Saturday, November 23, 2019

अजीत ने बीजेपी को 'पार्टी लाइन के खिलाफ' समर्थन दिया, साथ देने वाले MLA खो देंगे सदस्यता : शरद पवार

अजीत ने बीजेपी को 'पार्टी लाइन के खिलाफ' समर्थन दिया, साथ देने वाले MLA खो देंगे सदस्यता : शरद पवार

मुंबई (एएनआई)। एनसीपी प्रमुख ने अजीत पवार के समर्थक पार्टी के विधायकों को चेतावनी दी कि वे दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो सकते हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले पवार ने कहा कि कोई भी एनसीपी नेता या कार्यकर्ता बीजेपी-एनसीपी सरकार के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, अजीत पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है और अनुशासनहीनता है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजीत पवार के सुबह-सुबह एक नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। शपथग्रहण के पूर्व राज्य में राष्ट्रपति शासन को हटा दिया गया था।
दलबदल विरोधी कानून की तलवार
पवार ने कहा कि एनसीपी के विधायक, जो बीजेपी के समर्थन में हैं या भविष्य में ऐसा करने की सोच रहे हैं, दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो देंगे। उन्होंने कहा, 'सभी विधायकों को पता होना चाहिए कि दलबदल विरोधी कानून है और उनकी विधानसभा सदस्यता खोने की संभावना अधिक है। यहां तक कि उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता भी उनसे नाराज होंगे।
सरकार बनाने के लिए संख्या होने का दाव

एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगाने, जो कि प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे, ने कहा कि वह राजभवन गए थे लेकिन यह नहीं जानते थे कि शपथ ग्रहण समारोह होना है। उन्होंने कहा, 'अजीत पवार ने मुझे कुछ चर्चा करने के लिए बुलाया था और वहां से मुझे अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया था। इससे पहले कि हम शपथ समारोह पूरा होता, मैं पवार साहब के पास गया और उन्हें बताया कि मैं उनके साथ हूं।' पवार ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने के लिए साथ आए थे। पवार ने कहा, 'हमारे पास सरकार बनाने के लिए संख्या है। कई निर्दलीय भी हमारे साथ हैं।' एनसीपी ने 54 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना को 56 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी, सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी थी क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर अड़ी रही।

Friday, November 15, 2019

डीके शिवकुमार को SC से बड़ी राहत, दलील में कॉपी-पेस्ट करने पर ED को कोर्ट की फटकार

डीके शिवकुमार को SC से बड़ी राहत, दलील में कॉपी-पेस्ट करने पर ED को कोर्ट की फटकार

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने डीके शिवकुमार की जमानत को खत्म करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस नरीमन ने ईडी को फटकार लगाते हुए कहा कि आपके अधिकारियों ने डीके शिवकुमार केस में पी चिदंबरम वाली दलील पेश की है, इसलिए अपने अधिकारियों से कहें कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पढ़े। हमारे फैसलों को हल्के में नहीं लें, अधिकारियों ने दलील में सिर्फ कॉपी पेस्ट का काम किया है, उसमें कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। 
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आपको बता दें कि 23 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने 25 लाख रुपए के निजी मुचलके पर डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले (DK Shivakumar Money Laundering Case) में जमानत दी थी। साथ ही बिना इजाजत विदेश न जाने का भी निर्देश दिया था। 
जिसके बाद शिवकुमार तिहाड़ जेल से बाहर आए। यहां आपको बताते चलें कि शिवकुमार को 3 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उन्हें रिमांड पर लेकर कई दिनों तक पूछताछ की थी, वहीं शिवकुमार ने 30 सितंबर को कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। इस अर्जी पर कोर्ट ने उन्हें 23 अक्टूबर को जमानत पर रिहा कर दिया था।

 डीके शिवकुमार ने कर्नाटक के जीडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभाई थी। यही कारण है कि जब शिवकुमार तिहाड़ जेल में बंद थे, तब सोनिया गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनके मिलने तिहाड़ जेल गए थे और तकरीबन आधे घंटे मुलाकत की थी। इनके अलावा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जीडीएस के नेता एचडी शिवकुमार भी तिहाड़ जेल में उनसे मिलने गए पहुंचे थे।

