने निचली अदालत के चार फरवरी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने अपने आदेश में चिदंबरम को सहआरोपी बनाने और उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग खारिज कर दी थी। जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मयम स्वामी और गैर सरकारी संस्था सीपीआईएल ने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2जी स्पैक्ट्रम की नीलामी मामले में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते ए राजा के साथ हुई मीटिंग को ही उनके सह-आरोपी होने का आधार नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को सबूत के तौर पर नाकाफी बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

सुबह साढ़े दस बजे शुरू हुई सुनवाई में कोर्ट ने माना कि राजा और चिदंबरम के बीच हुई बैठक भर को किसी षणयंत्र से नहीं जोड़ा जा सकता या इसके आधार पर ही यह नहीं तय हो सकता है कि चिदंबरम ने अपने पद का इस्तेमाल करके देश को नुकसान पहुंचाया। फैसले में कोर्ट ने दायर की गई दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। चिदंबरम के खिलाफ जांच की याचिका को भी कोर्ट ने मंजूर नहीं किया।
कोर्ट ने माना कि तथ्यों से किसी भी तरह यह साबित नहीं हो सका कि चिदंबरम को टेलीकॉम आवंटन में चिदंबरम ने पद का दुरुपयोग किया हो या उन्हें धन संबंधी लाभ पहुंचा हो। वहीं, स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत निर्णय बताते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी तरह के षणयंत्र में चिदंबरम के संलिप्तता की बात की ही नहीं। मुझे किसी भी तरह के आपराधिक प्रायोजन को साबित करना भी नहीं था, मैंने तो सिर्फ यह कहा कि इससे राष्ट्र को नुकसान पहुंचा है।
स्वामी ने यह भी कहा कि कोर्ट को फैसला दलीलों पर आधारित नहीं है। कोर्ट का फैसला उन चीजों पर आधारित है जिसपर कि बहस की ही नहीं गई। स्वामी ने चेताया कि यह फैसला सरकार के खिलाफ जाएगा। यह मत सोचिए कि यहां किसी तरह के जांच की जरूरत है। मौजूदा सबूतों के आधार पर ही चार्जशीट दायर की जा सकती है।

याचिकाकर्ता सुब्रह्मयम स्वामी ने कहा कि वह अभी फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद आकलन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश किए गए सबूतों से चिदंबरम के किसी षणयंत्र में शामिल होने की बात पुख्ता नहीं होती है। स्वामी ने कहा कि वह राष्ट्र के नुकसान की बात कहते रहे हैं और इसी पर आगे बढ़ेंगे।
सरकार की ओर से नारायणसामी ने कहा कि स्वामी का काम ही सरकार के खिलाफ याचिका डालना है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस वक्त वो हताश हैं। 

