Saturday, July 22, 2017

चिकन लवर्स जरूर खाएं मुर्ग के तिनके, जानें क्या है इसकी पाक विधि

आज हम चिकन से बनने वाले एक स्वादिष्ट व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं। इस डिश का नाम है- मुर्ग के तिनके।
मुर्ग के तिनके
चिकन से बनी कोई भी डिश का नाम सुनकर चिकन लवर्स के मुंह में पानी आ जाता है। चिकन से बनने वाले कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों से ऐसे लोग खाने के अपने शौक पूरा करते रहते हैं। इसके अलावा वह चिकन से बनने वाली कई नई तरह की डिशेज की ताक में भी रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए आज हम चिकन से बनने वाले एक स्वादिष्ट व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं। इस डिश का नाम है- मुर्ग के तिनके। इसे आप अपने घर पर आसानी से बना सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि मुर्ग के तिनके को कैसे बनाएं-
मुर्ग के तिनके की सामग्री-
-दो बड़े चम्मच दही
-आधा बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
-दो चुटकी गरम मसाला
-नमक स्वादानुसार
-आधा छोटा चम्मच पुदीना पाउडर
-एक छोटा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट
-डेढ़ छोटा चम्मच सरसों का तेल
-200 ग्राम बोनलैस चिकन
-एक बड़ा चम्मच तेल

सबसे पहले एक कटोरा लें और उसमें दो बड़े चम्मच दही डाल दें। अब इसमें आधा बड़ा चम्मच लाल मिर्च पाउडर, दो चुटकी गरम मसाला, स्वादानुसार नमक और आधा छोटा चम्मच पुदीना पाउडर भी डाल दें। इसके बाद इसमें एक छोटा चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट और डेढ़ छोटा चम्मच सरसों का तेल डालें और सारी सामग्री को अच्छे से मिक्स कर लें। अब बने हुए मिश्रण में 200 ग्राम बोनलैस चिकन डाल दें और चिकन को पूरी तरह इसमें मिक्स कर लें। इसके बाद आप कुछ लकड़ी के सींक ले लें और उसमें चिकन के पीस को डाल दें। अब आप गैस पर एक पैन रख दें और पैन के गर्म हो जाने के बाद उसमें एक छोटा चम्मच तेल डालें। इसके बाद लकड़ी की सीकों को पैन में डालें और दोनों तरफ से लकड़ी में लगे मुर्ग के तिनके को अच्छे से पकाएं। अब आपके मुर्ग के तिनके तैयार हैं। इसे आप प्याज और हरी चटनी के साथ परोस सकते हैं।

शर्मनाक! पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए भी यूपी में देनी पड़ती है घूस

उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए भी सुविधा शुल्क देना पड़ता है. और रुपए न देने पर रिपोर्ट खराब करने की धमकी दी जाती है. ताजा मामला शाहजहांपुर का है. यहां एक युवती की मौत के बाद उसके शव का पोस्टमार्टम करने और अच्छी रिपोर्ट बनाने के लिए 10 हजार रुपए मांगे गए. यहां तक कि रुपए न देने पर रिपोर्ट खराब करने की धमकी दी गई.

मामला संज्ञान में तब आया जब पीड़ित ने इसकी शिकायत डीएम से की. इसके बाद स्वास्थ्य महकमें में हड़कंप मच गया. डीएम के आदेश के बाद देर रात सीएमओ ने पैनल के माध्यम से शव का पोस्टमार्टम करवाया.

क्या है मामला?

दरअसल शाजहंपुर की रहने वाली तरन्नुम की शादी एक लड़के के साथ परिवार वालों ने तय की थी. इस दौरान लड़के का उसके घर आना-जाना शुरू गया. इसी बीच दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. लेकिन बाद में लड़के ने तरन्नुम से रिश्ता तोड़कर किसी और से निकाह कर लिया. इसके बाद तरन्नुम ने इंसाफ के लिए पुलिस के काफी चक्कर लगाए. इतना ही नहीं वही एसपी के जनता दरबार तक गुहार लेकर पहुंची, लेकिन कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हुई. इस बीच तरन्नुम ने पुलिस को जहर खाकर आत्महत्या की बात भी कही. लेकेन पुलिस के ऊपर उसका भी कोई असर नहीं हुआ. सरकारी सिस्टम से हारकर आखिरकार तरन्नुम ने आत्महत्या कर ली.