Wednesday, November 13, 2019

कांग्रेस ने राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा के लिए 16 नवंबर को

कांग्रेस ने राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 16 नवंबर को बुलाई बैठक
कांग्रेस ने 16 नवंबर को दिल्ली में एआईसीसी महासचिवों, एआईसीसी सचिवों, पीसीसी अध्यक्षों और सीएलपी नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों पर बातचीत की जाएगी। नेताओं के बीच बैठक का दौर जारी बता दें कि इस समय महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर गतिरोध जारी है। हालांकि तीन हफ्ते तक चले राजनीतिक उठापटक के बाद मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने हार नहीं मानी है। इन राजनीतिक दलों के नेता लगातार एक दूसरे से संपर्क में हैं और मीटिंग कर रहे हैं ताकि महाराष्ट्र में शीघ्र सरकार बनाई जा सके। वहीं आज शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की है। उन्होंने मुलाकात के बाद पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस नेताओं से क्या बात हुई है, आपको कैसे बताऊं? जबकि अहमद पटेल ने शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से बातचीत में उन्हें भरोसा दिलाया और चिंता नहीं नहीं करने को कहा है। साथ उन्होंने यह भी कहा कि अभी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा होनी है, जिसमें समय लग रहा है। इसलिए डोन्ट वरी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला RTI के दायरे में चीफ जस्टिस का ऑफिस

नयी दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि चीफ जस्टिस का ऑफिस पारदर्शिता कानून सूचना का अधिकार एक्ट के तहत एक पब्लिक अथाॅरिटी है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर तीन अपीलों को खारिज कर दिया।
काॅलेजियम की सिफारिश में केवल जजों के नाम का खुलासा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता अपनाते वक्त जूडिशियरी की स्वतंत्रता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आरटीआई को सर्विलांस के टूल की तरह इस्तेमाल नहीं होने देना चाहिए। इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। पीठ में सीजेआई रंजन गोगोई के अलावा शामिल जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि काॅलेजियम की सिफारिश में केवल जजों के नामों का खुलासा किया जा सकता है। आरटीआई एक्ट के तहत काॅलेजियम की सिफारिशों की वजह का खुलासा नहीं किया जा सकता।
संवैधानिक पद तथा सार्वजनिक कर्तव्य करते हुए अलग नहीं
सीजेआई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना ने एक निर्णय लिखा जबकि जस्टिस रमन्ना और जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना आदेश अलग से लिखा है। इसमें कहा गया है कि निजता का अधिकार भी एक महत्वपूर्ण पहलू है इसलिए भारत के मुख्य न्यायधीश के कार्यालय से जानकारी देते वक्त पारदर्शिता के साथ इसमें संतुलन जरूरी है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने अलग से लिखे निर्णय में कहा कि जज संवैधानिक पद और सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन के साथ न्यायपालिका को अलग से संचालित नहीं कर सकते। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रला और पारदर्शिता साथ-साथ चल सकती है। जस्टिस खन्ना से सहमत जस्टिस रमन्ना ने कहा कि निजता के अधिकार और पारदर्शिता के अधिकार में संतुलन के फार्मूले से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए।
10 जनवरी, 2010 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चीफ जस्टिस का ऑफिस आरटीआई कानून के दायरे में आता है। आदेश में कहा गया था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं कि जज को छूट दी जाए बल्कि यह न्यायधीश पर एक जिम्मेदारी है। 88 पन्नों के इस फैसले को तत्कालीन सीजेआई केजी बालाकृष्णन के खिलाफ समझा जा रहा था जो जजों से संबंधित जानकारियों को आरटीआई एक्ट के तहत सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं थे। हाई कोर्ट का वह आदेश तीन जजों की पीठ ने सुनाया था जिसमें चीफ जस्टिस एपी शाह, जस्टिस विक्रमजीत सेन और जस्टिस मुरलीधर शामिल थे। इस पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि मुख्य न्यायधीश का कार्यालय आरटीआई के दायरे में लाने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
प्रशांत भूषण ने पूछा था क्या जज अलग दुनिया में रहते हैं?
आरटीआई एक्टिविस्ट एससी अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायधीश के कार्यालय को पारदर्शिता के कानून के दायरे में लाने की पहल की थी। उनके वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल करके कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को अपने ही मामले में खुद सुनवाई नहीं करनी चाहिए जबकि वह 'आवश्यकता के सिद्धांत' के तहत अपीलों की सुनवाई कर रहा हो। अधिवक्ता ने कहा था कि सूचना का अधिकार के तहत जानकारी साझा करने में न्यायपालिका की अनिच्छा दुर्भाग्यपूर्ण और परेशान करने वाला है। उन्होंने पूछा था कि क्या जज अलग दुनिया में रहते हैं? तब उनकी दलील थी कि सरकार के दूसरे अंगों के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट हमेशा मुखर रहा है जब खुद की बारी आई तो वह जड़ हो गया है।