10,000 रुपये से कम के टॉप 5 बजट एंड्रॉयड टैबलेट

नई दिल्ली। यहां प्रस्तुत हैं टैबलेट खरीदने के लिए मौजूद कुछ सबसे बेहतरीन ऑफर।
कुछ समय से, भारतीय बाजारों में बड़े और छोटे निर्माताओं द्वारा बजट के अनुकूल एंड्रॉयड टैबलेट्स की जैसे बाढ़ ही आ गई है। यद्यपि यह कम कीमत वाली डिवाइसें है, इनमें से कई टैबलेट्स अपने पर खर्च हुई हर पैसे की पूरी कीमत वसूल करवाते हैं।
तो अगर आप भी बजट टैबलेट लेना चाहते हैं, तो यहां पेश हैं 10,000 रुपये से कम कीमत वाले ऑनलाइन उपलब्ध बजट टैबलेट सौदे जो पूरी तरह से पैसा वसूल करवाएंगे। यहां उल्लेखित कीमतें भारत के विभिन्न ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स पर उपलब्ध कीमतों के लगभग बराबर ही हैं।
आइबेरी ऑक्स एएक्स02
हालांकि, आइबेरी ऑक्स एएक्स02 के बाजार में उतरने में कुछ देरी जरूर हुई है लेकिन इसकी किफायती कीमत और फीचर्स से भरपूर प्रोडक्ट्स के चलते, इसे कुछ ही महीनों में बहुत प्रसिद्धि मिल गई है।
आइबेरी ऑक्स एएक्स02 आइब्लैकबेरी का अभी तक का पहला एंड्रॉयड आइसीएस वाला डिवाइस है और कंपनी ने इसके द्वारा अपने लक्ष्य भेद लिया है। आइबेरी ऑक्स एएक्स02 में 800 गुणा 480 पिक्सल रिजॉल्यूशन के साथ 7इंच का केपिसिटिव टच स्क्रीन है। डिसप्ले पांच पाइंट मल्टी टच इनपुट पर कार्य करता है इसलिए यह पिंच-टू-जूम प्रक्रिया को सपोर्ट करता है।
इसमें कोर्टेक्स ए8 आर्चिटेक्चर आधारित 1एमएचजेड का प्रोसेसर और बेहतरीन दृश्य क्षमता के लिए डेडिकेटिड डुअल कोर माली ग्राफिक्स प्रोसेसर है। इसमें 1जीबी की डीडीआर2 रैम है जो आइसीएस पर एप्पस चलाने के लिए पर्याप्त है इसकी 4जीबी की इंटरनल मेमोरी को माइक्रो एसडीएचसी कार्ड्स की सहायता से 32जीबी तक बढ़ाया जा सकता है।
डाटा कनेक्टिविटी के लिए, आइबेरी ऑक्स एएक्स02 में यूएसबी डोंगल की सहायता से वाइफाइ और 3जी कनेक्शन का विकल्प है। इस टैबलेट में एचडीएमआई पोर्ट भी है जिसके द्वारा यूजर्स टैबलेट को टीवी से जोड़ सकते हैं। यह एंड्रॉयड टैबलेट घूमते फिरते हुए भी शानदार मनोरंजन के लिए विविध प्रकार के संगीत और वीडियो फॉर्मेट्स को सपोर्ट करता है।
इसमें वीडियो चैट के लिए एक ङ्कजीन् (0.3 मेगापिक्सल) फ्रंट फेसिंग कैमरा है जबकि इसके 3 मेगापिक्सल के रियर कैमरे से आप, वीडियो भी बना सकते हैं।
एचसीएल मी टैब यू1 (7,490 रुपये)
मी टैब के 7 इंच डिसप्ले आधारित टैबलेट में नवीनत्तम एंड्रॉयड 4.0 आईस क्रीम सैंडविच या आइसीएस ऑपरेटिंग सिस्टम है। डिसप्ले के 800&480 पिक्सल रिजॉल्यूशन के साथ 5 पाइंट केपेसिटिव टच इनपुट सिस्टम भी है। इस टैबलेट में 1जीएचजेड आर्म कार्टेक्स ए8 प्रोसेसर और 512 एमबी रैम है। हालांकि रैम पर्याप्त मात्रा में है फिर भी डिवाइस का यूजर इंटरफेस हल्का हो जाता है और यह एप्पलीकेशन्स शुरू करने समय धीमा हो जाता है। टैबलेट में 0.3 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा है जो वॉयस चैट करने में शानदार है लेकिन इसमें रियर कैमरा नहीं है। साथ ही इसे दमदार बनाने के लिए इसमें 3600 एमएएच की बैटरी है, 3जी कनेक्टिविटी के प्रयोग के लिए डाटा और सेल्युलर डोंगल का उपयोग किया जा सकता है।
टैबलेट में एंड्रॉयड मार्केट (जिसे अब गूगल प्ले स्टोर के नाम से जाना जाता है) के लिए एक्सेस नहीं है इसलिए यूजर्स को एंड्रॉयड एप्पलीकेशन्स ऑनलाइन नहीं मिल सकेंगी। इसकी जगह, कंपनी ने एचसीएल मी एप्प स्टोर के लिए डिवाइस एक्सेस दिया है जहां से यूजर्स एप्पलीकेशन्स डाउनलोड कर सकते हैं जिनमें से मी टैब पर काम करने के लिए सावधानी से चुन कर ऑप्टिमाइज्ड किया जा सकता है।
7,999 रुपये की कीमत वाले एचसीएल मी टैब यू1 के साथ भारत की प्रमुख आइटी दिग्गज कंपनी एचसीएल 1 वर्ष की वारंटी और तकनीकी सहायता देती है। हालांकि यह टैबलेट इनफीबीम पर 7,490 रुपये में उपलब्ध है जहां डिवाइस के साथ कैरी पाउच और क्लियरट्रिप वाउचर भी मिलेगा।
लावा ई टैब जेड7एच (5,499 रुपये)
लावा ई टैब जेड7एच लावा मोबाइल्स का पहला एंड्रॉयड 4.0 आधारित टैबलेट है। इस डिवाइस में 800 गुणा 480 पिक्सल रिजॉल्यूशन सहित 7 इंच का केपिसिटिव टचस्क्रीन है। इसमें1.2 जीएचजेड का प्रोसेसर, 512 एमबी रैम और 4जीबी की इंटरनल मेमोरी है। इसमें सिर्फ फ्रंट फेसिंग वीजीए कैमरा और डॉन्गल की सहायता से 3जी सपोर्ट है। इसमें 2800 एमएएच की बैटरी भी लगी है।
लावा ई टैब में 14 ई-बुक्स हैं, जिनकी कीमत 4,000 रुपये है, लेकिन यह टाटा मैक्ग्रा हिल द्वारा मुफ्त दी गई हैं। इस टैबलेट द्वारा हंगामा.कॉम से 1,250 रुपये का कॉन्टेंट मुफ्त एक्सेस किया जा सकता है जिसमें छह फिल्में और बहुत सारा संगीत शामिल है।
लावा ने टाटा फोटोन (टाटा डोकोमो) के साथ करार किया है जिसके बाद टाटा फोटोन+ (टाटा फोटोन+) डोंगल 750 रुपये में उपलब्ध है जिसमें पहले महीने में 6जीक्च मुफ्त डाटा और इसके बाद किसी भी अनलिमिटेड पैक पर 12 महीने तक हर महीने 100 रुपये की छूट शामिल है। देखा जाए तो यह टैबलेट बजट कीमत पर तो है ही लेकिन इसके साथ मनोरंजन के लिए बहुत से मुफ्त उपहार भी मिल रहे हैं।
यह टैबलेट फ्लिपकार्ट.कॉम पर 5,499 रुपये में सभी मुफ्त उपहारों सहित उपलब्ध है इसके साथ ही फ्री होम डिलीवरी सहित 30 दिन का मनी बैक ऑफर भी है।
इंटेक्स आईटैब (8,399 रुपये)
इस साल के मार्च में लांच हुए इंटेक्स के आईटैब को बहुत लोगों ने पसंद किया।
टैबलेट पुराने एंड्रॉयड 2.3 ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ अपडेटेड एडोबी फ्लैश प्लेयर 11 के साथ आता है। आईटैब 1 गीगाहर्ट्ज के कोर्टेक्स ए8 आर्केटेक्चर आधारित प्रोसेसर से संचालित है जिसको 1 जीबी की डीडीआर3 रैम सपोर्ट करती है। इसमें 8 इंची कैपेसिटिव फाइव प्वाइंट टच स्क्रीन डिसप्ले है जो कि यूजर आसानी से सभी अंगुलियों से जूम इन और आउट की सुविधा देता है। 360 डिग्री का जी-सेंसर फीचर इसको डिसप्ले आधारित बनाता है, यह इस पर निर्भर करता है कि यूजर इसको कैसे रखता है।
इंटेक्स आईटैब में 8 जीबी की मेमोरी क्षमता है जिसको 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है। यह अपने पूरे आकार के यूएसबी पोर्ट की सहायता से 100 जीबी की बाहरी हार्ड डिस्क को सपोर्ट करता है। इंटेक्स आईटैब 5000 एमएएच की बैटरी से संचालित है, जो कि कंपनी के दावे के अनुसार 5-6 घंटे (वाईफाई के साथ) का बैकअप देती है। ।
कनेक्टिविटी विकल्प जिसमें इन-बिल्ट वाईफाई सपोर्ट शामिल है। कोई भी डोंगल की सहायता से 3जी नेटवर्क को भी चुनकर कनेक्ट रह सकता है। इसमें फ्रंट कैमरा है तथा विडियो कॉल्स के लिए बिल्ट इन मिक के साथ 3.5 मिमी का ऑडियो जैक आउट लगा है। इंटेक्स आईटैब 8,399 रुपये में इनफीम पर फ्री होम डिलवरी के साथ मौजूद है।

