Saturday, November 23, 2019

अजीत ने बीजेपी को 'पार्टी लाइन के खिलाफ' समर्थन दिया, साथ देने वाले MLA खो देंगे सदस्यता : शरद पवार

अजीत ने बीजेपी को 'पार्टी लाइन के खिलाफ' समर्थन दिया, साथ देने वाले MLA खो देंगे सदस्यता : शरद पवार

मुंबई (एएनआई)। एनसीपी प्रमुख ने अजीत पवार के समर्थक पार्टी के विधायकों को चेतावनी दी कि वे दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो सकते हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले पवार ने कहा कि कोई भी एनसीपी नेता या कार्यकर्ता बीजेपी-एनसीपी सरकार के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, अजीत पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है और अनुशासनहीनता है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजीत पवार के सुबह-सुबह एक नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। शपथग्रहण के पूर्व राज्य में राष्ट्रपति शासन को हटा दिया गया था।
दलबदल विरोधी कानून की तलवार
पवार ने कहा कि एनसीपी के विधायक, जो बीजेपी के समर्थन में हैं या भविष्य में ऐसा करने की सोच रहे हैं, दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो देंगे। उन्होंने कहा, 'सभी विधायकों को पता होना चाहिए कि दलबदल विरोधी कानून है और उनकी विधानसभा सदस्यता खोने की संभावना अधिक है। यहां तक कि उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता भी उनसे नाराज होंगे।
सरकार बनाने के लिए संख्या होने का दाव

एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगाने, जो कि प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे, ने कहा कि वह राजभवन गए थे लेकिन यह नहीं जानते थे कि शपथ ग्रहण समारोह होना है। उन्होंने कहा, 'अजीत पवार ने मुझे कुछ चर्चा करने के लिए बुलाया था और वहां से मुझे अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया था। इससे पहले कि हम शपथ समारोह पूरा होता, मैं पवार साहब के पास गया और उन्हें बताया कि मैं उनके साथ हूं।' पवार ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने के लिए साथ आए थे। पवार ने कहा, 'हमारे पास सरकार बनाने के लिए संख्या है। कई निर्दलीय भी हमारे साथ हैं।' एनसीपी ने 54 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना को 56 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी, सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी थी क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर अड़ी रही।

Friday, November 15, 2019

डीके शिवकुमार को SC से बड़ी राहत, दलील में कॉपी-पेस्ट करने पर ED को कोर्ट की फटकार

डीके शिवकुमार को SC से बड़ी राहत, दलील में कॉपी-पेस्ट करने पर ED को कोर्ट की फटकार

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने डीके शिवकुमार की जमानत को खत्म करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस नरीमन ने ईडी को फटकार लगाते हुए कहा कि आपके अधिकारियों ने डीके शिवकुमार केस में पी चिदंबरम वाली दलील पेश की है, इसलिए अपने अधिकारियों से कहें कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पढ़े। हमारे फैसलों को हल्के में नहीं लें, अधिकारियों ने दलील में सिर्फ कॉपी पेस्ट का काम किया है, उसमें कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। 
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आपको बता दें कि 23 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने 25 लाख रुपए के निजी मुचलके पर डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले (DK Shivakumar Money Laundering Case) में जमानत दी थी। साथ ही बिना इजाजत विदेश न जाने का भी निर्देश दिया था। 
जिसके बाद शिवकुमार तिहाड़ जेल से बाहर आए। यहां आपको बताते चलें कि शिवकुमार को 3 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उन्हें रिमांड पर लेकर कई दिनों तक पूछताछ की थी, वहीं शिवकुमार ने 30 सितंबर को कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। इस अर्जी पर कोर्ट ने उन्हें 23 अक्टूबर को जमानत पर रिहा कर दिया था।

 डीके शिवकुमार ने कर्नाटक के जीडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि जब शिवकुमार तिहाड़ जेल में बंद थे, तब सोनिया गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनके मिलने तिहाड़ जेल गए थे और तकरीबन आधे घंटे मुलाकत की थी। इनके अलावा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जीडीएस के नेता एचडी शिवकुमार भी तिहाड़ जेल में उनसे मिलने गए पहुंचे थे।

Wednesday, November 13, 2019

कांग्रेस ने राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए 16 नवंबर को

कांग्रेस ने राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 16 नवंबर को बुलाई बैठक
कांग्रेस ने 16 नवंबर को दिल्ली में एआईसीसी महासचिवों, एआईसीसी सचिवों, पीसीसी अध्यक्षों और सीएलपी नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। नेताओं के बीच बैठक का दौर जारी बता दें कि इस समय महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर गतिरोध जारी है। हालांकि तीन हफ्ते तक चले राजनीतिक उठापटक के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने हार नहीं मानी है। इन राजनीतिक दलों के नेता लगातार एक दूसरे से संपर्क में हैं और मीटिंग कर रहे हैं ताकि महाराष्ट्र में शीघ्र सरकार बनाई जा सके। वहीं आज शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है। उन्होंने मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस नेताओं से क्या बात हुई है, आपको कैसे बताऊं? जबकि अहमद पटेल ने शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से बातचीत में उन्हें भरोसा दिलाया और चिंता नहीं नहीं करने को कहा है। साथ उन्होंने यह भी कहा कि अभी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा होनी है, जिसमें समय लग रहा है। इसलिए डोन्ट वरी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला RTI के दायरे में चीफ जस्टिस का ऑफिस

नयी दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चीफ जस्टिस का ऑफिस पारदर्शिता कानून सूचना का अधिकार एक्ट के तहत एक पब्लिक अथाॅरिटी है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर तीन अपीलों को खारिज कर दिया।
काॅलेजियम की सिफारिश में केवल जजों के नाम का खुलासा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता अपनाते वक्त जूडिशियरी की स्वतंत्रता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आरटीआई को सर्विलांस के टूल की तरह इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए। इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। पीठ में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा शामिल जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि काॅलेजियम की सिफारिश में केवल जजों के नामों का खुलासा किया जा सकता है। आरटीआई एक्ट के तहत काॅलेजियम की सिफारिशों की वजह का खुलासा नहीं किया जा सकता।
संवैधानिक पद तथा सार्वजनिक कर्तव्य करते हुए अलग नहीं
सीजेआई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने एक निर्णय लिखा जबकि जस्टिस रमन्ना और जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना आदेश अलग से लिखा है। इसमें कहा गया है कि निजता का अधिकार भी एक महत्वपूर्ण पहलू है इसलिए भारत के मुख्य न्यायधीश के कार्यालय से जानकारी देते वक्त पारदर्शिता के साथ इसमें संतुलन जरूरी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने अलग से लिखे निर्णय में कहा कि जज संवैधानिक पद और सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन के साथ न्यायपालिका को अलग से संचालित नहीं कर सकते। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रला और पारदर्शिता साथ-साथ चल सकती है। जस्टिस खन्ना से सहमत जस्टिस रमन्ना ने कहा कि निजता के अधिकार और पारदर्शिता के अधिकार में संतुलन के फार्मूले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए।
10 जनवरी, 2010 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चीफ जस्टिस का ऑफिस आरटीआई कानून के दायरे में आता है। आदेश में कहा गया था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि जज को छूट दी जाए बल्कि यह न्यायधीश पर एक जिम्मेदारी है। 88 पन्नों के इस फैसले को तत्कालीन सीजेआई केजी बालाकृष्णन के खिलाफ समझा जा रहा था जो जजों से संबंधित जानकारियों को आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं थे। हाई कोर्ट का वह आदेश तीन जजों की पीठ ने सुनाया था जिसमें चीफ जस्टिस एपी शाह, जस्टिस विक्रमजीत सेन और जस्टिस मुरलीधर शामिल थे। इस पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि मुख्य न्यायधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में लाने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
प्रशांत भूषण ने पूछा था क्या जज अलग दुनिया में रहते हैं?
आरटीआई एक्टिविस्ट एससी अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायधीश के कार्यालय को पारदर्शिता के कानून के दायरे में लाने की पहल की थी। उनके वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को अपने ही मामले में खुद सुनवाई नहीं करनी चाहिए जबकि वह 'आवश्यकता के सिद्धांत' के तहत अपीलों की सुनवाई कर रहा हो। अधिवक्ता ने कहा था कि सूचना का अधिकार के तहत जानकारी साझा करने में न्यायपालिका की अनिच्छा दुर्भाग्यपूर्ण और परेशान करने वाला है। उन्होंने पूछा था कि क्या जज अलग दुनिया में रहते हैं? तब उनकी दलील थी कि सरकार के दूसरे अंगों के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट हमेशा मुखर रहा है जब खुद की बारी आई तो वह जड़ हो गया है।