येदयुरप्पा सरकार तुरंत हो बर्खास्त: कांग्रेस

येदयुरप्पा सरकार तुरंत हो बर्खास्त: कांग्रेस
नयी दिल्ली, कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के कर्नाटक के 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले को सही ठहराने पर बुधवार को कहा कि इससे साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में कांग्रेस तथा जनता-एस की चुनी हुई सरकार को जबरन गिराया था इसलिए मुख्यमंत्री बी एस येदयुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए।
कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले से साफ हो गया है कि भाजपा ने कर्नाटक में गठबंधन सरकार को गिराकर असंवैधानिक सरकार का गठन किया था। कानून और संविधान की दृष्टि से कर्नाटक में एक ‘नाजायज़’ सरकार चल रही है और उसे फ़ौरन बर्खास्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार बनायी गयी थी और इस मामले की असलियत सबके सामने आये, इसलिए श्री येदयुरप्पा की टेप पर रिकार्ड की बातों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए यह सारा काला धन कहां से आया और भाजपा के नेतृत्व ने इसमें क्या भूमिका निभायी थी मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए।
प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि वह बराबर राजनीति की शुचिता की दुहाई देते हैं इसलिए उन्हें येदयुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने का साहस करना चाहिए।

महाराष्ट्र में सियासी गतिरोध के बीच कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे की बैठक, बोले- अब सही दिशा में हैं हम

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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और बाद में पार्टी के दो शीर्ष नेता अशोक चव्हाण और बालासाहेब थोराट के साथ बैठकें आयोजित कीं। 24 घंटों में कांग्रेस के साथ दूसरी बैठक करने के बाद ठाकरे ने कहा कि अब  सही दिशा में हमारी बातचीत शुरू हो चुकी है। बुधवार सुबह बांद्रा कुरला काम्पलेक्स से निकलते हुए ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि- सही समय पर सभी के आगे गठबंधन की घोषणा कर दी जाएगी। 
सेना प्रमुख ने कल यह रेखांकित किया था कि कांग्रेस-राकांपा के साथ शिवसेना के प्रस्तावित गठबंधन में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि यह पहली बार है जब तीनों दल एक साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना और कांग्रेस की अलग-अलग विचारधाराओं का भी हवाला दिया था।
बता दें कि अहमद पटेल और ठाकरे के बीच ये पहली बैठक थी। इससे पहले दोनों ने फोन पर बातचीत की थी। कांग्रेस अध्यक्ष के खास सहायक अहमद पटेल सरकार बनाने को लेकर मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ मुलाकत के लिए पहुंचे हुए हैं।  गौरतलब है कि इससे पहले शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में दूसरी पार्टियों के सरकार गठन की मुश्किलों का भाजपा आनंद उठा रही है। वहीं, संजय राउत ने महाराष्ट्र में हाल तक अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार गठन के उनकी पार्टी के प्रयासों के मद्देनजर मुश्किल राह का संकेत देते हुए बुधवार को तीन बार 'अग्निपथ शब्द ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ...।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की केन्द्र को भेजी उस रिपोर्ट के बाद यह निर्णय लिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी प्रयासों के बावजूद वर्तमान हालात में राज्य में स्थिर सरकार का गठन संभव नहीं है। हालांकि उनके इस फैसले की गैर-भाजपा दलों ने खुलकर आलोचना की है।

Wednesday, November 6, 2019

वायु प्रदूषण मामला: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मिश्रा बोले: आपको यहीं रहना है, भविष्य का सोचिए

प्रदूषणइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण मामले में कड़ा रुख बरक़रार रखते हुए बुधवार को कहा कि देश की 'लोकतांत्रिक सरकारों से कहीं अधिक उम्मीदें' हैं और प्रदूषण पर काबू पाने की 'नाकामी के लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय होगी'.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली और पंजाब के चीफ़ सेक्रेटरी को कड़ी फटकार लगाई. वायु प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के चीफ़ सेक्रेटरी भी मौजूद थे. कोर्ट ने उनसे भी कड़े सवाल पूछे.

