Thursday, April 13, 2023

समाजवादी ब्राह्मणवाद

समाजवादी ब्राह्मणवाद :-


दलित भुलक्कड़ होता है। उसे 3 दिन और 3 साल का बात याद हीं रहता है लेकिन वह हजारों साल पहले की बात शंबूक और एकलव्य पर कलम तोड़ता है।‌ बहन जी ने समाजिक परिवर्तन स्थल बनाया।‌ लेकिन संपूर्ण दलित साहित्य को उठा कर देख लिजिये, कहीं आपको समाजिक परिवर्तन स्थल और समाजिक परिवर्तन का जिक्र नहीं मिलेगा। लेकिन विरोधी खेमें में इस समाजिक परिवर्तन स्थल के विरोध में विपुल साहित्य मिलेगा। पत्थर का पार्क, अय्याशी का अड्डा, हाथी पार्क, मायावती पार्क! ये सब विरोधियों की शब्दावली हैं।‌ ये शब्दावली किसने गढ़ी है ?
जाहिर सी बात है समाजवादी पार्टी ने, नहीं तो कांग्रेस और भाजपा में इतनी हिम्मत कहां है कि बहुजन महापुरूषों के लिये इस तरह की अपमानखजनक शब्द गढ़ सके ?

लेकिन कमाल की बात है कि इन बहुजन महापुरूषों का विरोध करने के बावजूद सपाई अपनी जाति के बल पर खुद को बहुजन गिनाते हैं लेकिन बहुजन के लिये क्या काम किया कभी नहीं बताते हैं! काम के नाम पर फ्री लैपटॉप ही है ।‌ मेट्रो और हाइवे मायावती सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिसे समाजवादी राज में पूरा किया गया।‌ खैर, ये सब श्रेय भी उनको दे दिया जाय तो भी बहुजन के लिए क्या किया यह सवाल जिंदा रहता है?

बहुजन के लिये तत्कालीन फायदा वाला चीज है आरक्षण! इसपर सपा का नजरिया साफ नहीं है और वह ब्राह्मण वाद का पोषक है। खास कर दलित और आदिवासी आरक्षण के मामले में।‌

दलित और आदिवासी का देश भर में प्रोमोशन में आरक्षण खत्म हुआ है उसका एकमात्र कारण समाजवादी पार्टी है।‌

👉 सन 2012 में बसपा सरकार ने यूपी प्रोमोशन में आरक्षण एक्ट 1997 के अनुसार प्रदेश में प्रोमोशन का GO जारी किया। उसके खिलाफ लोग इलाहाबाद हाइकोर्ट में गये और कोर्ट ने नागराज बनाम संघ सरकार के आदेश के आलोक में सरकार के आदेश पर रोक लगा दी। लाखों लोग जो प्रोमोट हो गये थे उनके भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया!

👉 जब मामला कोर्ट में हो तो सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचता।‌ बसपा सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट गई इस आशा में कि उसे राहत मिल जायेगी।‌ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अप्रील 2012 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऑर्डर को सही ठहराते हुये रोक को जारी रखा।‌

👉 अब सोचने वाली बात है कि अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन आया और मई में चुनाव हो रहे थे। अचार संहिता लगा चुकी थी। ऐसे में सरकार कुछ नहीं कर सकती थी। कोर्ट ने प्रोमोशन में आरक्षण के पूर्व जो quantifiabléट data इक्कठे करने की बात कही वह इतना बड़ा काम नहीं था कि सरकार नहीं कर सकती थी। लेकिन चुनाव अचार संहिता के बाद वह यह काम भी नहीं कर सकती थी।

👉 मतलब आरक्षण पर बसपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 'ब्रह्मपाश ' में बांध दिया था।‌ आप हिल - डुल नहीं सकते थे।‌