येदयुरप्पा सरकार तुरंत हो बर्खास्त: कांग्रेस

येदयुरप्पा सरकार तुरंत हो बर्खास्त: कांग्रेस
नयी दिल्ली, कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के कर्नाटक के 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को सही ठहराने पर बुधवार को कहा कि इससे साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में कांग्रेस तथा जनता-एस की चुनी हुई सरकार को जबरन गिराया था इसलिए मुख्यमंत्री बी एस येदयुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले से साफ हो गया है कि भाजपा ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार को गिराकर असंवैधानिक सरकार का गठन किया था। कानून और संविधान की दृष्टि से कर्नाटक में एक ‘नाजायज़’ सरकार चल रही है और उसे फ़ौरन बर्खास्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार बनायी गयी थी और इस मामले की असलियत सबके सामने आये, इसलिए श्री येदयुरप्पा की टेप पर रिकार्ड की बातों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए यह सारा काला धन कहां से आया और भाजपा के नेतृत्व ने इसमें क्या भूमिका निभायी थी मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए।
प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि वह बराबर राजनीति की शुचिता की दुहाई देते हैं इसलिए उन्हें येदयुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने का साहस करना चाहिए।

महाराष्ट्र में सियासी गतिरोध के बीच कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे की बैठक, बोले- अब सही दिशा में हैं हम

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और बाद में पार्टी के दो शीर्ष नेता अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट के साथ बैठकें आयोजित कीं। 24 घंटों में कांग्रेस के साथ दूसरी बैठक करने के बाद ठाकरे ने कहा कि अब  सही दिशा में हमारी बातचीत शुरू हो चुकी है। बुधवार सुबह बांद्रा कुरला काम्पलेक्स से निकलते हुए ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि- सही समय पर सभी के आगे गठबंधन की घोषणा कर दी जाएगी। 
सेना प्रमुख ने कल यह रेखांकित किया था कि कांग्रेस-राकांपा के साथ शिवसेना के प्रस्तावित गठबंधन में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि यह पहली बार है जब तीनों दल एक साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना और कांग्रेस की अलग-अलग विचारधाराओं का भी हवाला दिया था।
बता दें कि अहमद पटेल और ठाकरे के बीच ये पहली बैठक थी। इससे पहले दोनों ने फोन पर बातचीत की थी। कांग्रेस अध्यक्ष के खास सहायक अहमद पटेल सरकार बनाने को लेकर मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ मुलाकत के लिए पहुंचे हुए हैं।  गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में दूसरी पार्टियों के सरकार गठन की मुश्किलों का भाजपा आनंद उठा रही है। वहीं, संजय राउत ने महाराष्ट्र में हाल तक अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार गठन के उनकी पार्टी के प्रयासों के मद्देनजर मुश्किल राह का संकेत देते हुए बुधवार को तीन बार 'अग्निपथ शब्द ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ...।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की केन्द्र को भेजी उस रिपोर्ट के बाद यह निर्णय लिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी प्रयासों के बावजूद वर्तमान हालात में राज्य में स्थिर सरकार का गठन संभव नहीं है। हालांकि उनके इस फैसले की गैर-भाजपा दलों ने खुलकर आलोचना की है।

Wednesday, November 6, 2019

वायु प्रदूषण मामला: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मिश्रा बोले: आपको यहीं रहना है, भविष्य का सोचिए

प्रदूषणइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण मामले में कड़ा रुख बरक़रार रखते हुए बुधवार को कहा कि देश की 'लोकतांत्रिक सरकारों से कहीं अधिक उम्मीदें' हैं और प्रदूषण पर काबू पाने की 'नाकामी के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय होगी'.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली और पंजाब के चीफ़ सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई. वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के चीफ़ सेक्रेटरी भी मौजूद थे. कोर्ट ने उनसे भी कड़े सवाल पूछे.

कोर्ट ने कहा, 'ये दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी का सवाल है. क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से ऐसे मरता छोड़ सकते हैं.'

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों को गैर बासमती फ़सलों की पराली के निपटारे के लिए एक सौ रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया.

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषणइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

'हमें समाधान चाहिए'

पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के चीफ़ सेक्रेटरी से सवाल किया, "आप सड़क की धूल निर्माण, ध्वंस और कूड़े के निस्तारण से नहीं निपट सकते हैं तो आप इस पद पर क्यों हैं?"

कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक पराली जलाने की समस्या को लेकर कोर्ट ने सरकारों से तुरंत समाधान देने को कहा.

जस्टिस मिश्रा ने कहा, "आप लोगों को मरता नहीं छोड़ सकते. हमें सरकार को ज़िम्मेदार बनाना होगा. कितने लोग अस्थमा कैंसर और दूसरी बीमारियों की चपेट में आएंगे".

उन्होंने आगे कहा, "प्रदूषण हर किसी के लिए नुकसानदेह है. हमें आपसे और समाधान चाहिए

ये है सरकार के काम करने का तरीका?

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाने से किसान प्रभावित होते हैं. इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पराली जलाना समाधान नहीं है. सरकार कोई समाधान क्यों नहीं देती है?

वेणुगोपाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को दो ज़ोन में बांटा जा सकता है और हर ज़ोन में पराली जलाने के लिए दिन निर्धारित किए जा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नुकसानदेह है. अगर अटॉर्नी जनरल के पास कोई समाधान नहीं है तो ये 'एक लोकतांत्रिक सरकार के काम करने का तरीका नहीं है'.

'ड्यूटी निभाने में नाकाम पंजाब सरकार'

कोर्ट ने पंजाब के चीफ़ सेक्रेटरी से सवाल किया कि हरियाणा पराली जलाने को बड़े पैमाने पर रोक सकता है तो पंजाब ऐसा क्यों नहीं कर सकता है?