कोर्ट ने कहा, 'ये दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के करोड़ों लोगों की ज़िंदगी का सवाल है. क्या आप लोगों को प्रदूषण की वजह से ऐसे मरता छोड़ सकते हैं.'

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों को गैर बासमती फ़सलों की पराली के निपटारे के लिए एक सौ रुपये प्रति क्विंटल की प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया.

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषणइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

'हमें समाधान चाहिए'

पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के चीफ़ सेक्रेटरी से सवाल किया, "आप सड़क की धूल निर्माण, ध्वंस और कूड़े के निस्तारण से नहीं निपट सकते हैं तो आप इस पद पर क्यों हैं?"

कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सुचित्र मोहंती के मुताबिक पराली जलाने की समस्या को लेकर कोर्ट ने सरकारों से तुरंत समाधान देने को कहा.

जस्टिस मिश्रा ने कहा, "आप लोगों को मरता नहीं छोड़ सकते. हमें सरकार को ज़िम्मेदार बनाना होगा. कितने लोग अस्थमा कैंसर और दूसरी बीमारियों की चपेट में आएंगे".

उन्होंने आगे कहा, "प्रदूषण हर किसी के लिए नुकसानदेह है. हमें आपसे और समाधान चाहिए

ये है सरकार के काम करने का तरीका?

सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाने से किसान प्रभावित होते हैं. इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पराली जलाना समाधान नहीं है. सरकार कोई समाधान क्यों नहीं देती है?

वेणुगोपाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा को दो ज़ोन में बांटा जा सकता है और हर ज़ोन में पराली जलाने के लिए दिन निर्धारित किए जा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण नुकसानदेह है. अगर अटॉर्नी जनरल के पास कोई समाधान नहीं है तो ये 'एक लोकतांत्रिक सरकार के काम करने का तरीका नहीं है'.

'ड्यूटी निभाने में नाकाम पंजाब सरकार'

कोर्ट ने पंजाब के चीफ़ सेक्रेटरी से सवाल किया कि हरियाणा पराली जलाने को बड़े पैमाने पर रोक सकता है तो पंजाब ऐसा क्यों नहीं कर सकता है?

जस्टिस मिश्रा ने कहा, "इन वरिष्ठ अधिकारियों को दंडित करने का वक़्त आ गया है. ये अधिकारी क्या कर रहे हैं. पराली जलाने की दिक्कत ये निपटने के लिए ये कैसे काम कर रहे हैं.आपको लोगों के अरमानों को पूरा करना है. अगर आप ये नहीं कर सकते तो आप यहां क्यों रहेंगे?"

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आप अपनी ड्यूटी निभाने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं. आपने किस तरह का रोडमैप अपनाया है"?

कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा, "हम इस मामले में तुरंत कार्रवाई चाहते हैं". कोर्ट पंजाब सरकार से अगले सात दिन का एक्शन प्लान बताने के लिए कहा.

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि पूरे प्रशासन को शामिल कीजिए और तय कीजिए कि कोई पराली न जलाए और 'अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो इसे कोर्ट पर छोड़ दीजिए. कोर्ट जो बेहतर तरीके से कर सकता है करेगा'.

सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने मामले में पेश हुए वकीलों से हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा, "रिटायरमेंट के बाद मैं चला जाऊंगा. मैं यहां नहीं रहूंगा. माई लॉर्ड (बेंच के दूसरे जज दीपक गुप्ता) भी चले जाएंगे. लेकिन आप यहीं रहेंगे तो भविष्य के बारे में सोचिए. कृपया गरीब किसानों और दूसरे लोगों के बारे में सोचिए".