👉 उस समय गैर दलित और गैर आदिवासी ग्रुप इस प्रोमोशन में आरक्षण का विरोध कर रहे थे।‌ यहां तक कि वे ओबीसी को भी कंविंस कर रहे थे कि इस आरक्षण से तुम से नीची जाति का तुम्हारा बॉस बन जायेगा। उस समय सपा आरक्षण के खिलाफ खड़ी थी और वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह प्रमोशन में आरक्षण खत्म कर देगी।‌

👉  कोर्ट के पास स्टे का अधिकार और जमानत का अधिकार एक ऐसा अधिकार है जिसका बेजा इस्तेमाल होता रहता है।‌ चूंकि स्टे फाइनल डिसिजन नहीं होता है इसलिये आप कोर्ट की मंशा पर सवाल उठा नहीं सकते हैं।‌ लेकिन अंतिम निर्णय आने तक आपका बहुत नुकसान हो चुका होता है।‌

👉 उस समय बसपा के पास कोई रास्ता नहीं था इसके सिवा की वह दुबारा सत्ता में आते और quantifiablé data जमा कर प्रोमोशन में आरक्षण जारी रखे।‌

👉 मई में मायावती सत्ता से बाहर हो गयी और सपा की सरकार बन गई। तब तक दलित वर्ग के कुछ चिलगोजे यह हल्ला करने लगे कि प्रोमोशन में आरक्षण मायावती के वजह से खत्म हुआ! यहीं हल्ला करते हुये उदित राज भाजपा में चले गये, अंबेडकर महासभा वाले लालजी वर्मा सपा में होते हुये भाजपा में चले गये और दारापुरी कम्युनिष्टों के शरण में।‌

👉 ये सभी मिलकर मायावती पर वार कर रहे थे।‌ इससे किसको नुकसान था?
न सपा को, न कोर्ट को, न कांग्रेस को ,न ही भाजपा को ।‌ वे तो दूर से ही हंस रहे होंगें कि इन सालों के आई ए एस ,आई आर एस ,पी सी एस का यह हाल है तो हमारा हाल उखाड़ लेंगें ।‌इनकी बड़ी शक्ति सरकार को तो हटा दिया । अब सारे , मरे पीढ़ियों तक ।‌

👉 अंत में जो कोर्ट का फाइनल वर्डिक्ट आया

अ) न्यायालय प्रोमोशन में आरक्षण के मामले में दखल नही दे सकती। यह संविधान के आर्टिकल 14 (4अ ) के अनुसार राज्य सरकार का मामला है।‌ राज्य सरकार चाहें तो आरक्षण दे सकती है। सवाल है बसपा भी राज्य सरकार थी, उस समय आपने दखल क्यों दिया?

ब) क्वांटिफियेबल डाटा और क्रिमी लेयर एस सी / एस टी रिजर्वेशन में लागू नहीं होता। सवाल है जब लागू नहीं होता तो आपने रोक लगाकर आरक्षण में व्यवधान क्यों डाला ?
सवाल है -
स) इंद्रा साहनी मामले में स्पष्ट निर्देश था कि प्रोमोशन में आरक्षण जायज है। वह नौ जजों की बेंच थी। फिर नागराज मामले पांच जजों की बेंच ने शर्त क्यों लगाया ?

इसमें सपा का रोल - सपा को येन-केन- प्रकारेण चुनाव जीतना था। उसने आरक्षण और दलितों के खिलाफ जबरदस्त माहौल बनाया।‌ उसी माहौल के बल पर वह सता में आयी ।‌

* सपा के सत्ता में आने के बाद गैर दलित वर्ग उत्साहित था। सबको लग रहा था कि सबने मिलकर दलितों की औकात बता दी।

* लेकिन दलित के खिलाफ पूरे देश में यूपी जैसा माहौल नहीं था।‌ दलितों को अपीज करने के लिये कांग्रेस ने प्रोमोशन में आरक्षण बिल पेश किया।‌ राज्य सभा में वह बिल 216 के मुकाबले 206 वोट से पास हो गया ।‌