इसके बाद शुरू हुआ लाश के सौदे का खेल. आरोप है कि जब तरन्नुम के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा तो वहां मौजूद फार्मासिस्ट नागर ने अच्छी रिपोर्ट बनाने के लिए 10 हजार रुपए की डिमांड कर दी. परिवार के पास इतना पैसा नहीं था, लिहाजा कई घंटों तक पोस्टमार्टम नहीं हुआ.

जिसके बाद डीएम से शिकायत की गई. डीएम के निर्देश के बाद सीएमओ ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए शव का पोस्टमार्टम करवाया.

इस बारे में जब नागर से पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि परिवार ने डीएम साहब के सामने लिखित में दिया है कि कोई पैसे की डिमांड नहीं की गई है. आरोप कैसे लगाए गए मुझे नहीं पता.

प्राइवेट कर्मचारी एक शव के लेते हैं 100 से 200 रुपए

बता दें पोस्टमार्टम के लिए आने वाली लाशों पर सिर्फ रिपोर्ट बनाने के नाम पर मोटा सौदा ही नहीं किया जाता है, बल्कि यहां मौजूद प्राइवेट  कर्मचारी भी एक शव पर दो सौ रूपये सुविधा शुल्क वसूलते है.

वहां मौजूद प्राइवेट कर्मचारी ने यह बात मानी की वे परिवार से 100 से 200 रुपए तक लेते हैं. क्योंकि उसी से उनका परिवार चलता है.

सैन्य अभ्यास के बहाने युद्ध के भारी साजो-सामान तिब्बत भेज रहा है चीन

भूटान के डोका ला को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव जारी है. चीन की तरफ से भारत को लगातार युद्ध की धमकी दी जा रही है. इस बीच चीन बड़ी मात्रा में युद्ध का साजोसामान तिब्बत के पठारी इलाकों में भेज रहा है. चीन यह युद्ध अभ्यास के बहाने कर रहा है. इस बीच अमेरिका ने दोनों देशों को आपसी बातचीत से मामले को सुलझाने की सलाह दी है.

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुताबिक पठारी इलाकों में चीनी सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. चीन के अखबार पीपुल के मुताबिक सैन्य अभ्यास से पहले सैन्य साजो सामान और जवानों को तिब्बत के पठारों तक पहुंचाया गया, ऐसा करने में उन्हें 6 घंटे लगे.

अखबार के मुताबिक, मिलिट्री द्वारा एक वीडियो भी जारी किया गया है जिसमें दिख रहा है कि चीनी सेना ने अभ्यास के दौरान आग फेंकने वाले तोप, रॉकेट से चलने वाले ग्रेनेड्स और मशीन गन का इस्तेमाल किया. इसके अलावा उन्होंने मोर्टार, तोपों, रॉकेट लॉन्चर्स और एंटी टैंक मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया.

इससे पहले पीपुल के एक संपादकीय में चीनी विशेषज्ञों ने लिखा था कि चीन की धमकियों को नजरअंदाज करने से डोका ला मसले पर भारत का भला नहीं होगा.

बताते चलें कि पिछले महीने भारतीय सेना ने डोका ला इलाके में घुसकर चीन के सड़क निर्माण को रोका था. चीन का दावा है कि भारतीय सेना ने उसके क्षेत्र में घुसपैठ की है, वहीं भारत का कहना है कि वह भूटान की मदद कर रहा है. डोका ला भूटान का इलाका है जहां चीन के सड़क निर्माण को भारत सिक्किम क्षेत्र में खतरे के रूप में देख रहा है.

खुलासा: स्‍वदेशी बोफोर्स तोपों के लिए चीनी पुर्जों को 'मेड इन जर्मनी' बता कर बेच दिया

स्वदेशी बोफोर्स तोपों के नाम पर हो रहीं अनियमितता पर सीबीआई ने एक नया खुलासा किया है. सेना के इस्तेमाल के मकसद से बन रही स्वदेशी बोफोर्स तोपों के लिए चीन में बने कल-पुर्जो की आपूर्ति 'मेड इन जर्मनी' बताकर कर दी गई.