जस्टिस मिश्रा ने कहा, "इन वरिष्ठ अधिकारियों को दंडित करने का वक़्त आ गया है. ये अधिकारी क्या कर रहे हैं. पराली जलाने की दिक्कत ये निपटने के लिए ये कैसे काम कर रहे हैं.आपको लोगों के अरमानों को पूरा करना है. अगर आप ये नहीं कर सकते तो आप यहां क्यों रहेंगे?"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आप अपनी ड्यूटी निभाने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं. आपने किस तरह का रोडमैप अपनाया है"?

कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा, "हम इस मामले में तुरंत कार्रवाई चाहते हैं". कोर्ट पंजाब सरकार से अगले सात दिन का एक्शन प्लान बताने के लिए कहा.

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पूरे प्रशासन को शामिल कीजिए और तय कीजिए कि कोई पराली न जलाए और 'अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो इसे कोर्ट पर छोड़ दीजिए. कोर्ट जो बेहतर तरीके से कर सकता है करेगा'.

सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने मामले में पेश हुए वकीलों से हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा, "रिटायरमेंट के बाद मैं चला जाऊंगा. मैं यहां नहीं रहूंगा. माई लॉर्ड (बेंच के दूसरे जज दीपक गुप्ता) भी चले जाएंगे. लेकिन आप यहीं रहेंगे तो भविष्य के बारे में सोचिए. कृपया गरीब किसानों और दूसरे लोगों के बारे में सोचिए".

Tuesday, November 5, 2019

RTI से खुलासा, 5 साल में 3,427 बैंक शाखाओं के वजूद पर असर


इंदौर (मध्यप्रदेश)। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि बीते 5 वित्तीय वर्षों के दौरान विलय या शाखाबंदी की प्रक्रिया से के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखाओं का मूल अस्तित्व प्रभावित हुआ है।
खास बात यह है कि इनमें से 75 प्रतिशत शाखाएं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की प्रभावित हुई हैं। आलोच्य अवधि के दौरान में इसके 5 सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ है।
यह जानकारी के जरिए ऐसे वक्त सामने आई है, जब देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें 4 बड़े बैंकों में तब्दील करने की सरकार की नई योजना पर काम शुरू हो चुका है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी रविवार को साझा की।
इसके मुताबिक देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं, 2015-16 में 126 शाखाएं, 2016-17 में 253 शाखाएं, 2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में विलीय कर दिया गया।

आरटीआई अर्जी पर मिले जवाब के अनुसार बीते 5 वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से एसबीआई की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं। आरटीआई कार्यकर्ता ने आरबीआई से सरकारी बैंकों की शाखाओं को बंद किए जाने का सबब भी जानना चाहा था। लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला। इस प्रश्न पर केंद्रीय बैंक ने आरटीआई कानून के संबद्ध प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी एक सूचना नहीं, बल्कि एक राय है।
आरबीआई ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ भारतीय महिला बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का विलय 1 अप्रैल 2017 से प्रभावी हुआ था। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय 1 अप्रैल 2019 से अमल में आया था।
इस बीच सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारी संगठनों ने इनके विलय को लेकर सरकार की नई योजना का विरोध तेज कर दिया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि अगर सरकार देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाती है, तो इन बैंकों की कम से कम 7,000 शाखाएं प्रभावित हो सकती हैं। इनमें से अधिकांश शाखाएं महानगरों और शहरों की होंगी।
वेंकटचलम ने आशंका जताई कि प्रस्तावित विलय के बाद संबंधित सरकारी बैंकों का कारोबार घटेगा, क्योंकि आमतौर पर देखा गया है कि किसी बैंक शाखा के बंद होने या इसके किसी अन्य शाखा में विलीन होने के बाद ग्राहकों का उससे आत्मीय जुड़ाव समाप्त हो जाता है।

बहरहाल, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी की राय है कि सार्वजनिक बैंकों का विलय समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि छोटे सरकारी बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने से सरकारी खजाने को फायदा होगा। इसके अलावा बड़े अपनी सुदृढ़ वित्तीय स्थिति के कारण आम लोगों को अपेक्षाकृत ज्यादा कर्ज बांट सकेंगे जिससे देश में आर्थिक गतिवधियां होंगी।

इंफोसिस करने जा रही है छंटनी, 10% कर्मचारियों को दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

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इंफोसिस ने 10 फीसदी कमर्चारियों की छंटनी करने का फैसला किया है। कंपनी खासतौर से वरिष्ठ और मध्यम स्तर पर यह छंटनी करेगी। इससे पहले कॉग्निजेंट भी छंटनी का ऐलान कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, इन्फोसिस छंटनी के तहत जॉब लेवल छह (जेएल6) से करीब 2200 कर्मचारियों को बाहर करेगी। 
जॉब लेवल छह से आठ के बीच कंपनी में करीब 30 हजार कर्मचारी हैं। इसके अलावा कंपनी जॉब लेवल तीन और उससे नीचे के स्तर पर पांच फीसदी तक छंटनी करेगी। इस इस तर कंपनी में करीब 86 कमर्चारी हैं। वहीं एसोसिएट और मध्यम स्तर पर करीब एक लाख कर्मचारी  हैं। इसी तरह असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट से लेकर एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट जैसे के स्तर पर करीब 50 अधिकारियों की छंटनी हो सकती है।

सरकार बनाए हुए है Infosys मामले पर नजर, NFRA देखेगा कंपनी की कथित अकाउंटिंग अनियमिताएं

कॉग्निजेंट 13,000 छंटनी का कर चुकी ऐलान
कॉग्निजेंट ने पिछले हफ्ते कुल 13 हजार कर्मचारियो की छंटनी का ऐलान किया था। आने वाली तिमाहियों में कंपनी वरिष्ठ स्तर पर करीब सात हजार कर्मचारियों की छंटनी करेगी। अमेरिकी आईटी कंपनी कॉग्निजेंट ने कहा है कि वह कंटेट ऑपरेशंस कारोबार को भी बंद कर रही है और इससे छह हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। इस तरह कुल मिलाकर करीब 13 हजार कर्मचारी छंटनी के दायरे में होंगे।
पिछले दिनों कंपनी के सीईओ ब्रायन हम्फ्रीज ने कहा था कि संगठनात्मगक पुनर्गठन के कारण कंपनी ने यह मुश्किल फैसला लिया है जिस वजह से 12,000 से अधिक कर्मचारियों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी। यह कदम लागत को कम करने और कौशल विकास के साथ-साथ ग्रोथ में निवेश के लिए उठाया गया है।

Saturday, November 2, 2019

सजंय राउत का बयान, महाराष्‍ट्र में जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी शिवसेना

सजंय राउत का बयान, महाराष्‍ट्र में जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी शिवसेना