Tuesday, November 5, 2019

RTI से खुलासा, 5 साल में 3,427 बैंक शाखाओं के वजूद पर असर


इंदौर (मध्यप्रदेश)। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि बीते 5 वित्तीय वर्षों के दौरान विलय या शाखाबंदी की प्रक्रिया से के 26 सरकारी बैंकों की कुल 3,427 बैंक शाखाओं का मूल अस्तित्व प्रभावित हुआ है।
खास बात यह है कि इनमें से 75 प्रतिशत शाखाएं देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की प्रभावित हुई हैं। आलोच्य अवधि के दौरान में इसके 5 सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय हुआ है।
यह जानकारी के जरिए ऐसे वक्त सामने आई है, जब देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर इन्हें 4 बड़े बैंकों में तब्दील करने की सरकार की नई योजना पर काम शुरू हो चुका है। मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी रविवार को साझा की।
इसके मुताबिक देश के 26 सरकारी बैंकों की वित्तीय वर्ष 2014-15 में 90 शाखाएं, 2015-16 में 126 शाखाएं, 2016-17 में 253 शाखाएं, 2017-18 में 2,083 बैंक शाखाएं और 2018-19 में 875 शाखाएं या तो बंद कर दी गईं या इन्हें दूसरी बैंक शाखाओं में विलीय कर दिया गया।

आरटीआई अर्जी पर मिले जवाब के अनुसार बीते 5 वित्तीय वर्षों में विलय या बंद होने से एसबीआई की सर्वाधिक 2,568 बैंक शाखाएं प्रभावित हुईं। आरटीआई कार्यकर्ता ने आरबीआई से सरकारी बैंकों की शाखाओं को बंद किए जाने का सबब भी जानना चाहा था। लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला। इस प्रश्न पर केंद्रीय बैंक ने आरटीआई कानून के संबद्ध प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि मांगी गई जानकारी एक सूचना नहीं, बल्कि एक राय है।
आरबीआई ने बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ भारतीय महिला बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का विलय 1 अप्रैल 2017 से प्रभावी हुआ था। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय 1 अप्रैल 2019 से अमल में आया था।
इस बीच सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारी संगठनों ने इनके विलय को लेकर सरकार की नई योजना का विरोध तेज कर दिया है। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि अगर सरकार देश के 10 सरकारी बैंकों को मिलाकर 4 बड़े बैंक बनाती है, तो इन बैंकों की कम से कम 7,000 शाखाएं प्रभावित हो सकती हैं। इनमें से अधिकांश शाखाएं महानगरों और शहरों की होंगी।
वेंकटचलम ने आशंका जताई कि प्रस्तावित विलय के बाद संबंधित सरकारी बैंकों का कारोबार घटेगा, क्योंकि आमतौर पर देखा गया है कि किसी बैंक शाखा के बंद होने या इसके किसी अन्य शाखा में विलीन होने के बाद ग्राहकों का उससे आत्मीय जुड़ाव समाप्त हो जाता है।

बहरहाल, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी की राय है कि सार्वजनिक बैंकों का विलय समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि छोटे सरकारी बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने से सरकारी खजाने को फायदा होगा। इसके अलावा बड़े अपनी सुदृढ़ वित्तीय स्थिति के कारण आम लोगों को अपेक्षाकृत ज्यादा कर्ज बांट सकेंगे जिससे देश में आर्थिक गतिवधियां होंगी।

इंफोसिस करने जा रही है छंटनी, 10% कर्मचारियों को दिखाया जाएगा बाहर का रास्ता

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इंफोसिस ने 10 फीसदी कमर्चारियों की छंटनी करने का फैसला किया है। कंपनी खासतौर से वरिष्ठ और मध्यम स्तर पर यह छंटनी करेगी। इससे पहले कॉग्निजेंट भी छंटनी का ऐलान कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, इन्फोसिस छंटनी के तहत जॉब लेवल छह (जेएल6) से करीब 2200 कर्मचारियों को बाहर करेगी। 
जॉब लेवल छह से आठ के बीच कंपनी में करीब 30 हजार कर्मचारी हैं। इसके अलावा कंपनी जॉब लेवल तीन और उससे नीचे के स्तर पर पांच फीसदी तक छंटनी करेगी। इस इस तर कंपनी में करीब 86 कमर्चारी हैं। वहीं एसोसिएट और मध्यम स्तर पर करीब एक लाख कर्मचारी  हैं। इसी तरह असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट से लेकर एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट जैसे के स्तर पर करीब 50 अधिकारियों की छंटनी हो सकती है।