फेसबुक कर्मचारियों को एंड्रॉयड के लिए कर रहा बाध्य!

नई दिल्ली। फेसबुक कर्मचारियों को एंड्रॉयड ओेएस तथा एप्लीकेशन को उपयोग करने के लिए बाध्य किया जा रहा है, ताकि एप्पलीकेशन की क्वालिटी को सुधारा जा सके।
एंड्रॉयड एप्पलीकेशन की क्वालिटी को सुधारने के क्रम में फेसबुक ने अपरंपरागत रणनीति को अपनाया है। अब फेसबुक ने अपने सभी कर्मचारियों को स्मार्टफोन के द्वारा सोशल नेटवर्क को एक्सेस करते समय केवल एंड्रॉयड आधारित डिवाइसों को इस्तेमाल करने के लिए बाध्य किया है।
बिजनेस इनसाइडर की खबर के मुताबिक, ग्लोबल नेटवर्किंग की विशाल कंपनी के कुछ पूर्व फेसबुक कर्मचारी तथा इन नीतियों से वाकिफ लोगों ने कार्पोरेट हिदायत का खुलासा किया है। ऐसे कर्मचारी जो अभी तक फेसबुक को एक्सेस करने के लिए एप्पल आईओएस आधारित डिवाइस का इस्तेमाल करते थे, उनको सख्त हिदायत दी गई है कि वे केवल एंड्रॉयड आधारित डिवाइसों का इस्तेमाल करें।
कंपनी का विश्वास है कि कर्मचारी जिन समस्यायों का सामना करेंगे, वैसे ही विश्व भर के एंड्रॉयड यूजर्स करते हैं, तब वे महसूस करेंगे और समस्या की ओर पूरे दिल से काम करना शुरू कर देंगे। हालांकि यह असभ्य कदम लगता है, लेकिन अभी तक एप्पीलेकशन की खराब क्वालिटी से जूझ रहे एंड्रॉयड फेसबुक यूजर्स की समस्यायों के समाधान के लिए तर्कसंगत समाधान नजर आता है।

5 इंची एंड्रॉयड स्मार्टफोन वाम्मी नोट 11 हजार में लांच

नई दिल्ली। विक्ड लीक वाम्मी नोट 1 गीगाहर्ट्ज के प्रोसेसर, 512 एमबी की रैम, 8 मेगापिक्सल का पीछे की ओर कैमरा, 1.3 मेगापिक्सल का आगे की ओर कैमरा और 32 जीबी तक बढ़ने वाली मेमोरी के साथ आता है।
विक्ड लीक ने बाजार में नए एंड्रॉयड स्मार्टफोन को लांच किया है। वाम्मी नोट नाम का स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है तथा 5 इंच की बड़ी टच स्क्रीन से लैस है। स्मार्टफोन की कीमत 11,000 रुपये है।
फोन की 5 इंची टच स्क्रीन 800 & 480 के पिक्सल रेजोल्यूशन के साथ आती है तथा यह एंड्रॉयड आईसीएस ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलता है। यह 1 गीगाहर्ट्ज के प्रोसेसर से संचालित है तथा 512 एमबी की रैम के साथ आता है और इसकी मेमोरी को भी माइक्रो एसडी कार्ड की सहायता से 32 जीबी तक बढ़ाया जा सकता है।
वाम्मी नोट में 8 मेगापिक्सल का कैमरा लगा है जिसमें फ्लैश के साथ आटो फोकस और ब‌र्स्ट फीचर के साथ मौजूद है। यह विडियो भी रिकार्ड कर सकता है तथा इसमें 1.3 मेगापिक्सल का फ्रंट फेसिंग कैमरा भी है।
कनेक्टिविटी के मोर्चे पर, इसमें ब्लुटूथ, वाईफाई और 3जी, टिथरिंग हॉटस्पाट है तथा यूएसबी पोर्ट व माइक्त्रो कार्ड स्लॉट के साथ आता है। वाम्मी नोट में जीपीएस, एनालॉग टीवी और एफएम रेडियो भी है।
डिवाइस का आकार 144 & 89 & 12मिमी है तथा इसमें 2,500 एमएएच की बैटरी है जिसके बारे में कंपनी का दावा है कि यह 8 घंटे का टॉक टाइम तथा 260 घंटे का स्टैंडबाई देती है। वाम्मी नोट काले और सफेद रंगों में उपलब्ध है।
वाम्मी नोट 30 अगस्त से विक्ड लीक की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा।

देखें: दुनिया में इस इंसान से लचीली स्किन किसी की नहीं


तोप की गूंज पर मुसलमान भाई खोलते हैं रोजा!