शिवसेना ने शनिवार को अपनी सहयोगी बीजेपी पर फि‍र निशाना साधा, जिसके साथ महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर विवाद में उलझी हुई है। पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी।
मुंबई (एएनआई)। शिवसेना ने शनिवार को अपनी सहयोगी बीजेपी पर फिर निशाना साधा, जिसके साथ महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर विवाद में उलझी हुई है। पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी। यह बात बीजेपी नेता व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के उस बयान  के बाद कही गई है जिसमें उन्हेांने कहा था कि यदि 7 नवंबर तक राज्य में सरकार नहीं बनती तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
नए विधायकों को डराने का प्रयास
सजंय राउत ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि 'सत्तारूढ़ पार्टी के एक मंत्री ने कहा है कि अगर राज्य में सरकार बनाने में देरी हो रही है और अगर सरकार नहीं बनाई गई तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा, क्या यह नवनिर्वाचित विधायकों के लिए धमकी है?' शिवसेना नेता ने कहा, 'एक मंत्री बार-बार राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रहा है। इसका इस्तेमाल नए विधायकों को डराने के लिए किया जा रहा है। अगर कोई राष्ट्रपति या राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करने की कोशिश करता है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। शिवसेना जल्द ही वेट एंड वॉच की भूमिका को छोड़ देगी।'
उन्होंने कहा, 'सभी कोशिशें नाकाम होने के बाद, अब राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दी जा रही है। यदि कोई राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देकर सत्ता में आने की कोशिश करता है, तो महाराष्ट्र के लोग इस धमकी को महत्व नहीं देंगे।' कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई के कथित तौर पर एनसीपी और शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'उनके पत्र का स्वागत किया जाना चाहिए। हमारी विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं। हमने गठबंधन में चुनाव लड़ा है और गठबंधन के धर्म का पालन करेंगे।'
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ उनकी मुलाकात पर शिवसेना नेता ने कहा, 'महाराष्ट्र में जिस तरह की स्थिति चल रही है, शिवसेना और बीजेपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं।' महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं, शिवसेना ने 56 सीटें हासिल कीं जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने 288 सदस्यीय विधानसभा में क्रमशः 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की
परिणामों की घोषणा के बाद, शिवसेना ने दावा किया कि इस साल 2019 के संसदीय चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर कोई वादा नहीं दिया गया था। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त हो रहा है।

मुरादाबाद में मिला नरभक्षी बाबा, चिता से निकालकर खाता है व्यक्तियों का मांस

मुरादाबाद में मिला एक नरभक्षी बाबा, चिता से निकालकर खा चुका सैकड़ो व्यक्तियों का मांस
यह सुनकर आप बेहद हैरान हो जाएंगे कि कोई व्यक्ति जले हुए इंसानों का मांस खा सकता है। लेकिन मुरादाबाद से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां श्मशान घाट पर रहने वाला एक बाबा सैकड़ो अधजले व्यक्तियों को चिता से निकालकर उनका मांस खाता था। हालांकि इस बात का खुलासा तब हुआ जब बाबा और उसके चेले का कत्ल हो गया। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। मृत इंसानोे का मांस खाने का था आदी दीपावली की रात बाबा और चेले का कत्ल होने के बाद ये बात सामने आ गयी थी कि श्मशान में शवों के साथ छेड़छाड़ हो रही है। लेकिन जब बाबा की हत्यारे को पुलिस ने पकड़ा तब घटना का पूरा खुलासा हुआ। हत्यारोपी ने बताया कि उसने अपनी बहन का मांस खाने के आरोप में बाबा और उसके चेले की हत्या की है। यह खबर शहर में फैलते ही इलाके में सनसनी मच गई। और 26 अन्य लोग इस दावे के साथ थाने पहुंचे कि उसी श्मशान में उनके परिजनों का मांस भी खाया गया है। यह सुनकर पुलिस सकते में आ गई। जब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। जांच में पता चला कि बाबा शवों को जलाने के कुछ देर बाद चिता बुझा देता था और मृत इंसानों का भुना हुआ मांस खाने का आदी हो गया था। 
पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक श्मशान में रहने वाले बाबा और उसके चेले की अभी कुछ दिन पहले हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता लगा कि मर्डर के आरोपी ने अपनी बहन का मांस खाने के आरोप में बाबा और उनके चेले की गोली मारकर हत्या कर दी। डबल मर्डर के आरोपी अंकुश यादव ने बाताया कि उनकी बहन अंशु की 12 अगस्त को मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार के बाद जब वह अपने पिता के साथ शव देखने श्मशान पहुंचा तो चिता का नजारा देख वह दंग रह गया। अंकुश के अनुसार चिता से बाहर अधजला शव पड़ा था। शरीर के कई हिस्सों का मांस गायब था। जब दोनों ने श्मशान में रहने वाले बाबा राजेंद्र गिरी से इसके बारे में पूछा तो उसने नशे की हालत इस बात को स्वीकार किया कि उसने ही तंत्र विद्या के दौरान उसकी बहन के शव का मांस खाया है। इसके कुछ दिन बात अंकुर ने बाबा और उसके चेले का कत्ल कर दिया।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प की घटना सामने आई है। घटना में कई गाड़ियों को तोड़ दिया गया है और उनमें आग लगा दी गई है। दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया गया है। पुलिस और वकीलों के बीच विवाद बढ़ने के बाद पुलिस द्वारा कोर्ट परिसर में फायरिंग की जाने की जानकारी भी मिली है।
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 जानकारी के मुताबिक तीस हजारी कोर्ट में लॉकअप के बाहर वकीलों और पुलिस के बीच किसी बात को लेकर हाथापाई हुई। आरोप है कि पुलिस की थर्ड बटालियन के सिपाहियों द्वारा पहले वकीलों पर हमला किया गया था। जिसके बाद वकीलों ने पुलिस अधिकारी की जमकर पिटाई की। आक्रोशित वकीलों ने एक पुलिस पीसीआर वैन में भी आग लगा दी। दोनों के बीच हिंसक झड़प में एक वकील के गंभीर रूप से घायल होने की जानकारी मिली है। घायल वकील को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

Tuesday, October 29, 2019

मोदी सरकार के PR स्टंट का हिस्सा नहीं बनना चाहता था: सांसद क्रिस डेविस

क्रिस डेविसयूरोप के सांसदों का एक दल भारत प्रशासित कश्मीर के दौरे पर है. यूरोपियन पार्लियामेंट के सदस्य क्रिस डेविस को भी इस दल के साथ आना था लेकिन उनका दावा है कि उन्हें दिया गया न्योता बाद में वापस ले लिया गया और उन्हें पैनल में जगह नहीं दी गई.

उत्तर पश्चिम इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करने वाले डेविस के मुताबिक इस दौरे के लिए उन्होंने भारतीय प्रशासन के सामने एक शर्त रखी थी. वो शर्त ये थी कि कश्मीर में उन्हें 'घूमने-फिरने और लोगों से बातचीत करने की आज़ादी दी जाए'.

डेविस ने बीबीसी से ख़ास बातचीत में कहा, "मैंने कहा कि मैं कश्मीर में इस बात की आज़ादी चाहता हूं कि जहां मैं जाना चाहूं जा सकूं और जिससे बात करना चाहूं, उससे बातचीत कर सकूं. मेरे साथ सेना, पुलिस या सुरक्षा बल की जगह स्वतंत्र पत्रकार और टेलीविजन का दल हो. आधुनिक समाज में प्रेस की स्वतंत्रता बेहद अहम है. किसी भी परिस्थिति में हम समाचारों में कांट छांट की इजाज़त नहीं दे सकते हैं. जो कुछ हो रहा है उसके बारे में सचाई और ईमानदारी से रिपोर्टिंग होनी चाहिए."