सीबीआई ने इस मामले में दिल्ली आधारित एक कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. धनुष बोफोर्स तोप का स्वदेशी संस्करण है. बोफोर्स तोपों ने 1999 के कारगिल के युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया था.

'सिद्ध सेल्स सिंडीकेट' के अलावा सीबीआई ने धनुष तोपों के लिए चीन में बने नकली कल-पुर्जे की बतौर 'मेड इन जर्मनी' आपूर्ति किए जाने को लेकर गन्स कैरिज फैक्टरी (जीसीएफ) जबलपुर के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है.

सीबीआई ने अनुसार आपूर्तिकर्ता ने धनुष तोपों के विनिर्माण में इस्तेमाल के लिए नकली कल-पुर्जे की आपूर्ति को लेकर अज्ञात जीसीएफ अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश रची.

2013 में 35.38 लाख रूपये मूल्य का ऑर्डर सिद्ध सेल्स सिंडिकेट को दिया गया। सात अगस्त, 2014 को ऑर्डर बढ़ाकर छह बियरिंग का कर दिया गया. जिसका मूल्य 53.07 लाख रूपये हो गया. कंपनी ने सात अप्रैल, 2014 और 12 अगस्त, 2014 के बीच तीन मौकों पर दो-दो बियरिंग की आपूर्ति की गई

2019: मोदी को मात देने के लिए 'ट्रंप के चाणक्‍य' से मदद

डोनॉल्‍ड ट्रंप को विपरीत हालात में अमेरिकी राष्‍ट्रपति का चुनाव जिताने में सहयोग करने वाले रणनीतिकार अलेक्‍जेंडर निक्‍स 24 घंटे भारत में गुजारकर गए हैं. इस दौरान उन्‍होंने विपक्ष के कुछ नेताओं से मुलाकात की है.

चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के लिए कैंपेन कैंब्रिज एनालिटिका ने किया था. निक्‍स इसके सीईओ हैं. उन्‍होंने ट्रंप के लिए ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ कैंपेन चलाया था.

सूत्रों का कहना है कि निक्‍स विपक्ष की ओर से 2019 में मोदी की काट का फार्मूला तैयार करेंगे. इसके लिए निक्‍स ने विपक्ष के कुछ नेताओं से मुलाकात की है. लेकिन इस अभी कोई भी खुलकर कुछ नहीं बोल रहा है.

निक्‍स की टीम के भारतीय सदस्‍य अंबरीश त्‍यागी से जब हमने बात की तो उन्‍होंने कहा कि निक्‍स सिर्फ 24 घंटे के लिए भारत आए थे. वह बृहस्‍पतिवार रात यहां से अपने देश चले गए. वह यहां अपने कॅमर्शियल प्रोजेक्‍ट के लिए आए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अभी 2019 के लिए कोई रणनीति नहीं बनी है. हालांकि उन्‍होंने यह माना कि कुछ नेताओं से उनकी छोटी मुलाकात हुई है. लेकिन वे पार्टी नहीं बता सकते. उन्‍होंने कहा कि जब निक्‍स का दूसरा दौरा होगा तो इस बारे में बताया जाएगा. अंबरीश जेडीयू के महासचिव केसी त्‍यागी के बेटे हैं.

अंबरीश भी डोनाल्ड ट्रंप की कैंपेन टीम का हिस्सा थे. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार के सोशल मीडिया कैंपेन का काम संभाला था.

नहीं चल पाया था जॉर्डिंग का जादू

यूपी में चुनाव में समाजवादी पार्टी ने हिलेरी क्‍लिंटन का चुनाव प्रचार मैनेज करने वाले स्‍टीव जॉर्डिंग की मदद ली थी. लेकिन उनका जादू नहीं चल पाया. कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर की रणनीति काम नहीं आई. ऐसे में अब देखना यह होगा कि क्‍या अलेक्‍जेंडर निक्‍स विपक्ष को मोदी से मुकाबले का मंत्र दे पाएंगे.