रायसेन। मध्यप्रदेश के रायसेन जिला मुख्यालय पर रमजान के पवित्र महीने में तोप की गर्जना के साथ मुसलमान भाई सहरी और रोजा इफ्तार करते हैं। यह देश में अपनी तरह की अनूठी परंपरा है।
नवाबों के शासनकाल में रायसेन में रमजान महीने में तोप की गर्जना के साथ सहरी और रोजा इफ्तार की परंपरा शुरू हुई थी जो आज भी कायम है। जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर द्वारा हर साल रमजान के महीने में तोपे चलाने और उसके लिए बारूद खरीदने कि लिखित अनुमति मुस्लिम त्यौहार कमेटी को निर्धारित समय के लिए प्रदान की जाती है।

हाथी भी गा सकते हैं गाना, पर इंसान नहीं सुन सकते

लंदन। नर हाथी गा सकते हैं, लेकिन उनकी ध्वनि बहुत कम होती है, जिसे इंसान नहीं सुन सकता। इस संगीतमय ध्वनि का इस्तेमाल वे अपने साथियों को ढूंढ़ने तथा एकजुट करने में करते हैं। साइंस पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, इस बेहद धीमी आवाज के साथ हाथी करीब 10 किलोमीटर की दूरी तक एक-दूसरे से संवाद करते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, हाथियों की यह ध्वनि 20 हट्र्ज की होती है, जो इंसान के गाने के लिए सामान्य नहीं है, लेकिन दोनों समान तरीके से यह ध्वनि उत्पन्न करते हैं। जब कोई इंसान गाता है तो कंठ से निकलकर ध्वनि हवा के माध्यम से प्रसारित होती है

मंगल ग्रह

नई दिल्ली। मंगल वो ग्रह जिसे लेकर इतने मिथक हैं जितने आज तक सौरमंडल के किसी और ग्रह को लेकर कभी नहीं बने। सिर्फ भारत में कई जोड़ों की मुहब्बत इसलिए चौपट हो जाती है कि क्योंकि ज्योतिषि किसी एक की कुंडली में मांगलिक दोष बताकर जान जाने तक की घोषणा कर डालते हैं लेकिन आज के दौर में ये सब बातें बौनी पड़ती जा रही हैं हालांकि इसके अलावा भी मंगल को लेकर कई और बड़ी धारणाएं हैं।
मंगल ग्रह वो ग्रह जिसके बारे में हिंदुस्तान से लेकर सात समंदर पार तक कई धारणाएं हैं। लेकिन सबसे पहले इस पर ग्रीस में एक धारणा बनी। ग्रीक मिथक कहानियों में मार्स यानी मंगल का रंग लाल यानी खून के जैसा होने की वजह से इसे युद्ध का देवता कहा गया। मंगल सूर्य का चौथा और आकार के हिसाब से सातवें नंबर का ग्रह है। यहां तक की मार्च महीने का नाम भी इसी ग्रह के नाम पड़ा है।

एप्पल ने जीता केस, सैमसंग पर जुर्माना

सैन जोस [कैलिफोर्निया]। अमेरिका की एक जूरी ने दुनिया की सबसे बहुमूल्य कंपनी एप्पल के महत्वपूर्ण फीचर्स कॉपी करने के दोष में कोरियाई कंपनी सैमसंग पर एक अरब डॉलर से अधिक [लगभग साढ़े पाच हजार करोड़ रुपये]का हर्जाना लगाया है।
जूरी ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा कि सैमसंग एप्पल को 1.051 अरब डालर का हर्जाने दे। जूरी ने कहा कि कि सैमसंग ने एपल के कुछ पेटेंट्स का उल्लंघन भी किया है। इस फैसले से स्मार्टफोन बनाने वाली सैमसंग को तगड़ा झटका लगा है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की बौद्धिक संपदा के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
नौ सदस्यीय जूरी ने कैलिफोर्निया के सैन जोस फेडरल कोर्ट में करीब कई सवालों पर विचार किया। जूरी ने फैसले में कहा कि सैमसंग के कई उपकरणों में एप्पल के सॉफ्टवेयर और डिजाइन पेटेंट्स का उल्लंघन हुआ है। जूरी ने सैमसंग के उस दावे को खारिज कर दिया कि एप्पल ने उसके पेटेंट्स का उल्लंघन किया है और उसके हर्जाने की माग को भी ठुकरा दिया है।
इस फैसले के बाद एप्पल अमेरिका में सैमसंग के कुछ उपकरणों के आयात पर पाबंदी की माग भी कर सकता है। आई फोन बनाने वाली कंपनी एप्पल ने सैमसंग से 2.5 अरब डॉलर का हर्जाना मागा था। एपल ने सैमसंग पर व्यापारिक नियमों के उल्लंघन के अलावा उसके सात पेटेंट्स की चोरी का भी आरोप लगाया था।
सैमसंग ने इन आरोपों से इंकार किया था। पलटवार करते हुए सैमसंग ने एप्पल से करीब 52 करोड़ डॉलर का हर्जाना मागा और आरोप लगाया कि एपल ने उसके पाच पेटेंट्स का उल्लंघन किया है।

