दो मई 2011 को तत्कालीन अमरीकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की थी कि अमरीकी सैनिकों ने पाकिस्तान में
अल क़ायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार दिया.
ओसामा बिन लादेन को
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के करीब एक घर में मारा गया था. इसके साथ
ही पाकिस्तान एक बार फिर से ग़लत कारण से सुर्ख़ियों में आया था.पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक रूप से ग़लत ख़बरों के मामले में अभ्यस्त हो गया है. दक्षिण एशिया में पाकिस्तान आर्थिक रूप में चरमराया हुआ देश है.
यहां विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. पाकिस्तान की करंसी भी कमज़ोर है और विदेशी निवेश का भी पर्याप्त अभाव है.
शायद पाकिस्तान इस ब्रह्मांड की अंतिम जगह है जहां कोई विदेशी निवेशक पैसा निवेश करने के लिए सोचता है. लेकिन मटिअस मार्टिंसन के लिए ऐसा नहीं है.
'वो बहुत मुश्किल वक़्त था'
साल 2011 में 6 महीने बाद मटिअस ने पाकिस्तान में पहला विदेशी इक्विटी फंड लॉन्च किया.शुरुआत में इस फंड के लिए उन्हें किसी से मदद नहीं मिली. ऐसे में उन्होंने अपना और अपने पार्टनरों के दस लाख डॉलर का नकद निवेश किया.
निवेश और म्युचुअल फंड के बाज़ार में इंटरनेशनल फंड सबसे नए हैं और इनका मुनाफ़ा विदेशी बाज़ार के परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है. माना जाता है कि इंटरनेशनल फंड पर करेंसी के उतार-चढ़ाव का रिस्क ज्यादा होता है.
लेकिन मटिअस ने यह रिस्क लिया और आज की तारीख़ में उनके इस फंड की कीमत 100 मिलियन डॉलर है.
मृदु भाषी और मुश्किल से मुस्कुराते हुए स्वीडन के मटिअस ने स्टॉकहोम से फ़ोन पर कहा, ''वो बहुत मुश्किल वक़्त था.''
मटिअस बहुत बयानबाजी नहीं करते हैं. पाकिस्तान में लादेन के मारे जाने के बाद आर्थिक निवेश को लेकर बहुत बुरा माहौल बन गया था. तब पाकिस्तान में शेयरों की कीमत में भारी गिरावट आने लगी थी.
मार्टिंसन ने बताते हैं, ''अमरीकी सैनिकों ने पाकिस्तान में एक सैन्य ठिकाने को तबाह कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तान ने नैटो देशों के सप्लाई रूट को बंद करने का फ़ैसला किया था. तब बाज़ार में 10 फ़ीसदी की गिरावट आई थी.''
मार्टिंसन ने ख़ुद को साबित कर दिया
हालांकि इसके बाद भी मार्टिंसन पाकिस्तानी शेयर बाज़ार से अलग नहीं हुए.इन गिरावटों के बीच सरकार ने बाज़ार को थामने के लिए कुछ कोशिश की. सरकार ने विदेशों में बसे पाकिस्तानियों से अपने घर पैसे भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स माफ़ी की योजना लॉन्च की.
मार्टिंसन याद करते हुए बताते हैं कि इससे बाज़ार में सुधार हुआ और हम लोग तीन महीने में 50 मिलियन डॉलर का फंड कर लिए.
मार्टिंसन ने इस बात को भी रेखांकित किया कि बीते दशकों में पहली बार पाकिस्तान से बाहर पैसे जाने के मुकाबले देश के भीतर ज़्यादा आया.
लगभग एक दशक बाद मार्टिंसन को लगा कि उन्होंने ख़ुद को साबित कर दिया है.
एक जून 2017 को पाकिस्तान एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में प्रवेश कर गया.
यह इस बात का संकेत है कि अपने अस्तित्व से जूझती अर्थव्यवस्था में उम्मीद की लकीर चौड़ी हो रही है. निवेशकों ने पहले से ही अर्थव्यवस्था में पैसा डालना शुरू कर दिया है.
एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स 23 उच्च वृद्धि दर वाली अर्थव्यवस्था भारत, चीन और ब्राज़ील से मिलकर बना है.
एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में पाकिस्तान का प्रमुख इंडेक्स केएसई लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है.
अगर आपने पिछले साल जनवरी महीने में केएसई में 100 डॉलर का निवेश किया होता तो आज की तारीख़ में इसकी कीमत 164 डॉलर होती जबकि एमएससीआई में इसकी कीमत महज 137 डॉलर ही होती.
इन्हीं सफलताओं में मार्टिंसन की भी कामयाबी शामिल है.
उभरते बाज़ार सूचकांक में शरीक होना पाकिस्तान की एक उपलब्धि है. इससे निवेशकों में भरोसा जगता है. यह भरोसा वृद्धि दर, पारदर्शिता की कसौटी पर जगता है.
पाकिस्तान इस इंडेक्स का हिस्सा हुआ करता था लेकिन विदेशी बाज़ार में इसकी हैसियत बहुत नीचे थी.
2008 के आख़िर में कीमतों में नाटकीय गिरावट के कारण एक्सचेंज को चार महीनों के लिए बंद करना पड़ा था. इसका मतलब यह हुआ कि विदेशी निवेशक अपना पैसा नहीं निकाल सकते हैं.
कराची स्टॉक एक्सचेंज के मैनेजिंग डायरेक्टर नदीम नक़वी कहते हैं, ''वित्तीय संकट के कारण 2008 में हम इंडेक्स से बाहर हो गए थे. ऐसे में पाकिस्तान को देश से बाहर पूंजी जाने से रोकने में वक़्त लगा. हमने इंडेक्स में फिर से जगह पाने के लिए काफ़ी लॉबीइंग और सुधार किए.''
नदीम अब इस मामले में निवेशको को भरोसा देते हैं कि पाकिस्तान एक लिक्विड मार्केट है.
उन्होंने कहा कि 2012 में पाकिस्तान ने स्टॉक एक्सचेंज्स एक्ट पास किया.
नदीम ने कहा कि 2008 में पाकिस्तान को जिस आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, उससे बचने के लिए इस एक्ट के ज़रिए कई सुधारों को अंजाम दिया गया.
चीन का प्रभाव
पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान की जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट) भी ऊंचाई पर है. इसके लिए पाकिस्तान में मध्य वर्ग की तरक्की को शुक्रिया कहना चाहिए.पाकिस्तान में चीन ने वन रोड वन बेल्ट प्रोजेक्ट को लेकर काफ़ी निवेश किया है.
चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीइसी) के लिए चीन पाकिस्तान में सड़क, बंदरगाह, और राष्ट्रीय राजमार्गों पर 46 बिलियन डॉलर खर्च कर रहा है.
नक़वी का कहना है यह तो अभी शुरूआत है. उनका कहना है कि आप आने वाले एक और दो साल में इसका असर साफ़ देख सकते हैं. नक़वी का कहना है कि पाकिस्तान तेजी से आर्थिक प्रगति करेगा.
पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज से चीनी निवेशक भी शेयरों की ख़रीद फरोख्त कर रहे हैं. पाकिस्तान के स्टॉक एक्सचेंज में चीनियों का 40 फ़ीसदी हिस्सा है.
नक़वी का कहना है कि पाकिस्तान के मध्य वर्ग में भरोसा बढ़ रहा है और वे ज़्यादा खर्च कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आने वाले पांच-छह सालों में पाकिस्तान की विकास दर औसत 6 फ़ीसदी से ऊपर होनी चाहिए
No comments:
Post a Comment