सरकार बनाए हुए है Infosys मामले पर नजर, NFRA देखेगा कंपनी की कथित अकाउंटिंग अनियमिताएं

कॉग्निजेंट 13,000 छंटनी का कर चुकी ऐलान
कॉग्निजेंट ने पिछले हफ्ते कुल 13 हजार कर्मचारियो की छंटनी का ऐलान किया था। आने वाली तिमाहियों में कंपनी वरिष्ठ स्तर पर करीब सात हजार कर्मचारियों की छंटनी करेगी। अमेरिकी आईटी कंपनी कॉग्निजेंट ने कहा है कि वह कंटेट ऑपरेशंस कारोबार को भी बंद कर रही है और इससे छह हजार कर्मचारी प्रभावित होंगे। इस तरह कुल मिलाकर करीब 13 हजार कर्मचारी छंटनी के दायरे में होंगे।
पिछले दिनों कंपनी के सीईओ ब्रायन हम्फ्रीज ने कहा था कि संगठनात्मगक पुनर्गठन के कारण कंपनी ने यह मुश्किल फैसला लिया है जिस वजह से 12,000 से अधिक कर्मचारियों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी। यह कदम लागत को कम करने और कौशल विकास के साथ-साथ ग्रोथ में निवेश के लिए उठाया गया है।

Saturday, November 2, 2019

सजंय राउत का बयान, महाराष्‍ट्र में जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी शिवसेना

सजंय राउत का बयान, महाराष्‍ट्र में जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी शिवसेना

शिवसेना ने शनिवार को अपनी सहयोगी बीजेपी पर फि‍र निशाना साधा, जिसके साथ महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर विवाद में उलझी हुई है। पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी।
मुंबई (एएनआई)। शिवसेना ने शनिवार को अपनी सहयोगी बीजेपी पर फिर निशाना साधा, जिसके साथ महाराष्ट्र सरकार के गठन को लेकर विवाद में उलझी हुई है। पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि शिवसेना जल्द ही 'वेट एंड वॉच' मोड से बाहर आ जाएगी। यह बात बीजेपी नेता व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के उस बयान  के बाद कही गई है जिसमें उन्हेांने कहा था कि यदि 7 नवंबर तक राज्य में सरकार नहीं बनती तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
नए विधायकों को डराने का प्रयास
सजंय राउत ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि 'सत्तारूढ़ पार्टी के एक मंत्री ने कहा है कि अगर राज्य में सरकार बनाने में देरी हो रही है और अगर सरकार नहीं बनाई गई तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा, क्या यह नवनिर्वाचित विधायकों के लिए धमकी है?' शिवसेना नेता ने कहा, 'एक मंत्री बार-बार राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रहा है। इसका इस्तेमाल नए विधायकों को डराने के लिए किया जा रहा है। अगर कोई राष्ट्रपति या राज्यपाल के पद का दुरुपयोग करने की कोशिश करता है तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। शिवसेना जल्द ही वेट एंड वॉच की भूमिका को छोड़ देगी।'
उन्होंने कहा, 'सभी कोशिशें नाकाम होने के बाद, अब राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दी जा रही है। यदि कोई राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देकर सत्ता में आने की कोशिश करता है, तो महाराष्ट्र के लोग इस धमकी को महत्व नहीं देंगे।' कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई के कथित तौर पर एनसीपी और शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'उनके पत्र का स्वागत किया जाना चाहिए। हमारी विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं। हमने गठबंधन में चुनाव लड़ा है और गठबंधन के धर्म का पालन करेंगे।'
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ उनकी मुलाकात पर शिवसेना नेता ने कहा, 'महाराष्ट्र में जिस तरह की स्थिति चल रही है, शिवसेना और बीजेपी को छोड़कर सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात कर रहे हैं।' महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 105 सीटें जीतीं, शिवसेना ने 56 सीटें हासिल कीं जबकि एनसीपी और कांग्रेस ने 288 सदस्यीय विधानसभा में क्रमशः 54 और 44 सीटों पर जीत दर्ज की
परिणामों की घोषणा के बाद, शिवसेना ने दावा किया कि इस साल 2019 के संसदीय चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर समझौता हुआ था, लेकिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर कोई वादा नहीं दिया गया था। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त हो रहा है।