डेविस के मुताबिक इसी अनुरोध के कुछ दिन बाद उन्हें भेजा गया कश्मीर दौरे का न्योता वापस ले लिया गया.

भारत प्रशासित कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का काफिला.इमेज कॉपीरइटEUROPEAN PHOTOPRESS AGENCY
Image captionभारत प्रशासित कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय यूनियन के 27 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का काफिला.

मोदी समर्थक संगठन ने दिया था न्योता

डेविस के मुताबिक उन्हें कश्मीर दौरे का न्यौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक कथित 'वूमेन्स इकॉनमिक एंड सोशल थिंक टैंक' की ओर से मिला था. इसमें ये स्पष्ट किया गया था कि दौरे के इंतजाम भारतीय प्रशासन के सहयोग से किए जा रहे हैं.

उन्होंने बताया, "आयोजकों ने शुरुआत में कहा कि 'थोड़ी सुरक्षा' जरूरी होगी लेकिन दो दिन के बाद मुझे बताया गया कि न्योता रद्द किया जा रहा है क्योंकि दौरे में लोगों की संख्या 'पूरी' हो गई है और मेरा न्योता पूरी तरह से वापस ले लिया गया."

क्रिस डेविसइमेज कॉपीरइटCHRIS DAVIES MEP/TWITTER
Image captionक्रिस डेविस

न्योता वापस होने को लेकर उन्हें क्या कारण बताया गया, इस सवाल के जवाब में डेविस ने कहा कि उन्हें लगता है कि आयोजकों को उनकी शर्तें ठीक नहीं लगीं.

उन्होंने कहा, " मैं मोदी सरकार के पीआर स्टंट में हिस्सा लेने और ये दिखाने को तैयार नहीं था कि ऑल इज़ वेल. मैंने अपने ईमेल के जरिए उनके सामने ये पूरी तरह से साफ कर दिया था. अगर कश्मीर में लोकतांत्रिक सिद्धातों को कुचला जाता है तो दुनिया को इसका संज्ञान लेना चाहिए. वो क्या है जो भारतीय सरकार को छुपाना है? वो पत्रकारों और दौरा करने वाले नेताओं को स्थानीय लोगों से आज़ादी से बातचीत करने की इजाज़त क्यों नहीं देगें? उनके जवाब से लगता है कि मेरे अनुरोध को पसंद नहीं किया गया."

क्रिस डेविस ने ये भी बताया कि वो जिस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, वहां 'दसियों हज़ार लोग कश्मीरी विरासत का हिस्सा हैं और कई लोगों के रिश्तेदार कश्मीर में हैं.' उन्होंने बताया कि कश्मीरियों को प्रभावित करने वाले कई मुद्दे उनके सामने उठाए गए. उनमें संचार माध्यमों पर लगाई गई पाबंदी का मुद्दा भी शामिल है.

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'नहीं हुई हैरत'

इस दौरे से वो क्या हासिल करने के इरादे में थे, इस सवाल पर डेविस ने कहा, "मैं ये दिखाना चाहता था कि कश्मीर घाटी में बुनियादी आज़ादी फिर से कायम हो गई है. लोगों की आवाजाही, राय जाहिर करने या फिर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन के अधिकार पर कोई पाबंदी नहीं है. लेकिन अगर ईमानदारी से कहा जाए तो मुझे कभी यकीन नहीं था कि हक़ीकत में ये दिखेगा. ये एक तरह की परीक्षा थी कि क्या भारतीय सरकार अपने कदमों की स्वतंत्र समीक्षा की इजाज़त देने को तैयार है."

डेविस ने कहा कि कश्मीर दौरे का न्योता वापस लिए जाने पर वो 'हैरान नहीं' थे.

उन्होंने कहा, "मुझे शुरुआत से ही ये दौरा पीआर स्टंट की तरह लगा जिसका मक़सद नरेंद्र मोदी की मदद है. मुझे लगता है कि कश्मीर में भारतीय सरकार के कदम महान लोकतंत्र के उम्दा सिद्धातों के साथ छल की तरह हैं और मैं मानता हूं कि दुनिया जितना कम इस स्थिति पर ध्यान देगी, वो उतना ही खुश होंगे."

क्रिस डेविसइमेज कॉपीरइटCHRIS DAVIES MEP/TWITTER

सही जानकारी नहीं

कश्मीर की मौजूदा स्थिति पर वो क्या सोचते हैं, ये पूछने पर क्रिस डेविस ने कहा, "कश्मीर में "जो कुछ" हो रहा है, हमें उसकी सटीक जानकारी नहीं है लेकिन हम लोगों को जेल में डालने, मीडिया पर पाबंदी, संचार माध्यमों पर कड़ी पाबंदी और सेना के नियंत्रण के बारे में सुनते हैं. सरकार की कार्रवाई को लेकर चाहे जितनी भी सहानुभूति हो, ये चिंता भी होनी चाहिए कि ये क़दम सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से प्रेरित है. मुस्लिम, हिंदू राष्ट्रवाद को प्रभावी तंत्र के तौर पर देख रहे हैं और ये भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. इन दिनों राष्ट्रों के बीच शांति का महत्व तेज़ी से निष्प्रभावी हो रहा है."

लंदन में हाल में कश्मीर मुद्दे पर हुए प्रदर्शन के दौरान अंडे और पत्थर फेंके जाने को लेकर उन्होंने कहा कि वो शांति पूर्व प्रदर्शनों का समर्थन करते हैं लेकिन ये मानते हैं कि किसी भी तरह की चीज का इस्तेमाल जो लोगों को नुकसान पहुंचा सकती है, वो 'गैरक़ानूनी और ग़लत है'.