सर्पदंश


वाराणसी। सर्पदंश से इंसानों की मौत की खबरें तो आती रहती हैं लेकिन किसी को डसने के बाद सांप खुद दम तोड़ दे एवं प्रभावित इंसान जिंदा रहे, यह कौतूहल का विषय बना हुआ है।
कपसेठी थाना क्षेत्र के सरुलहा गांव में 14 वर्षीय पुष्पा पटेल शौच के लिए सीवान गई थी। वहां उसे सांप ने डस लिया। किशोरी घबरा गई लेकिन कुछ देर में सांप छटपटाने लगा। देखते ही देखते उसकी मौत भी हो गई।

कभी-कभी गलती भी आपकी किस्मत चमका जाती है

 

बॉस्टन। कभी-कभी गलती भी आपकी किस्मत कैसे चमका जाती है, इसका जीता-जागता उदाहरण अमेरिका के दक्षिणी बॉस्टन शहर में देखने को मिला। एक खबर के मुताबिक, दक्षिणी बॉस्टन के रहने वाले एक मेसाचुसेट्स लॉटरी खिलाड़ी ने एक गेम में 1 मिलियन डॉलर जीते हैं और वो भी तब जब वो उसे खेलना ही नहीं चाहता था।
यूएसएटूडे डॉट कॉम के अनुसार, दक्षिणी बॉस्टन के टॉन्टन इलाके के रहने वाले लॉटरी खिलाड़ी रिचर्ड ब्रॉउन ने सोमवार की सुबह एक गैस स्टेशन पर बेची जा रही ‘ब्लू आइस 7’ गेम की टिकट मांगी, लेकिन काम से परेशान स्टेशन मैनेजर ने उसे पांच डॉलर की ‘सिजलिन 7’ गेम की टिकट थमा दी। ब्रॉउन ने बेमन से टिकट लिया और गेम खेला। किस्मत से उसकी झोली में एक मिलियन डॉलर आ गए।

 

भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है

बीजिंग। कहावत है कि भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़कर देता है। जी हां, चीन के एक मछुआरे की किस्मत को देखें तो यह कहावत सौ आना सच है। चीन के एक मछुआरे ने फुजियान प्रांत के तट पर पानी में ऐसा जाल बिछाया कि किस्मत उसके जाल में फंस गई और यह किस्मत थी चाइनीज बहाबा मछली। मछुआरे के जाल में लगभग 26.22 लाख रुपये कीमत की बेहद खतरनाक और काफी बड़ी बहाबा मछली जिसे येलो क्रॉकर भी कहा जाता है, फंसी।
टेलीग्राफ डॉट को डॉट यूके ने फुजियान के एक स्थानीय न्यूजपेपर के हवाले बताया कि 176 पाउंड वजन की इस बहाबा मछली को बोली प्रक्रिया में एक मछली व्यापारी ने 3 लाख युआन में खरीदा। बहाबा मछली को पकड़ने वाले मछुआरे का कहना है कि उसे बहाबा सतह पर तैरती हुई दिखी और उसने उसे पकड़ लिया। मछली बिकने के बाद मछुआरे ने कहा कि वो इस पैसे से एक बड़ी नाव खरीदेगा।

टॉयलेट बाइक नियो

फुजीसावा। जापान की टॉयलेट बनाने वाली कंपनी टोटो ने गुरुवार को ‘टॉयलेट बाइक नियो’ पेश की। 250 सीसी की यह बाइक इको फ्रेंडली होने के साथ तीन पहियों वाली है। बाइक की सीट को टॉयलेट का आकार दिया गया है। यह बाइक बायो फ्यूल से चलेगी।

एलियंस और यूएफओ


न्यूयॉर्क। एलियंस और यूएफओ हमेशा से कौतूहल और शोध का विषय रहे हैं। पांच अगस्त को मंगल ग्रह पर भेजे गए नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने कुछ ऐसी तस्वीरें भेजी हैं जिनसे ये यूएफओ एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। मंगल की सतह गेल क्रैटर पर पहुंचने के कुछ देर बाद ही क्यूरियोसिटी रोवर ने एक ऐसी तस्वीर भेजी जिसमें मंगल के आकाश में धूल भरी आंधी की तरह की चीज दिखाई दे रही है लेकिन ठीक इस तस्वीर के 45 मिनट बाद भेजी गई क्यूरियोसिटी की तस्वीर से वे धब्बे गायब थे।
हफिंग्टनपोस्ट डॉट कॉम के अनुसार, यूएफओ को पहचानने वाले लोगों का दावा है कि ये धब्बे दरअसल एलियंस (दूसरे ग्रह के वासी) के अंतरिक्षयान (यूएफओ) हैं जो अंतरिक्ष में मानव के कदमों पर नजर रख रहे हैं। क्यूरियोसिटी ने इसके अलावा मंगल ग्रह के आकाश में एक घूमती हुई सफेद रोशनी की भी तस्वीर भेजी है। यह रोशनी अभी तक कौतूहल और रिसर्च का विषय बनी हुई है।

Wednesday, August 22, 2012

Real Beauty

Beauty is a gift. Blessing given by nature. There color is pink because it is gentle to the eyes, soft, silky and gives a feeling. Just Facial beauty is not everything. The beauty is reflected in the personality, the perfect beauty. Outer beauty is only attractive when inner beauty shine upon it. Due to its attractive and charming personality it has become a common face too much. Beauty is in everyone. Someone's face, Nain - are to get a good touch someone gives voice to our heart strings. Would like to talk to anyone forget someone smile gives thousands gum. 