मुरादाबाद में मिला नरभक्षी बाबा, चिता से निकालकर खाता है व्यक्तियों का मांस

मुरादाबाद में मिला एक नरभक्षी बाबा, चिता से निकालकर खा चुका सैकड़ो व्यक्तियों का मांस
यह सुनकर आप बेहद हैरान हो जाएंगे कि कोई व्यक्ति जले हुए इंसानों का मांस खा सकता है। लेकिन मुरादाबाद से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जहां श्मशान घाट पर रहने वाला एक बाबा सैकड़ो अधजले व्यक्तियों को चिता से निकालकर उनका मांस खाता था। हालांकि इस बात का खुलासा तब हुआ जब बाबा और उसके चेले का कत्ल हो गया। पुलिस मामले की जांच में जुटी है। मृत इंसानोे का मांस खाने का था आदी दीपावली की रात बाबा और चेले का कत्ल होने के बाद ये बात सामने आ गयी थी कि श्मशान में शवों के साथ छेड़छाड़ हो रही है। लेकिन जब बाबा की हत्यारे को पुलिस ने पकड़ा तब घटना का पूरा खुलासा हुआ। हत्यारोपी ने बताया कि उसने अपनी बहन का मांस खाने के आरोप में बाबा और उसके चेले की हत्या की है। यह खबर शहर में फैलते ही इलाके में सनसनी मच गई। और 26 अन्य लोग इस दावे के साथ थाने पहुंचे कि उसी श्मशान में उनके परिजनों का मांस भी खाया गया है। यह सुनकर पुलिस सकते में आ गई। जब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। जांच में पता चला कि बाबा शवों को जलाने के कुछ देर बाद चिता बुझा देता था और मृत इंसानों का भुना हुआ मांस खाने का आदी हो गया था। 
पूरा मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक श्मशान में रहने वाले बाबा और उसके चेले की अभी कुछ दिन पहले हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो पता लगा कि मर्डर के आरोपी ने अपनी बहन का मांस खाने के आरोप में बाबा और उनके चेले की गोली मारकर हत्या कर दी। डबल मर्डर के आरोपी अंकुश यादव ने बाताया कि उनकी बहन अंशु की 12 अगस्त को मौत हो गई थी। अंतिम संस्कार के बाद जब वह अपने पिता के साथ शव देखने श्मशान पहुंचा तो चिता का नजारा देख वह दंग रह गया। अंकुश के अनुसार चिता से बाहर अधजला शव पड़ा था। शरीर के कई हिस्सों का मांस गायब था। जब दोनों ने श्मशान में रहने वाले बाबा राजेंद्र गिरी से इसके बारे में पूछा तो उसने नशे की हालत इस बात को स्वीकार किया कि उसने ही तंत्र विद्या के दौरान उसकी बहन के शव का मांस खाया है। इसके कुछ दिन बात अंकुर ने बाबा और उसके चेले का कत्ल कर दिया।

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प

राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली स्थित तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हिंसक झड़प की घटना सामने आई है। घटना में कई गाड़ियों को तोड़ दिया गया है और उनमें आग लगा दी गई है। दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया गया है। पुलिस और वकीलों के बीच विवाद बढ़ने के बाद पुलिस द्वारा कोर्ट परिसर में फायरिंग की जाने की जानकारी भी मिली है।
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 जानकारी के मुताबिक तीस हजारी कोर्ट में लॉकअप के बाहर वकीलों और पुलिस के बीच किसी बात को लेकर हाथापाई हुई। आरोप है कि पुलिस की थर्ड बटालियन के सिपाहियों द्वारा पहले वकीलों पर हमला किया गया था। जिसके बाद वकीलों ने पुलिस अधिकारी की जमकर पिटाई की। आक्रोशित वकीलों ने एक पुलिस पीसीआर वैन में भी आग लगा दी। दोनों के बीच हिंसक झड़प में एक वकील के गंभीर रूप से घायल होने की जानकारी मिली है। घायल वकील को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।