सावरकर को भारत रत्न देना आज़ादी के नायकों का अपमान है

सावरकर को भारत रत्न देना आज़ादी के नायकों का अपमान है

क्या ऐसा शख़्स, जिसने अंग्रेज़ सरकार के पास माफ़ीनामे भेजे, जिन्ना से पहले धर्म के आधार पर राष्ट्र बांटने की बात कही, भारत छोड़ो आंदोलन के समय ब्रिटिश सेना में हिंदू युवाओं की भर्ती का अभियान चलाया, भारतीयों के दमन में अंग्रेज़ों का साथ दिया और देश की आज़ादी के अगुआ महात्मा गांधी की हत्या की साज़िश का सूत्रसंचालन किया, वह किसी भी मायने में भारत रत्न का हक़दार होना चाहिए?
वक्त की निहाई अक्सर बड़ी बेरहम मालूम पड़ती है. अपने-अपने वक्त के शहंशाह, अपने-अपने जमाने के महान रणबांकुरे या आलिम सभी को आने वालों की सख्त टीका-टिप्पणियों से रूबरू होना पड़ा है.
बड़ी से बड़ी ऐतिहासिक घटनाएं- भले जिन्होंने समूचे समाज की दिशा बदलने में अहम भूमिका अदा की हो- या बड़ी से बड़ी ऐतिहासिक शख्सियतें- जिन्होंने धारा के विरुद्ध खड़ा होने का साहस कर उसे मोड़ दिया हो – कोई भी कितना भी बड़ा हो उसकी निर्मम आलोचना से बच नहीं पाया है.
यह अकारण ही नहीं कहा जाता कि आने वाली पीढ़ियां पुरानी पीढ़ियों के कंधों पर सवार होती हैं. जाहिर है वे ज्यादा दूर देख सकती हैं, पुरानी पीढ़ियों द्वारा संकलित, संशोधित ज्ञान उनकी अपनी धरोहर होता है, जिसे जज्ब कर वे आगे निकल जा सकती हैं.
समाज की विकास यात्रा को वैज्ञानिक ढंग से देखने वाले शख्स के लिए हो सकता है यह बात भले ही सामान्य मालूम पड़े, लेकिन समाज के व्यापक हिस्से में जिस तरह के अवैज्ञानिक, पश्चगामी चिंतन का बोलबाला रहता है, उसमें ऐसी कोई भी बात उसे आसानी से पच नहीं पाती.
घटनाओं और शख्सियतों का आदर्शीकरण करने की, उन्हें अपने दौर और अपने स्थान से काटकर सार्वभौमिक मानने की जो प्रवृत्ति समाज में विद्यमान रहती है, उसके चलते समाज का बड़ा हिस्सा ऐसी आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर पाता.
वैसे बात-बात पर आस्था पर हमला होने का बहाना बनाकर सड़कों पर उतरने वाली हुड़दंगी बजरंगी मानसिकता भले ही ऐसी प्रकट समीक्षा को रोकने की कोशिश करे, लेकिन इतिहास इस बात का साक्षी है कि कहीं प्रकट- तो कहीं प्रच्छन्न रूप से यह आलोचना निरंतर चलती ही रहती है और उन्हीं में नये विचारों के वाहक अंकुरित होते रहते हैं, जो फिर समाज को नये पथ पर ले जाते हैं.
फिलवक्त विनायक दामोदर सावरकर- जिन्हें उनके अनुयायी ‘स्वातंत्रयवीर’ नाम से पुकारते हैं, जो युवावस्था में ही ब्रिटिश विरोधी आंदोलन की तरफ आकर्षित हुए थे, जो बाद में कानून की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए, जहां वह और रैडिकल राजनीतिक गतिविधियों में जुड़ते गए थे- इसी किस्म की पड़ताल के केंद्र में है.
इसकी फौरी वजह सूबा महाराष्ट्र के चुनावों के लिए सत्ताधारी भाजपा द्वारा किया गया यह वादा है कि वह उन्हें भारत रत्न से नवाजना चाहती है. ऐसा नहीं है कि उन्हें सम्मानित करने की बात पहली दफा उठी है या उनकी उपेक्षा होने की बात की चर्चा पहली दफा चली है.
जनाब उद्धव ठाकरे, जो अपने पिता की मौत के बाद अब शिवसेना के मुखिया हैं और फिलवक्त जिनकी पार्टी भाजपा की जूनियर सहयोगी के तौर पर सक्रिय है, ने चुनावों के ऐन पहले एक किताब के विमोचन के वक्त यहां तक कहा था अगर ‘वीर सावरकर प्रधानमंत्री बने होते तो पाकिस्तान वजूद में ही नहीं आता.’
उन्होंने अपनी तकरीर में नेहरू को ‘वीर’ कहने से भी इनकार किया और यह एकांतिक किस्म का बयान दिया कि ‘सावरकर ने जिस तरह 14 साल जेल में बिताए उस तरह सिर्फ 14 मिनट ही नेहरू ने जेल में बिताए होते, तो उन्होंने नेहरू को वीर कहा होता.’
क्षेपक के तौर पर बता दें कि उन्होंने एक तरह से यह साफ किया कि यह हक़ीकत कि नेहरू ने अपनी जिंदगी के नौ साल उपनिवेशवादियों की जेल में बिताए और तमाम तकलीफों के बावजूद अपने उसूलों से समझौता नहीं किया उनके लिए कोई मायने नहीं रखती, जहां तमाम स्वयंभू वीरों ने अंग्रेजों के पास माफीनामों की झड़ी लगा दी थी.
http://thewirehindi.com/98705/vd-savarkar-bharat-ratna-indian-freedom-movement/

Monday, October 28, 2019

जर्मन अर्थशास्त्री का दावा-अमेरिका के इशारे पर भारत में हुई नोटबंदी!

इक्नॉमिक्स में पी.एचडी कर चुके हेरिंग पेशे से आर्थिक पत्रकार हैं। उन्होंने ये जानकारियां नोटबंदी से जुड़े अपने एक लेख में दी हैं।
भारत में हुई नोटबंदी अमेरिका के इशारे पर हुई थी। यह कैश पर कड़े हमले जैसा फैसला था। भारत से पहले अमेरिका में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। ऐसा दावा है जर्मनी के अर्थशास्त्री नॉर्बटर् हेरिंग का। इक्नॉमिक्स में पी.एचडी कर चुके हेरिंग पेशे से आर्थिक पत्रकार हैं। उन्होंने ये जानकारियां नोटबंदी से जुड़े अपने एक लेख में दी हैं। जीरोहेज डॉट कॉम (zerohedge.com) जॉर्ज्स वॉशिंग्टन के ब्लॉग में लिखते हैं, ”भारतीयों पर यह हमला होने से चार हफ्ते पहले यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी ऑफ इंटरनेशनल डेवलेपमेंट (यूएसएआईडी) ने ‘कैटलिस्टः कैशलेस पेमेंट पार्टनरशिप’ की स्थापना किए जाने का ऐलान किया था।
हेरिंग आगे लिखते हैं, “14 अक्टूबर का प्रेस स्टेटमेंट बताता है कि कैटलिस्ट यूएसएआईडी और वित्त मंत्रालय के बीच होने वाली अगले चरण की साझेदारी जैसा है। फिलहाल यह बयान अब यूएसएआईडी की आधिकारिक वेबसाइट्स के प्रेस दस्तावेजों में नहीं है। यह और बाकी बयान पहले भले ही उतने खास न लगे हों, लेकिन आठ नवंबर को भारत में की गई नोटबंदी के बाद यह बेहद रोचक लगने लगे थे। कैश पर इतने कड़े हमले के पीछे कौन सी संस्थाएं हैं? कैश से परे रिपोर्ट से जुड़ी प्रेजेंटेशन में यूएसएआईडी ने ऐलान किया कि तकरीबन 35 भारतीयों, अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने यूएसएआईडी और वित्त मंत्रालय के साथ इस पहल पर साझेदारी की।
अर्थशास्त्री के मुताबिक, कैशलेस कैटलिस्ट की वेबसाइट http://cashlesscatalyst.org/ पर इससे जुड़ी कुछ जानकारी मिलती है। वहां अधिकतर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और पेमेंट सेवा मुहैया कराने वाले क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। वे डिजिटल पेमेंट्स या फिर उससे जुड़े डेटा को तैयार कर रुपए कमाना चाहते हैं, जिनमें से अधिकतर डच बैंक सरीखी संस्थाओं के अनुभवी लोग हैं। उन्होंने इसे कैश पर इच्छुक आर्थिक संस्थाओं की जंग (war of interested financial institutions on cash) करार दिया। इसके अलावा बेटर दैन कैश अलाइंस, द गेट्स फाउंडेशन (माइक्रोसॉफ्ट), ओमिद्यार नेटवर्क (ई-बे), द डेल फाउंडेशन मास्टरकार्ड, वीजा और मेटलाइफ फाउंडेशन के लोग भी इस कतार में शामिल हैं।


Sunday, October 27, 2019

JJP नेता अजय चौटाला को मिली फर्लो तो प्रियंका गांधी बोलीं, भ्रष्टाचार धुलाई मशीन...