गाँधी के उत्तराधिकारी (एक विद्रोही लेख )



आज सम्पूर्ण भारतीय राष्ट्र ,भ्रष्टाचार,आतंकवाद,महंगाई,नक्सलवाद,माओवाद ,अशिक्षा,बेरोजगारी,भ्रूण हत्या ,साम्प्रदायिक दंगो ,कुपोषण, बाल श्रम , बाल तस्करी ,स्त्री देह व्यापार , पूंजीवाद के साइड इफेक्ट , घोटालों  ,आर्थिक विभीषिका ऐसे कितनी मूल समस्याएँ  या यूँ कह लीजिये की कोढ़ सी तिक्त महामारी से ग्रस्त है ! जिसके सामाजिक उन्मूलन के लिए यदि किसी भी भारतीय से किसी एक समस्या की नितान्ता को तरजीह देने को कहा जाए तो ,शायद  वह निरुत्तर ही रह जाए !
समस्याओं का ग्राफ इतना जटिल और विशाल है की 121 करोड़   भारतीय यदि एक साथ एक जुट भी हो तो ,इससे लड़ने में लम्बा वक्त लगेगा !
क्या ऐसे ही भारतीय समाज के उत्थान का स्वप्न देखा था गाँधी जी ने ?  प्रशन उठता है , की यदि भारतीय राष्ट्र ,समाज ,नेता ,नागरिक ,संस्था हर वो व्यक्ति विशेष जो अपने मानस पटल पर महात्मा गाँधी को एक राष्ट्रपिता के रूप में रेखांकित किये बैठा है ,वो कंहा तक गाँधी के आदर्शो और सिद्दांतों  से एक व्यापक सम्बन्ध रखता है !
क्या हमने अपना एक चुटकी योगदान भी देश के विकास या उसके दर्द निवारण में दिया !
यंहा हर मोर्चे पर लड़े जाने की जरुरत है , देश के बहार घात लगाये बैठे दुश्मनों से भी खतरनाक घर में छुपे अक्ल के अकाल से ग्रस्त लोग है !यह अत्यंत शर्मनाक है की मुट्ठी भर अन्ना और रामदेव जैसे जागरूक सामाजिक निर्माणकर्ताओं को हम कुम्भकरणों की फौज को जगाने की विफल कोशिश करनी पड़ती है !
यह हमारे आचरण का फूहड़पन ही कहिये की दुराचरण, और दुष्टजन देशद्रोही चोर नेताओं की चापलूसी में लगे है !,हम बस किसी राजनैतिक पार्टी ,संस्था ,किसी एक मान्यता या विचारधारा के गुलाम है !
हमारी पहचान भारतीयता पर हमने खुद ही ऐसे बदजात ,बदनुमा थक्को और धब्बो का कालापन मढ़ा है ! हम तलवे चटुखोरों की अपनी कोई सोच या विचारधारा नहीं !
हमारी चमड़ी को कोई दर्द भेदता ही नहीं ,दिल बहरा बंजर ,और आँखे पाषाण असंवेदनहीनता  की शिकार है !
और सबसे बड़ी हास्यापद स्थिति यह की हम कुछ ज़िंदा देशभक्तों के आंदोलनों और आचरण का सूक्षम पोस्टमार्टम कर रहे है !
जबकि हमें निठल्ले,कामचोर, घोटालेबाज , महंगाई और भ्रष्टाचार के दामाद नेताओं का सघन काला कारनामा नजर ही नहीं आता !
क्या आप अपने आप को गाँधी का उत्तराधिकारी या भरतपुत्र होने की संज्ञा दे  सकते है !  कदापि नहीं , अपने आप को भारतीय कहने और भारतीय होने के झूठे ,बनावटी  दिखावे भर  से बहार निकलिय !
यह स्थिति बड़ी शर्मनाक और भयानक है की आज चार अक्षर ककहरा पढ़ कर हर भारतीय चारित्रिक निर्माण की उपेक्षा अपने ही नैतिक ,सामाजिक,आर्थिक पतन की और अग्रसर है !
लोकतंत्र के आधार को बचाने वाली मीडिया भी इसी अंधकूप में भटकी हुई है !  उसकी सुक्षमदर्शी समीक्षा आंदोलनों की बारीक से बारीक त्रुटियों को अंडरलाइन करने के घमंडी और नासमझ, नादान ,गवार प्रयास को अपने नैतिकता की प्रमाणिकता और जिम्मेदार स्तम्भ  के रूप में प्रस्तुत करती है ! यह कैसा राष्ट्रनिर्माण और जिम्मेदारी का निर्वाहन है !
साल भर से ज्यादा समय से चलने वाले एक आन्दोलन ,जिसने लगभग प्राथनाओं,अनशन,विभिन्न व्यवस्थाओं,प्रारूपों के विभिन्न चरणों को बड़ी शालीनता और सूझ-बुझ से निभाया हो , उसकी ईमानदारी और आंतरिक मंशा पर कोई भी प्रशन उठाना खुद के देशद्रोही होने का सबूत है !