* लेकिन जैसे ही लोकसभा में यह पेश हुआ समाजवादी पार्टी के सांसदों ने हंगामा करना शुरु कर दिया। पेश करने वाले मंत्री से हाथापाई कर बिल छिन कर फाड़ दिया ।‌

* उस समय मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष थी, चाहती तो मार्शल से उठवा कर सपा सांसदों को बाहर फेंकवा सकती हैं, संसद से निलंबित कर सकती थी, लेकिन यह करने के बजाय उन्होनें कार्यवाही स्थगित कर दी ।‌

* इसमें भाजपा और कांग्रेस चाहती तो बिल पास हो जाता, लेकिन सपा और बसपा लड़े। सपा सवर्णों के पक्ष में जी जान से लड़ थी। इतना वफादार कुता तो उन्हें कहीं दाम देकर भी नहीं मिलता।‌ दोनों ने इस बिल को कूड़े में फेंक दिया।‌

* सपा यहीं नहीं रूकती, बल्कि सरकार के द्वारा 1997 के अधिनियम के बाद जितने लोग प्रमोट हुये थे, उनको 2015 में डिमोट कर देती हैं।

* यूपी से प्रेरणा लेकर पूरे देश के गैर दलित सरकारों ने आरक्षण को लेकर वहीं रवैया अपनाया जो सपा सरकार ने अपनाया। सुप्रीम कोर्ट उनके साथ था।‌

सोचिए -

अगर सपा ने लोकसभा में विरोध नहीं किया होता तो कांग्रेस और भाजपा को झंक मारकर बिल पास कराना पड़ता।‌ पास करने के सिवा कोई बहाना नहीं था।

यह भी सोचिये कि दलितों ने जो सदियों के संघर्ष से हासिल किया, सपा ने उसे चुटकी में खत्म करवा दिया।‌

इससे केवल यूपी के चमारों को ही नहीं पासियों, वाल्मिकियों, कोरी सबको नुकसान हुआ, देश भर के दलितों का नुकसान हुआ, दलित हीं क्यों आदिवासी को भी नुकसान हुआ। इस नुकसान की भरपाई कब होगी पता नहीं।‌

हम ब्राह्मनों को खूब दोष देते हैं लेकिन इन समाजवादी ब्राह्म्णवादियों का क्या करें, उन्होंने बहुजनवाद के खिलाफ जो नफरत फैलाई उसी नफरत पर सवार होकर मोदी सत्ता में आ गये। पांच साल समाजवादी सरकार ने भाजपा के लिये पिच तैयार किया, पांच साल के बाद संघ ने सीधे छक्का मारा।

तो अब क्या करें -
जो भी दलित या आदिवासी इन समाजवादी ब्राह्मणवादियों को जाति के आधार पर बहुजन से जोड़े उन्हें चार जूता पहले मारिये। सवाल बाद में पूछिए। उनको बताइये बहुजन जाति से नहीं काम से होता है।‌

अगर सपा आरक्षण का विरोध नहीं करती तो आरक्षण बिल असानी से पास हो जाता। उसके बाद ओबीसी का प्रोमोशन का बात होता। सपा ने सब खरमंडल कर दिया। ओबीसी के लिये कुछ भी नहीं किया, दलित और आदिवासी को बर्बाद कर दिया।

Reliance Industries Limited (RIL)पोर्टफोलियो



Reliance Industries Limited (RIL)पोर्टफोलियो
Reliance Industrial Infrastr   45.43%
Alok Industries                        40.01%
Balaji Telefilms Ltd.               24.92%
Hathaway Cable & Datacom

प्रेमजी एंड एसोसिएट्स पोर्टफोलियो

प्रेमजी एंड एसोसिएट्स पोर्टफोलियो

Wipro Ltd                              72.95%
Tube Investments of India   2.96%
Trent Ltd                                 1.64%
Craftsman Automation          1.06%

Hidden India

मोदी ने रिश्वत ली है?