JJP नेता अजय चौटाला को मिली फर्लो तो प्रियंका गांधी बोलीं, भ्रष्टाचार धुलाई मशीन...

नई दिल्ली : हरियाणा में सरकार के गठन के लिए भाजपा को समर्थन के बाद जननायक जनता पार्टी (JJP) के नेता अजय चौटाला को फरलो मिलने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को तंज कसते हुए कहा कि 'भ्रष्टाचार धुलाई मशीन' चालू है. उन्होंने चौटाला की फरलो मंजूर होने से जुड़ी खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, ''अखिल भारतीय भ्रष्टाचार धुलाई मशीन चालू आहे!'' इसी मुद्दे को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा, "ये न्यू इन्डिया है दोस्तों ! यहां कुर्सी खतरे मे आते ही सब संभव हो जाता है! न कोई कायदा, न कोई कानून,यहां पर है सिर्फ सत्ता बचाने का जूनून!" गौरतलब है कि भाजपा और जजपा ने हरियाणा में मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया है. इस सरकार में भाजपा का मुख्यमंत्री और जजपा के कोटे से उप मुख्यमंत्री होगा.

आपको बता दें कि, जननायक जनता पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला के तिहाड़ जेल में बंद पिता अजय चौटाला को फर्लो मिल गई है. न्यूज एजेंसी एएनआई ने तिहाड़ जेल के डीजी ने हवाले से लिखा है, 'अजय चौटाला को फर्लो दे दी गई है. वह आज शाम या कल सुबह जेल से बाहर आ जाएंगे. उन्हें दो सप्ताह की फर्लो दी गई है.' बता दें, कैदियों को मिलने वाली जेल से छुट्टियों को फर्लो कहा जाता है, यह छुट्टी कैदी द्वारा वजह बताने के बाद ही दी जाती है. वहीं, अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत की पार्टी जननायक जनता पार्टी से गठबंधन करते भाजपा हरियाणा में नयी सरकार बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है. जेजेपी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 10 सीट हासिल की है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने दीवाली संदेश में सरकार पर साधा निशाना, कहा- आपको राजधर्म निभाने पर...

सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों की वजह से देश के किसान इस दीवाली को 'काली दीवाली' के तौर पर मनाने को मजबूर हैं. सरकार की वजह से किसानों को उनकी फसल के लिए सरकार द्वारा ही तय किया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है.

कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने दीवाली संदेश में सरकार पर साधा निशाना, कहा- आपको राजधर्म निभाने पर...


Saturday, October 26, 2019

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पीएम मोदी से कहा, भगत सिंह को दें भारत रत्न

कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दिया जाए। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में तिवारी ने कहा है, 'भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रति अपने अविश्वसनीय प्रतिरोध से देशभक्तों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है।' 
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 25 अक्टूबर को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है, 'मैं इस तथ्य की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रति अपने अविश्वसनीय प्रतिरोध और बाद में 23 मार्च, 1931 को अपने सर्वोच्च बलिदान से देशभक्तों की एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया है।' इस पत्र में लिखा है, यदि 26 जनवरी, 2020 को इन तीनों को "भारत रत्न" से सम्मानित किया जाता है। तो इन्हें औपचारिक रूप से "शहीद-ए-आजम" से सम्मानित माना जाएगा। उन्होंने मोहाली में स्थित चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम भी शहीद-ए-आजम भगत सिंह हवाई अड्डा करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि ये चीजें 124 करोड़ भारतीयों के दिल और आत्मा को छू लेंगी। इससे पहले एमआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर चुके हैं। 
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तिवारी ने ये मांग ऐसे समय में की है, जब बीजेपी में विनायक दामोदर सावरकर को भरत रत्न दिए जाने की बात चल रही है। वहीं महाराष्ट्र बीजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र में दावा किया था कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वे केंद्र सरकार से वीर सावरकर को भारत रत्न देने की अपील करेंगे। इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सावरकर को कुशल व्यक्ति कहा था। उन्होंने सावरकर के लिए कहा था कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका निभाई थी और देश के लिए जेल भी गए थे।

Friday, October 25, 2019

EC ने उत्तराखंड की एक और पश्चिम बंगाल की 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का किया ऐलान, 25 नवंबर को होगी वोटिंग

भारतीय निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को उत्तराखंड की एक और पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान कर दिया है। उत्तराखंड की पिथौरागढ़ और पश्चिम बंगाल की कालियागंज, करीमपुर और खड़गपुर सदर सीट 21 नवंबर को मतदान हो गया। सभी सीटों पर मतगणना 28 नवंबर को होगी। पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन के बाद सीट खाली हुई बता दें कि उत्तराखंड की पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पिछले पांच महीने से खाली है। यह सीट पूर्व वित्त मंत्री प्रकाश पंत के निधन से खाली हो गई थी। पंचायत चुनाव की वजह से विधानसभा उपचुनाव नहीं हो सके थे। लेकिन आज चुनाव आयोग ने इस सीट पर चुनाव का ऐलान कर दिया है। पश्चिम बंगाल की कालियागंज सीट विधायक एवं काग्रेस नेता प्रंमथ राय के निधन के बाद खाली हुई थी। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि उनकी बेटी धृतश्री राय काग्रेस-वाम गठबंधन की उम्मीदवार हो सकती है।

Wednesday, October 23, 2019

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को जमानत मिली, आज सोनिया गांधी तिहाड़ जेल मिलने पहुंची थीं

कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष (फाइल फोटो)।कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष (फाइल फोटो)।

  • कुछ दिनों पहले शिवकुमार से मिलने राज्यसभा सांसद अहमद पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी तिहाड़ पहुंचे थे
  • मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट के तहत ईडी ने शिवकुमार को तीन सितंबर को हिरासत में लिया था


नई दिल्ली. मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस नेता शिवकुमार को जमानत मिल गई। उनसे मिलने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पहुंची थीं। उनके साथ पार्टी नेता अंबिका सोनी भी थे। कुछ दिनों पहले उनसे मिलने राज्यसभा सांसद अहमद पटेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा भी पहुंचे थे।
मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट के तहत ईडी ने शिवकुमार को तीन सितंबर को हिरासत में लिया था। कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी पर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि शिवकुमार की गिरफ्तारी सरकार द्वारा बदले की राजनीति का एक और उदाहरण है। वो ईडी/सीबीआई और दूसरी सरकारी एजेंसियों का उपयोग चुनिंदा लोगों को निशाना बनाने के लिए कर रही है।
शिवकुमार पर अधिकारियों को गुमराह करने का आरोप
इससे पहले ईडी की तरफ से पक्ष रखते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने कोर्ट से कहा था कि इनकम टैक्स के छापों में इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि डीके शिवकुमार मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में शामिल रहे हैं। इनसे जुड़े दस्तावेजों की जांच के लिए शिवकुमार की रिमांड जरूरी है। एएसजी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ सालो में शिवकुमार के पूरे परिवार की संपत्ति कई गुना बढ़ गई। इसकी जांच के दौरान वे लगातार अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे थे।

