Publish Date:Tue, 22 Oct 2019 03:22 PM (IST)
नई दिल्ली, नेशनल डेस्क। Donald Trump Visa policy पिछले हफ्ते अमेरिका के प्रमुख विश्वविद्यालयों के प्रमुख बिजनेस स्कूलों के 50 डीन और 13 सीईओ ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक खुला पत्र लिखकर देश की वीजा नीति और एच-1बी वीजा कार्यक्रम में सुधार की मांग की है। उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के उस अध्ययन को सही बताया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी बिजनेस स्कूलों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई है। कई प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। गैर लाभकारी संस्था ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल (जीमैक) ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी साझा की है। इसमें बताया गया है कि 2016 से 2018 तक अमेरिका के बिजनेस स्कूलों के ज्यादातर प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट आई है।
आवज्रन पर कठोर बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया2019 की बात करें तो अमेरिकी बिजनेस स्कूलों के 48 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें आवेदन देने वाले दूसरे देशों के छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, केवल 30 फीसद प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों के आवेदन बढ़े हैं, जबकि 22 फीसद प्रोग्रामों में कोई बदलाव नहीं आया है। 2018 में 53 फीसद बिजनेस प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि केवल 28 फीसद प्रोग्रामों में ही वृद्धि हुई थी। 19 फीसद प्रोग्राम ऐसे थे, जिनमें कोई परिवर्तन दर्ज नहीं किया गया था। यानी उनमें विदेशी छात्रों की संख्या स्थिर थी। जीमैक ने इस गिरावट के लिए अमेरिकी वीजा नीतियों, आवज्रन पर कठोर बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। इनकी वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका को छोड़कर दूसरे देशों को चुन र
भारत के 28 बिजनेस स्कूलों के मुताबिक, यहां के प्रोग्रामों में आवेदन करने वालों की संख्या लगभग पिछले वर्ष के समान ही है। 46 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों के आवेदन अधिक आए हैं, जबकि 25 फीसद प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या स्थिर हैं।
हालांकि, 29 फीसद प्रोग्रामों में भारतीय छात्रों ने कम रुचि दिखाई है। दूसरी तरफ भारतीय संस्थानों में 12 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि 84 फीसद प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या स्थिर है। मात्र चार फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
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