मोदी ने रिश्वत ली है? 
अपने "नाम" जमीन नहीं ली, पैसा नहीं लिया.. फिर किस चीज की रिश्वत ली है! 

मोदी और उद्योगपतियों की सीधी डील है कि तुम सारा पैसा रख लो मुझे इतिहास में नाम चाहिए अमर होने को। इसमें दोनों का अपना अपना फायदा है।

चाय बेचने वाला एक आदमी आज नेहरू - गाँधी - टैगोर बनने की पुरजोर कोशिश में है, बल्कि आप किसी भी भाजपा कार्यालय, सरकारी स्कीम या सरकार के किसी भी छोटे से छोटे कार्यक्रम पे नजर डालिये आपको मोदी का चेहरा मिलेगा। मध्यप्रदेश के एक लोकल भाजपा कार्यकर्त्ता ने अपनी जेब से कोरोना में लोगों की मदद की और अख़बार में खबर आयी की "मोदी की प्रेरणा से" कार्यकर्ता ने अखबार में फोन करके गालियां सुनाई की ये मेरी गाढ़ी कमाई थी! इसमें मेरे बाप की बजाय मोदी का नाम क्यों डाला तो जवाब मिला.. "अपने मुख्य कार्यालय संपर्क कीजिये.. ऊपर से ऑर्डर हैँ"

अम्बानी ने जिओ में करीब 4 लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट किया और पहले ही दिन मोदी की फोटो छाप दी अखबारों में, अपनी महानता के लिए व्याकुल मोदी ने खुश होकर कोई कार्यवाही नहीं की (मात्र 500 का जुर्माना लगाया)। अम्बानी ने 3,200 करोड़ रुपया लगाकर Network18 समूह में भागीदारी और Preferential Access ले लिया.. ताकि मोदी के खिलाफ Network18 के 47 चैनलों पे कोई खबर ना दिखाई जाये... उनकी महानता का अनवरत जूठा बखान हो.. अडानी ने मोदी को अपना प्राइवेट जेट दिया चुनाव प्रचार में..

बदले में मोदी ने दोनों के ऊपर धन वर्षा कर दी ओर देश को लुटवा दीया। अडानी को सारी संपत्तियां, एयरपोर्ट, सी पोर्ट, कोयला खदानें, रेलवे मामूली कीमत मे दिया जा रहा है। अडानी को काम्युनिकेशन के सारे ठेके, हज़ारों करोड़ के बैंक लोन माफी हो रहें हैँ, भविष्य के प्रोजेक्ट दिए जा रहें है।

ये सच है मोदी ने पैसा जमीन अपने लिए नहीं ली लेकिन भाजपा को 3700 करोड़ का चंदा मिला है, दिल्ली में 1500 करोड़ का मुख्यालय बनवाया है, करीब 20000 करोड़ की कुल लागत से हर जिले में मॉडर्न फाइव स्टार A/C कार्यालय बनवाये गए हैँ.... ये सारा पैसा उद्योगपतियों ने दिया है.. ताकि मोदी अमर रहें.. ताकि इतिहास में उनका नाम अमर रहें.. इस अमरता की रिश्वत ली गयी है..

*संविधान बदल दिया*
*संसद बदल दी*
*चुनावी तरीका EVM बदल दिया*
*सरकारी तंत्र बदल दिया*
*IAS की ट्रेनिंग बदल दी*

*क्या ये सब इतिहास में दर्ज नहीं होगा ? सरकार के पास पहले भी पावर होती थी, लेकिन करोड़ों के विज्ञापन देकर मीडिया द्वारा, "मोदी ने किया तो कुछ सोच कर ही किया होगा" वाला नेरेटिव बिना पैसा संभव नहीं था.. उसके लिये उद्योगपतियों की दी हुईं चुनावी चंदे की हजारों करोड़ वाली रिश्वत ही काम आयी है.