कमलेश तिवारी की मां बोलीं, सीतापुर का आवास और 15 लाख सरकार को मुबारक हो

लखनऊ। के लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की निर्मम हत्या के बाद अंतिम संस्कार के दौरान सरकार को स्पष्ट कर दिया था कि वह अंतिम संस्कार तब तक नहीं करेंगे जब तक न्याय नहीं मिलेगा जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारी कमलेश तिवारी के परिवार को मनाने में जुट गए थे और दोनों के ही बीच एक समझौता हुआ था और समझौते के दौरान मुआवजा व एक आवाज देने की बात सरकार की ओर से कही गई थी।

जिसके चलते आज उत्तर प्रदेश की ने उनके परिवारीजन को आर्थित मदद का एलान किया है और मुख्यमंत्री ने कमलेश तिवारी के परिवार की मदद के लिए उनकी पत्नी को 15 लाख रुपये देने के निर्देश दिये हैं साथ ही सीतापुर जिले के महमूदाबाद क्षेत्र में एक आवास देने का भी निर्देश दिया।
लेकिन जब इसकी जानकारी हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की माताजी कुसुम तिवारी का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले और एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार पर उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि और 15 लाख सरकार को ही मुबारक हो हमारी तरफ से।
वे यहीं नहीं रुकी उन्होंने कहा कि भैया हम बिल्कुल संतुष्ट नहीं है ना ही उनके आवास से और ना ही उनके 15 लाख से उन्होंने कहा सीतापुर में तो आवास की बात नहीं हुई थी रहते तो वह लखनऊ में है तो सीतापुर में आवास लेकर क्या करेंगे मैं फिर कह रही हूं कि सीतापुर का आवास पर 15 लाख सरकार को ही मुबारक हो हमने उनको दे दिया है और फिर कह रहे हैं कमलेश तिवारी की जान पर निछावर करके हमने उनको दे दिया।

गौरतलब है कि आज उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की पत्नी को 15 लाख व सीतापुर में एक आवास देने की घोषणा करी थी और प्रशासन को निर्देशित करते हुए पत्र जारी किया था।

Tuesday, October 22, 2019

ITC ने पेश की दुनिया की सबसे महंगी चॉकलेट, जानिए क्या है इसके दाम

नई दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत समूह ने मंगलवार को दुनिया की पेश की। इसकी कीमत 4.3 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है। आईटीसी ने इस चॉकलेट को अपने फैबेल ब्रांड के तहत पेश किया है।
आईटीसी के लक्जरी चॉकलेट ब्रांड फैबेल एक्सिक्विज़िट चॉकलेट ने अपनी सीमित श्रृंखला की पेश की है। इसे दुनिया की सबसे महंगी चॉकलेट बताया गया है।
आईटीसी के मुख्य परिचालन अधिकारी (चॉकलेट, कनफेक्शनरी, कॉफी और नई श्रेणी) खाद्य विभाग अनुज रुस्तगी ने कहा कि फैबेल में हम नया बेंचमार्क स्थापित कर काफी खुश हैं। हमने सिर्फ भारतीय बाजार नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर यह उपलब्धि हासिल की है। हम गिनीस वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गए हैं।

यह सीमित संस्करण हाथ से बने लकड़ी के बॉक्स में उपलब्ध होगा। इनमें 15 ग्राम की 15 ट्रफल्स होंगी। इस बॉक्स की कीमत सभी करों सहित एक लाख रुपए होगी।

PMC बैंक केस: आरोपी राकेश और सारंग वाधवा 24 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में

PMC बैंक केस: आरोपी राकेश और सारंग वाधवा 24 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में

pmc bank
पीएमसी बैंक घोटाले मामले में मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने 2 आरोपियों राकेश वाधवा और सारंग वाधवा की ईडी की हिरासत 24 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले अदालत ने दोनों को 22 अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेजा था। ईडी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत जांच कर रही है। 
पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के ग्राहक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के दक्षिण मुंबई ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी ग्राहकों के बैंक से पैसा निकालने की लिमिट आरबीआई ने तय कर रखी है। 
बता दें कि बैंक के कामकाज में अनियमितताएं और रीयल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल को दिये गये कर्ज के बारे में सही जानकारी नहीं देने को लेकर उस पर नियामकीय पाबंदी आरबीआई ने लगाई है।

मनी लॉन्ड्रिंग केस : सोनिया गांधी डीके शिवकुमार से मिलने तिहाड़ जेल पहुंची

कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी बुधवार को पार्टी नेता और कनार्टक के पूर्व मंत्री डी के शिवकुमार से मिलने तिहाड़ जेल पहुंच गई हैं। कांग्रेस नेता डी के शिवकुमार मनी लॉन्ड्रिंग केस में न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं। शिवकुमार को ईडी ने लॉन्ड्रिंग केस के एक मामले में 3 सितंबर को गिरफ्तार किया था। उनकी जमानत याचिका कोर्ट में लंबित है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस पॉलिसी से दुनिया परेशान, अमेरिका को भी हो रहा घाटा


Publish Date:Tue, 22 Oct 2019 03:22 PM (IST)
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस पॉलिसी से दुनिया परेशान, अमेरिका को भी हो रहा घाटा
अमेरिकी बिजनेस स्कूलों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई है। कई प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है।
नई दिल्ली, नेशनल डेस्क Donald Trump Visa policy पिछले हफ्ते अमेरिका के प्रमुख विश्वविद्यालयों के प्रमुख बिजनेस स्कूलों के 50 डीन और 13 सीईओ ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक खुला पत्र लिखकर देश की वीजा नीति और एच-1बी वीजा कार्यक्रम में सुधार की मांग की है। उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के उस अध्ययन को सही बताया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी बिजनेस स्कूलों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई है। कई प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। गैर लाभकारी संस्था ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल (जीमैक) ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी साझा की है। इसमें बताया गया है कि 2016 से 2018 तक अमेरिका के बिजनेस स्कूलों के ज्यादातर प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट आई है।
आवज्रन पर कठोर बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया2019 की बात करें तो अमेरिकी बिजनेस स्कूलों के 48 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें आवेदन देने वाले दूसरे देशों के छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, केवल 30 फीसद प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों के आवेदन बढ़े हैं, जबकि 22 फीसद प्रोग्रामों में कोई बदलाव नहीं आया है। 2018 में 53 फीसद बिजनेस प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि केवल 28 फीसद प्रोग्रामों में ही वृद्धि हुई थी। 19 फीसद प्रोग्राम ऐसे थे, जिनमें कोई परिवर्तन दर्ज नहीं किया गया था। यानी उनमें विदेशी छात्रों की संख्या स्थिर थी। जीमैक ने इस गिरावट के लिए अमेरिकी वीजा नीतियों, आवज्रन पर कठोर बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। इनकी वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका को छोड़कर दूसरे देशों को चुन र
भारत के 28 बिजनेस स्कूलों के मुताबिक, यहां के प्रोग्रामों में आवेदन करने वालों की संख्या लगभग पिछले वर्ष के समान ही है। 46 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों के आवेदन अधिक आए हैं, जबकि 25 फीसद प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या स्थिर हैं।
हालांकि, 29 फीसद प्रोग्रामों में भारतीय छात्रों ने कम रुचि दिखाई है। दूसरी तरफ भारतीय संस्थानों में 12 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि 84 फीसद प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या स्थिर है। मात्र चार फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।