वह खुद को सांप्रदायिक,धार्मिक , की संकीर्ण दकियानूसी विवादों में उलझाए हुए है ! उसकी निजी उद्देश्य को  देश हित का जामा पहना देश को दंगो की भट्टी पर रख तोड़ने का काम किया है !
हमें अपने मतलब से फर्क पड़े तो सोचे देश की , हमें तो किसी बिल्ली-कुत्ते की बोटी की लड़ाई सी आपसी खिचातन से ही मतलब है
क्यों हम अपनी ही जड़े काट रहे हैं ! क्या हमारा राजनैतिक अहम् इतना अहम् हो सकता है की हम अपनी मात्रभूमि की निर्मलता और उज्जवल उत्थान को ताक पर रख देंगे ! क्या हम कभी इस कुचक्र से बाहर नहीं निकल सकते ! जिसके निर्माणकरता हम ही है ! जब देश हम से बना है , तो इसमें व्याप्त समस्या भी तो हमारी जनी है !
फिर मुश्किल  कँहा है ! मुश्किल हमारी पहचान, हमारी वफादारी में है , हम देश से पहले किसी धर्म,पार्टी ,वर्ग ,रंग, से पहचाने जाते है !
भारत वंशजों और महात्मा गाँधी को अपना राष्ट्रपिता कहने वाले हर बूढ़ा,बच्चा,जवान,स्त्री,संस्था,नेता,मिडिया,
कलाकार,साहित्यकार,पत्रकार, हर वो आदमी उतार फेंके ये पाखंडी लबादा !
तुम किसी भी तरीके से गांधी के उत्तराधिकारी कहलाने लायक नहीं !
और  एक  बात  सिर्फ सरनेम गांधी होने से कोई गांधी का उत्तराधिकारी नहीं हो जाता ! गांधी का उत्तराधिकारी तो वो है
जो अपनी भूमिका,दायित्वों ,आदर्शों,नियमन में गाँधी के सिद्धांतों को तरजीह दे !
अंत में अपनी कविता की पंक्तियों द्वारा इतना ही कहूंगा !
तुम्हारे खून का रंग पानी,
तुम्हे क्या ख़ाक आई जवानी !
मेरे लहू का कतरा-कतरा तिरंगा,
तन हिन्दुस्तान, जिगर हिन्दुस्तानी !

पाकिस्तान से भागकर आते हिंदू: अत्याचार से पीड़ित या घुसपैठ की नई चाल?

भारत में पिछले साल सितंबर से ही पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदुओं का प्रवास जारी है। तीस दिनों का धार्मिक वीजा लेकर यह अल्पसंख्यक हिंदू भारत आकर अपने आप को जैसे किसी जेल से आजाद हुआ महसूस कर रहे हैं। इन लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ अमानवीय अत्याचारों की हद पार की जा रही है। कहीं लूटपाट हो रहा है तो कहीं किसी हिंदू लड़की का रेप, जबरन धर्म परिवर्तन और शादी तो जैसे आम बात हो गई है। प्रशासन इनकी तरफ देखने को राजी ही नहीं है। ऐसे में बड़ी आस लगाकर यह लोग धार्मिक वीजा लेकर भारत आ रहे हैं और यहां से कभी ना जाने का मन बना चुके हैं। भारत की हवा में इन्हें आजादी की असली खुशबू महसूस होती है।

भारत आने वाले पाकिस्तानी हिंदुओं को पीड़ित की श्रेणी में रख कर उन्हें भारत में शरण देने की वकालत करने वाले लोगों का मानना है कि भारत में जहां राजनीति और राजकीय सेवाओं में मुस्लिमों की एक बड़ी संख्या देखने को मिलती है, स्कूल और कॉलेजों में उन्हें विशेष छूट दी जाती है वहीं पाकिस्तान में तो हिंदुओं को उनके मूलभूत अधिकारों से ही वंचित रखा जाता है। भारत ने हमेशा एक धर्मनिरपेक्ष देश का सर्वोत्तम उदाहरण पेश किया है तो वहीं पाकिस्तान में कट्टरवाद हावी है जो किसी भी सूरत में किसी अन्य धर्म को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता है। पाकिस्तान वोट बैंक तक को अपने धर्म के रास्ते में नहीं देखता तो वहीं भारत में अकसर वोट बैंक के कारण नरसंहार देखने को मिल जाते हैं। हाल ही में हुआ असम दंगा इसकी एक बानगी है।

लेकिन इस सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है। भारत आ रहे पाकिस्तानी हिंदुओं को शक की निगाह से देखने की सलाह देने वाले मानते हैं कि पाकिस्तान और भारत के कटु रिश्तों को देखते हुए भारत को ऐसे मामले में सतर्क रहना होगा। पाकिस्तानी हिंदुओं की स्थिति बेशक मार्मिक है लेकिन यहां आ रहे लोग हिंदू ही हैं इस बात की कोई गारंटी नहीं है। कई जानकार और रक्षा विशेषज्ञ इस आवाजाही को घुसपैठ का एक तरीका मान रहे हैं। उनके अनुसार कुछेक पीड़ितों की आड़ में पाकिस्तान इन हिंदुओं के रूप में अपने आतंकी भारत में भेज रहा है जो देश की सुरक्षा में एक बड़ा सेंध साबित होने वाले हैं। पाकिस्तान समय-समय पर भारत में घुसपैठ करता रहा है। हाल ही में कश्मीर में मिला सुरंग इस बात को और पुख्ता करता है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में देश को एक बार फिर मुंबई के 26/11 जैसे हालातों के लिए तैयार रहना चाहिए।

उपरोक्त चर्चा और वर्तमान परिदृश्य पर विचार करने के बाद हमारे सामने निम्नलिखित प्रश्न उठते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना नितांत आवश्यक है, जैसे:

1. क्या भारत को पाकिस्तान से भागकर आए हिंदुओं को बिना किसी जांच-पड़ताल के शरण दे देनी चाहिए?
2. क्या वाकई भारत में भारी संख्या में आ रहे कथित रूप से पीड़ित हिंदू सही मंशा से यहां आ रहे हैं?
3. आखिर क्यों भारत पाकिस्तान में रह रहे हिंदू परिवारों की सुरक्षा के लिए प्रभावी रूप से आवाज नहीं उठाता है?
4. क्या अपने आतंकियों को पीड़ित हिंदुओं के रूप में शरण दिलाकर घुसपैठ कराने की पाकिस्तान की यह कोई नई चाल है?

जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:

पाकिस्तान से भागकर आते हिंदू: अत्याचार से पीड़ित या घुसपैठ की नई चाल?

आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।

नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “पाकिस्तान से आते हिंदू” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व पाकिस्तान से आते हिंदू – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध – कितना सही कितना गलत ?

सोशल मीडिया एक ऐसी आधुनिक तकनीक है जिसने लोगों को एक जगह ला खड़ा किया है. इस तकनीक से दूर बैठे किसी व्यक्ति से हम आसानी से अपने मन की बात कह सकते हैं, उससे अपने अनुभव बांट सकते हैं. इस तकनीक ने जहां भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ लोगों की सोच को एक आम सोच बनाया वहीं दूसरी ओर इस तकनीक का फायदा उठाते हुए कुछ अराजक लोगों ने भड़काऊ कंटेंट और तस्वीरें डालकर देश की अखंडता पर ही चोट करने की कोशिश की. आजकल सोशल मीडिया एक ऐसे सूखे जंगल की तरह हो चुकी है जिसमें थोड़ी चिंगारी लगने की देर है आग अपने आप पूरे जंगल में फैल जाएगी. असम में दो समुदायों के बीच झड़पों की घटनाओं की गूंज इन्हीं सोशल मीडिया वेबसाइटों पर भी दिखाई दी जिसकी लपट आगे चलकर मुंबई, बंगलुरू, चेन्नई और हैदराबाद में भी दिखी. जिस तरह से बहुत बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक तस्वीरें और कंटेंट सोशल मीडिया पर जारी किए गए उससे तो इसके अस्तिव पर ही सवाल खड़े हो चुके हैं.

सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर कुछ लोगों का कहना है कि लोग अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. उननी भड़काऊ तस्वीरें लोगों को विचिलित कर रही हैं. यह सोशल मीडिया का ही नतीजा है कि बंगलुरू से भारी संख्या में पूर्वोत्तर के लोगों का पलायन हुआ. एसएमएस के जरिए लोगों को धमकियां दी जा रही हैं ताकि अफरातफरी का माहौल पैदा किया जा सके. सरकार द्वारा बहुत देर बाद आंख खोली गई और जांच की जाने लगी तब ऐसी खबरें आने लगीं कि इनके इस्तेमाल में पाकिस्तान के कुछ शरारती तत्वों का हाथ है. इसलिए देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना या फिर कानून के दायरे में लाना बहुत ही जरूरी है.
वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का मानना है कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकारों के साथ खिलवाड़ है. उनका मानना है कि यह वही माध्यम है जिसने मिस्र, लीबिया में अराजकता और कुशासन के खिलाफ लोगों को एकजुट किया और सालों की तानाशाही या अधिनायकवाद शासन-प्रणाली को उखाड़ फेंका. यह सोशल मीडिया ही था जिसने भारत में अन्ना के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन खड़ा किया इसलिए सरकार को अपनी खुफिया एजेंसियों की नाकामी का ठीकरा सोशल मीडिया पर नहीं फोड़ना चाहिए. यदि इन पर आपत्तिजनक तस्वीरें और कंटेंट डाले जा रहे हैं तो सरकार को ऐसा तरीका इजाद करना चाहिए जिससे इस पर रोक भी लगाई जा सके और लोगों के अधिकारों पर आंच भी न आए.

सोशल मीडिया के उपयोग और उसके लाभ-हानि की चर्चा के बाद कुछ ऐसे जरूरी सवाल सामने आते हैं जिन पर गंभीर बहस की महती आवश्यकता है, जैसे:

1. क्या वर्तमान घटनाक्रम के कारण सोशल मीडिया का अस्तिव खतरे में है?
2. क्या सोशल मीडिया से देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता वाकई खतरे में है?
3. कहीं सोशल मीडिया सरकार के लिए एक बड़ा खतरा तो नहीं बनने जा रही है जिससे डर कर सरकार उस पर काबू करने के बहाने तलाश रही है?
आप उपरोक्त सवालों पर अपने विचार टिप्पणी या स्वतंत्र ब्लॉग लिख कर जारी कर सकते हैं.

Be careful

New Delhi. If you have to clean your teeth Colgate Please be careful when using. How do you know that Colgate made? ?
Paste Paste Colgate is the worst in the world, why?is "Again I ask," What is quality? "so that" makes it much froth ", the educated - people would answer | He further informed that chemistry is a chemical" Sodium Lauryl Sulphate "chemistry and the lexicon (dictionary) when you see this" Sodium Lauryl Sulphate "is written next to the name of the" poison "/" poison "| and .05 mg dose should go in the body and gives you cancer This chemical is added to Colgate because "Sodium Lauryl Sulphate" in toothpaste foam can not be without a | Toothpaste and Savings cream in both the "Sodium Lauryl Sulphate" are inserted, the difference is just a process | The synthetic detergents Nobody knows, because Colgate company never tells how she made the paste

MTS and in the future Uninar India


 

New Delhi. MTS and Uninar, whose license was revoked by the Supreme Court, with more than 6 million customers. Both are serious about India, what is their future?it is reasonable to re-gain spectrum. Chyada reserve prices fixed for the spectrum due to the likelihood of their success in India?While MTS, which operates on CDMA, Chyada than 16 million customers in the country. Uninar which only operates in 13 circles, with 4.5 million customers. Videocon third company who said that he will take part in the auction, some Chyada to 0.5 million customers.MTS
Although there are many problems in front of them.MTS also say that the GSM operators liberalized spectrum is to get (the spectrum using the no service can give) the CDMA spectrum is not the case and use it only 2G services can be and hence the prices are reasonable.