आपको आज इस विषय पे बात करने की जरुरत है..आने वाले समय में इसका हिसाब होगा और जरूर होगा! 🇮🇳

न्यू इंडिया

फिल्में टैक्स फ्री हो रही हैं और,
पढ़ाई पर जीएसटी लग रही है, यही है न्यू इंडिया।

भगवान शब्द की रचना

भगवान (bhagvan) शब्द की रचना कैसे हुई, को ध्यान से समझे! 
                   भ - भूमि (Earth) 
                   ग - गगन ( Space) 
                   व - वायु ( Air) 
                   अ - अग्नि (Fire) 
                    न - नीर (Water) 

इसलिए कहा जाता है, भगवान हर जगह है।🙏🏻

दुनिया की दिग्गज सीमेंट कंपनी होल्सिम लिमिटेड भारत से अपना कारोबार समेटने की तैयारी कर रही है।

लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्ली
Thu, 14 Apr 2022 02:22 PM

भारत से कारोबार समेट रही दुनिया की दिग्गज सीमेंट कंपनी, अडानी समूह खरीदार की रेस में
दुनिया की दिग्गज कंपनी होल्सिम की भारत की अंबुजा सीमेंट में 63.1 फीसदी हिसेदारी है, जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 9.6 अरब डॉलर है। अंबुजा के अलावा ACC सीमेंट भी होल्सिम लिमिटेड के अधीन आती है।
भारत से कारोबार समेट रही दुनिया की दिग्गज सीमेंट कंपनी, अडानी समूह खरीदार की रेस में

दुनिया की दिग्गज सीमेंट कंपनी होल्सिम लिमिटेड भारत से अपना कारोबार समेटने की तैयारी कर रही है।होल्सिम लिमिटेड भारत में अपने कारोबार की बिक्री के लिए कुछ संभावित खरीदारों के नाम पर मंथन कर रही है। संभावित खरीदारों की सूची में अडानी समूह के अलावा जेएसडब्ल्यू भी शामिल है।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआती चरण की बातचीत की गई है, ताकि उनकी रुचि के स्तर का पता लगाया जा सके। इस पूरे मामले पर होल्सिम की ओर से किसी भी तरह के बयान से इनकार कर दिया गया है। वहीं, अंबुजा सीमेंट से इस बारे में तत्काल कोई बात नहीं हो पाई है।

आपको बता दें कि होल्सिम की भारत की अंबुजा सीमेंट में 63.1 फीसदी हिसेदारी है, जिसकी मार्केट वैल्यू करीब 9.6 अरब डॉलर है। अंबुजा के अलावा ACC सीमेंट भी होल्सिम लिमिटेड के अधीन आती है। ACC, अंबुजा की सब्सिडरी कंपनी है।

Dolly Khanna पोर्टफोलियो


Dolly Khanna पोर्टफोलियो
Rain Industries                        1.15 %
KCP Ltd.                                    3.92%
Butterfly Gandhimathi Appli 1.44 %
NCL Industries Ltd.                 1.73%
Talbros Automotive Compo 1.71%
Mangalore Chemicals & Fer 1.45%
New Delhi Television Ltd.      1.23%
Tinna Rubber And Infrastru  1.67%

एक औरत

एक औरत 
मस्जिद की मौलाना नहीं बन सकती।
मंदिर की मुख्य पुजारी नहीं बन सकती।
चर्च की पादरी नहीं बन सकती।

मगर एक औरत 
मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल, कलेक्टर, सचिव सब बन सकती है।
जो अधिकार धर्म नहीं दे सकता वह अधिकार संविधान ने औरत को दिये।

LIC Portfolio

LIC Portfolio

IDBI 49.24%
LIC Housing Finance 45.24%
Infrastructure leasing & fin 25.34 %
TCM Ltd 23.62%
Modi spinning & wvg 23.46%
ITC 16.23%
Simplex Reality 13.57%
Adani ports 10.51%
Grasim Industries 10%
Indiabulls Hfinance 9.92%
Informed Technology 9.16%
General Insurance 8.66%
Reliance naval & engineering 7.93%